हड़ताल की तिथि को 9 जनवरी 2026 को HKS भवन, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन में औपचारिक रूप से अनुमोदित किया जाएगा।
एनीटाइम न्यूज नेटवर्क। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेक्टोरल फेडरेशनों/एसोसिएशनों के संयुक्त मंच की बैठक हाइब्रिड मोड में हुई। बैठक ने इस अंतराल अवधि के दौरान संसद के भीतर और बाहर मोदी सरकार द्वारा किए गए खुले हमलों पर गहरी पीड़ा और चिंता व्यक्त की।
- “सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) अधिनियम” निजी और विदेशी कंपनियों को अत्यंत जोखिमपूर्ण और खतरनाक परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में मुनाफे के उद्देश्य से प्रवेश की अनुमति देता है। यह अधिनियम दुर्घटना/आपदा की स्थिति में विदेशी एवं घरेलू उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की देयता को समाप्त करता है—निश्चित रूप से यह हमारे देश की परमाणु सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को विकसित भारत – रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025 से प्रतिस्थापित कर दिया गया है। यह नया कानून, जब देश अत्यधिक बेरोज़गारी से जूझ रहा है, अधिकार-आधारित ग्रामीण रोजगार गारंटी को समाप्त कर केंद्र सरकार के विवेक पर आधारित व्यवस्था लाता है और वित्तीय बोझ राज्यों पर डाल देता है। यह कटाई के मौसम में अधिनियम के संचालन पर रोक लगाता है, जिससे जमींदारों को सस्ता श्रम सुनिश्चित होता है।
- बीमा क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दे दी गई है, जिससे व्यावहारिक रूप से विदेशी खिलाड़ियों को घरेलू बीमा कंपनियों पर कब्ज़ा करने का अधिकार मिल जाए गा।
- केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों में “विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025” पेश किया है, हालांकि इसे इस सत्र में पारित नहीं किया जा सका।
- सरकार ने ड्राफ्ट बीज विधेयक और ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 जारी किए हैं। यदि ये विधेयक पेश होकर पारित होते हैं, तो कृषि, घरेलू और एमएसएमई बिजली उपभोक्ताओं तथा देश के सार्वजनिक विद्युत क्षेत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
- केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देश के उत्तरी हिस्से में मौजूदा पर्यावरणीय संकट, दिल्ली-एनसीआर में असहनीय प्रदूषण, तथा सर्वोच्च न्यायालय के उस खतरनाक आदेश पर गंभीर चिंता व्यक्त की, जो अरावली पहाड़ियों के लगभग 90% हिस्से के विनाश की अनुमति देता है—जबकि ये पहाड़ियाँ थार मरुस्थल के विस्तार से उत्तरी भारत की रक्षक रही हैं।
CTUs इन सभी दमनकारी हमलों के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों और आंदोलनों के साथ मज़बूत एकजुटता व्यक्त करते हैं।
CTUs संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को सामान्य हड़ताल के लिए उनके बिना शर्त समर्थन के लिए सलाम करते हैं।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज़ एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) ने भी उसी दिन पूर्ण शक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ अपना सेक्टोरल राष्ट्रीय हड़ताल आयोजित करने की घोषणा की है। NCCOEEE, संयुक्त मंच (JPCTUs) और SKM की संयुक्त बैठक ने 23 दिसंबर 2025 को SHANTI अधिनियम के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया। जनवरी और फरवरी 2026 के महीनों में बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के साथ संयुक्त बैठकें और सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। SKM ने 16 जनवरी 2026 को गांव और ब्लॉक स्तरों पर प्रतिरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया है—बीज विधेयक 2025, विद्युत (संशोधन) विधेयक 2025, VB-GRAMG अधिनियम, 2025 के खिलाफ तथा अन्य मांगों के समर्थन में। CTUs इस कार्रवाई में पूर्ण शक्ति के साथ भाग लेंगे। श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया गया है, और सरकार अपने समस्त संस्थागत तंत्र, मीडिया और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रबंधन का उपयोग कर इन संहिताओं के पक्ष में सकारात्मक सहमति बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन श्रमिक, सरकार द्वारा इन श्रम संहिताओं एकतरफा थोपे जाने के खिलाफ संघर्ष करने और इनको निरस्त करवाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की बैठक ने 12 फरवरी 2026 को “एक दिवसीय हड़ताल” आयोजित कर मोदी सरकार को कड़ा संदेश देने का निर्णय लिया है। हड़ताल की तिथि को औपचारिक रूप से अनुमोदित किया जाएगा और विस्तृत कार्ययोजना 9 जनवरी 2026, HKS सुरजीत भवन, नई दिल्ली, दोपहर 2:00 बजे आयोजित होने वाले राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन में तैयार की जाएगी। यदि सरकार श्रम संहिताओं के तहत नियमों की अधिसूचना जारी करने पर अड़ी रहती है और संहिताओं को निरस्त नहीं करती, तो केंद्रीय ट्रेड यूनियनें सेक्टोरल प्रतिरोध कार्रवाइयों के साथ-साथ बहु-दिवसीय सामान्य हड़ताल सहित और भी सशक्त कदम उठाने के लिए बाध्य होंगी। CTUs समस्त श्रमिक वर्ग और मेहनतकश जनता के अन्य सभी वर्गों से आह्वान करते हैं कि वे आगामी सामान्य हड़ताल के लिए कमर कसें, व्यापक अभियान शुरू करें और अपने संगठनों को तीव्र संघर्ष के लिए तैयार करें। हम संसद में सभी विपक्षी दलों तथा समाज के विभिन्न वर्गों—विशेषकर युवाओं और छात्रों—से अपील करते हैं कि वे कामगारों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा और देश की लोकतांत्रिक संरचना को बचाने के लिए इस हड़ताल के समर्थन और एकजुटता में आगे आएं।
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