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उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा ७५ दिवसीय “भारतीय भाषा महोत्सव” के अंतर्गत संगोष्ठी का आयोजन

 

**विभिन्न भाषाओं के सहभागी विकास पर संगोष्ठी**

आज, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा राज्य सरकार के ७५ दिवसीय “भारतीय भाषा महोत्सव” के अंतर्गत “विभिन्न भाषाओं के सहभागी विकास” पर समर्थन और समर्पण की स्थानीय स्तर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य था भाषाओं के माध्यम से सबका साझा विकास करना।

संगोष्ठी में विभिन्न भाषाओं के शिक्षाविदों, विद्यार्थियों, और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिष्ठानुरूप समूहों की भागीदारी देखी गई। इसमें भाषा शिक्षा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और भाषाओं के सहभागी विकास के लिए नई पहचानें तथा योजनाएं साझा की गईं।

कार्यक्रम में शहर विविध विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

श्री सुशील श्रीवास्तव ने कहा,
“यह संगोष्ठी मुझे नए दृष्टिकोण और विचारों से परिपूर्ण करने का अद्वितीय अवसर प्रदान करने का एक सुंदर मौका था। भाषा के माध्यम से हम सभी मिलकर एक समृद्धि से भरपूर समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।”

वरिष्ठ साहित्यकार श्री केवल प्रसाद जी के अनुसार,
“भाषाओं के सहभागी विकास में यह संगोष्ठी मेरे लिए एक सीधा संवाद का स्रोत बना। सभी भाषाएं एक दूसरे को समझने में मदद कर सकती हैं और साथ ही आपसी समर्थन का माहौल बना सकती हैं।”

श्रीमती मंजुला जी ने कहा, संगोष्ठी ने मेरे लिए एक सांस्कृतिक अद्यतन और भाषा से जुड़े मुद्दों को समझने का मौका प्रदान किया। हमारी भाषाएं हमारी पहचान का हिस्सा होती हैं और इसमें समृद्धि की कुंजी है।”

श्री विनय दास जी ने कहा, विभिन्न भाषाओं का सहभागी विकास हमें विश्व समृद्धि की दिशा में एक सकारात्मक कदम बढ़ाने का एक माध्यम प्रदान कर सकता है। एक-दूसरे की भाषाओं का समर्थन करना हमारे समृद्धि के पथ में सहायक हो सकता है।
वंदना जी के अनुसार, भाषा न केवल हमारी पहचान है, बल्कि यह हमारी विशेषता है जो हमें एक-दूसरे के साथ जोड़ती है। इसमें भाषाओं के सहभागी विकास की दिशा में कई नए कार्यों की संभावना है।

कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान करते हुए संस्थान निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव ने कहा कि इस संगोष्ठी ने एक सामूहिक संवाद का माहौल बनाया है, जिसमें हमने भाषाओं के सहभागी विकास की समृद्धि के लिए एक साथ मिलकर काम करने का समर्पण किया है। हमें यहां से आगे बढ़कर भाषाओं के माध्यम से समृद्धि की दिशा में नए कार्यों की ओर बढ़ना है।”

संगोष्ठी के परिणामस्वरूप, सहभागी भाषाओं के आपसी समर्पण और सहयोग से एक सामूहिक रूप में उन्नति होने की संभावना है। इसमें शिक्षा के क्षेत्र में और भी माध्यमों के माध्यम से विकास की कई दिशाएं तय हो सकती हैं।

संगोष्ठी के सफल समापन के बाद, समूह ने साझा रूप से सहभागी भाषाओं के साथ नए कार्यों के लिए कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। यह पहल साबित होती है कि भाषाओं का सहभागी विकास हम सभी के लिए समृद्धि और सामरिक प्रगति की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है।

कार्यक्रम में विविध सामाजिक विभूतियां, गणमान्य विद्वत, शोधार्थी, संस्थान से दिनेश कुमार मिश्र, अंजू सिंह, प्रियंका, आशीष, हर्ष, ब्रजेश यादव, रामहेत पाल, शशि, छाया आदि उपस्थित रहे।

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