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सरकार ने जीआईएफटी-आईएफएससी के अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा प्रतिभूतियों की सीधी लिस्टिंग की अनुमति

विदेशी निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने, विकास के अवसरों को खोलने और भारतीय कंपनियों के लिए निवेशक आधार को व्यापक बनाने की पहल

केंद्रीय वित्त और कॉर्पाेरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारामन ने घोषणा कि पहले चरण के तहत जीआईएफटी-आईएफएससी एक्सचेंजों में भारतीय कंपनियों की सीधी लिस्टिंग को सक्षम करने के लिए वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण उपकरण) नियम, 2019 में संशोधन किया है, और अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज योजना पर भारत में शामिल कंपनियों के इक्विटी शेयरों की सीधी लिस्टिंग को अधिसूचित किया है (अधिसूचना के लिए यहां क्लिक करें)।

इसके साथ ही, कॉर्पाेरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी (अनुमति देय क्षेत्राधिकार में इक्विटी शेयरों की सूची) नियम, 2024 जारी किए हैं (अधिसूचना के लिए यहां क्लिक करें)।

इस प्रकार, सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को अनुमति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों में अपने शेयर जारी करने और सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाने के लिए एक व्यापक नियामक ढांचा उपलब्ध होता है। अभी तक, यह ढांचा गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक भारतीय कंपनियों को अपने शेयरों को अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज पर सूचीबद्ध करने की अनुमति देता रहा है। सेबी सूचीबद्ध सार्वजनिक भारतीय कंपनियों के लिए परिचालन दिशानिर्देश जारी करने की प्रक्रिया में है। जीआईएफटी-आईएफएससी में आईएफएससीए के नियामक पर्यवेक्षण के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज, अर्थात् इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज और एनएसई इंटरनेशनल एक्सचेंज, वर्तमान में, नियमों और योजना के तहत अनुमत स्टॉक एक्सचेंजों के रूप में निर्धारित किए गए हैं।

इससे पहले, कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2020 के माध्यम से, भारत में निगमित सार्वजनिक कंपनियों की निर्धाेरित वर्ग (वर्गों) की प्रतिभूतियों को अनुमति प्राप्त स्टॉक पर सीधे सूचीबद्ध करने की अनुमति देने के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 में सक्षम प्रावधान शामिल किए गए थे। इसमें अनुमति प्राप्त विदेशी न्याय क्षेत्रों या अन्य निर्धारित न्यायक्षेत्रों में आदान-प्रदान को भी रखा गया था। तदनुसार, कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2020 के सक्षम प्रावधान 30 अक्टूबर, 2023 से लागू किए गए।

जीआईएफटी-आईएफएससी में भारतीय कंपनियों की लिस्टिंग को सक्षम करने के लिए यह नीतिगत पहल, भारतीय पूंजी बाजार परिदृश्य को नया आकार देगी और भारतीय कंपनियों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप और सूर्याेदय और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की कंपनियों को घरेलू से परे वैश्विक पूंजी तक पहुंचने का एक वैकल्पिक अवसर प्रदान करेगी। इससे प्रदर्शन के वैश्विक मानकों के अनुरूप भारतीय कंपनियों का बेहतर मूल्यांकन, विदेशी निवेश प्रवाह को बढ़ावा, विकास के अवसरों को खोलने और निवेशक आधार को व्यापक बनाने की उम्मीद है। सार्वजनिक भारतीय कंपनियों को वैश्विक निवेशकों से विदेशी मुद्रा में पूंजी जुटाने के लिए दोनों बाजारों, यानी भारतीय रुपये में पूंजी जुटाने के लिए घरेलू बाजार और आईएफएससी में अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचने की सुविधा होगी। इस पहल से विशेष रूप से वैश्विक स्तर पर जाने वाली और अन्य बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के अवसरों को देखने की महत्वाकांक्षा रखने वाली भारतीय कंपनियों को लाभ होगा। निवेशकों के लिए नए निवेश के अवसरों के प्रावधान, वित्तीय उत्पादों के विविधीकरण और तरलता को बढ़ाकर जीआईएफटी-आईएफएससी में पूंजी बाजार इको-सिस्टम को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है।

(डायरेक्ट लिस्टिंग योजना पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए यहां क्लिक करें)

गिफ्ट-आईएफएससी के बारे में

जीआईएफटी-आईएफएससी भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है, जो भारत को वैश्विक अवसरों से जोड़ता है और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक वित्तीय प्रणाली से जुड़ने में सक्षम बनाता है और भारत में वैश्विक पूंजी के निर्बाध और आसान प्रवाह की अनुमति देता है। जीआईएफटी-आईएफएससी की गतिशील विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, एकीकृत वैधानिक नियामक प्राधिकरण, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) ने जीआईएफटी-आईएफएससी में एक चुस्त और विश्व स्तरीय नियामक और व्यावसायिक वातावरण प्रदान करके वैश्विक स्थायी पूंजी प्रवाह में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

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