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साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों का बी.एस.पी केवल अपनी एकजुटता, समर्पण तथा जनाधार को ब़ढ़ाकर सामना कर सकती है- बसपा प्रमुख मायावती

 

पूजा श्रीवास्तव

बी.एस.पी. मूवमेन्ट के सामने जातिवादी, संक्रीर्ण, साम्प्रदायिक, पूंजीवादी एवं ग़रीब-विरोधी ताकतों द्वारा अब काफी चुनौतियाँ बढ़ गयी हैं। इनके अकूत धन व संसाधनों का दुरुपयोग आदि करने के साथ ही उनके साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों का बी.एस.पी द्वारा केवल अपनी एकजुटता, समर्पण तथा जनाधार को ब़ढ़ाकर सामना किया जा सकता है। यें बातें ’मान्यवर श्री कांशीराम जी को श्रद्धा-सुमन व पुष्पांजलि अर्पित करते हुए बसपा प्रमुख बहन कु. मायावती ने बी.एस.पी. केन्द्रीय कैम्प कार्यालय, 9 माल एवेन्यू में कही।

उन्होंने कहा कि मान्यवर श्री कांशीराम जी का सपना है और जिस राह पर चलकर यूपी में बी.एस.पी. की चार बार सरकार बनी तथा यहाँ सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति की मज़बूत नींव पड़ी व सबको न्याय मिला, जिसे आगे बढ़ाना जरूरी।
बसपा प्रमुख ने कहा कि वैसे तो जातिवादी एवं आरक्षण विरोधी पार्टियाँ/तत्व विशेषकर भाजपा व कांग्रेस लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बहुजनों के वोटों के स्वार्थ की खातिर आज कल अपने आपको ओबीसी समाज का नया हितैषी दिखाने की होड़ में है, किन्तु दलितों व आदिवासियों के साथ-साथ ’बहुजन समाज’ के ख़ास अंग ओबीसी एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों के हित व कल्याण तथा उनके संवैधानिक हक को लेकर मान्यवर श्री कांशीराम जी का संघर्ष, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बाद, किसी से भी छिपा न होकर बेहतरीन व बेमिसाल है।
मायावती ने कहा कि ओबीसी की यूपी व राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना/सर्वे कराने की पार्टी की पुनः माँग। इससे इंकार करने वाले आरक्षण विरोधी उसी जातिवादी सोच के लोग हैं जो एससी व एसटी वर्ग के आरक्षण को निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बनाने का षडयंत्र लगातार करते रहते हैं तथा इनके आरक्षण के बैकलाँग को भी नहीं भरते हैं। इस कारण नीति निर्धारण में ’बहुजन समाज’ के लोगों की भूमिका नहीं है, इस अति-दुःखद व चिन्तनीय स्थिति को बदलना जरूरी। किन्तु ऐसे परिवर्तन के लिए जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं संकीर्ण सोच रखने वालों के भरोसे पर बहुजन समाज की तस्वीर व तकदीर कैसे बन एवं संवर सकती है? इन पर अब और भरोसा संभव नहीं: सुश्री मायावती जी को।

 

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