आज दिनांक 1 मई को स्वतंत्रता सेनानी पूर्व राज्य सभा सदस्य और लेखक मरहूम हयातुल्लाह अंसारी की 125 वी जन्मदिन के मौके पर उनके देश सेवा कौमी एकता सद्भावना पर रोशनी डाली गई वही इस मौके पर आग उर्दू के पूर्व चीफ एडिटर तथा कौमी आवाज अखबार के एडिटर जनाब इब्राहिम अल्वी साहब को सम्मानित करने के साथ उपस्थित कई लेखक व शायर को भी सम्मानित किया गया। इस मौके कार्यक्रम की शुरुआत पहलगाम में आतंकियों द्वारा किए गए बेकसूरों की नृशंस हत्या की निंदा करते हुए बज़्म ए ख़्वातीन की सदर ने कहा मेरा परिवार और हयातुल्ला साहेब ने जीवन भर देश की एकता और सामाजिक सद्भाव के लिए काम किया उनके द्वारा संचालित तालीम घर द्वारा चलाए जा रहे मदरसे में दीनी तालीम के साथ उन्हें समाजी और आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है जहां से निकली बेटियां देश सेवा में काम आए और किसी क्षेत्र में पीछे न रहे। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा समाज के लिए पूरी कोशिश करते रहे जहां मोहब्बत हो सभी में उन्होंने कहा कि नफरत को मोहब्बत से मिटाए आप से कोई नफरत करे तो आप उनसे नफरत न करे बल्कि उनसे मोहब्बत न छोड़े एक दिन वो आप से मोहब्बत करने लगेगा वक्ताओं ने जनाब हयातुल्लाह अंसारी और अहमद इब्राहिम के बारे में बोलते हुए उन्होंने हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई सभी में कोई अंतर नहीं समझा बल्कि सभी एक जैसा मोहब्बत दिया और उन्हें भी समाज के सारे कौमों से इज्जत और मोहब्बत मिली कार्य क्रम में शेरों और शायरी की महफिल भी खूब सजी जहां शायरों ने कुछ इस अंदाज में हयातुल्लाह साहेब और उनके शागिर्द जनाब इब्राहिम अल्वी साहब के बारे में अपने शायराना अंदाज में कहा कि हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है। बड़े मुश्किल से चमन में दीदावर पैदा होता है। कार्य क्रम का संचालन कर रहे जनाब रिजवान फारूकी ने वक्फ के बारे में कहा कि इसको अध्ययन करना चाहिए कि यदि कोई कमी है तो उसको संवैधानिक रास्तों से हल निकलना चाहिए उसमें कौम और वक्फ को जो सकारात्मक फायदे है या महिलाओं की भागीदारी पर कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए बल्कि उसके जो प्रावधान वक्फ के या कौम के हित में नहीं है उसके लिए कोर्ट का रास्ता है जिसे अख्तियार किया गया है पर इस पर कोई ऐसा विरोध न करे जिससे देश का माहौल बिगड़े हम हमेशा देश के लिए कुर्बानी देने वाले है न कि देश को परेशानी में डालने वाले है। पहलगाम हमला भी हमारे पड़ोसी द्वारा आपसी भाईचारा को को नुकसान पहुंचाने किकोशिश थी इस संकट के घड़ी में हम सब साथ है और एक है। कार्य क्रम इशरत नाहिद अनवर जहां संजय मिश्रा मंसूर साहेब आदि लोग मौजूद थे।
