भारतीय रिजर्व बैंक ने 31 अक्टूबर, 2023 को इंडियन ओवरसीज बैंक (बैंक) को ऋण और अग्रिम – वैधानिक और अन्य निर्देश जारी किये थे जिसका अनुपालन बैंक द्वारा न किया जाने की वजह से ₹1.00 करोड़ (केवल एक करोड़ रुपये) का मौद्रिक जुर्माना लगाया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता को प्रभावित करना नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने जारी एक बयान में दी।
पृष्ठभूमि
बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई 2022) के लिए वैधानिक निरीक्षण आरबीआई द्वारा 31 मार्च, 2022 को इसकी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में सभी संबंधित पत्राचार की जांच इस संबंध में, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक द्वारा उपरोक्त निर्देशों का अनुपालन न करने की बात सामने आई है, इस हद तक कि उसने (1) दो कॉर्पाेरेट संस्थाओं को सावधि ऋण स्वीकृत किए (प) कुछ परियोजनाओं के लिए परिकल्पित बजटीय संसाधनों के बदले में या स्थानापन्न करने के लिए; (पप) यह सुनिश्चित करने के लिए परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंक योग्यता पर उचित परिश्रम किए बिना कि परियोजनाओं से राजस्व धाराएं ऋण सेवा दायित्वों की देखभाल के लिए पर्याप्त थीं; और (पपप) जिसका पुनर्भुगतान/सेवा बजटीय संसाधनों से की गई थी, और (2) किसी अन्य कॉर्पाेरेट इकाई को सावधि ऋण (प) यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजस्व प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंक योग्यता पर उचित परिश्रम किए बिना ऋण सेवा दायित्वों का ध्यान रखने के लिए परियोजनाएँ पर्याप्त थीं; और (पप) जिसका पुनर्भुगतान/सेवा बजटीय संसाधनों से की गई थी। नतीजतन, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे कारण बताने की सलाह दी गई कि आरबीआई द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में विफलता के लिए उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए, जैसा कि उसमें कहा गया है।
नोटिस पर बैंक के जवाब और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि गैर-अनुपालन का उपरोक्त आरोप प्रमाणित हो गया है और मौद्रिक जुर्माना लगाना जरूरी है।