भारत के लगभग 1 करोड़ स्वयं सहायता समूहों को नाबार्ड ने फाइनेंस किया है, जो एक प्रकार से दुनिया में माइक्रो-फाइनेंसिंग का सबसे बड़ा कार्यक्रम है
मोदी सरकार ने पीएम किसान योजना के अंतर्गत आने वाले सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के तहत कवर करने का निर्णय लिया है
श्री अमित शाह ने दुग्ध समितियों को माइक्रो-एटीएम कार्ड और इन समितियों के सदस्यों को त्नच्ंल ज्ञपेंद ब्तमकपज ब्ंतक भी वितरित किए
पूजा श्रीवास्तव
देश की लगभग 65 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्य़ा वाले भारत की कल्पना नाबार्ड के बिना की ही नहीं जा सकती है, पिछले लगभग 4 दशकों में नाबार्ड ने इस देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, कोऑपरेटिव संस्थाओं और डेढ़ दशक से इस देश के स्वयं सहायता समूहों की रीढ़ के रूप में काम किया है। यें बातें नाबार्ड के42वेंस्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप मे संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में कही।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि नाबार्ड ने कई क्षेत्रों में पिछले 42 सालों में नए काम शुरू किए हैं, विशेषकर, रिफाइनेंस और कैपिटल फॉर्मेशन के काम को नाबार्ड ने बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि कैपिटल फॉर्मेशन के लिए अब तक लगभग 8 लाख करोड़ रूपए की राशि नाबार्ड के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गई है।
उन्होंने कहा कि कृषि और किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने और एग्री-प्रोडक्शन को मज़बूत करने और इसमें विविधता लाने के लिए अनेक प्रकार की योजनाओं के तहत नाबार्ड ने 12 लाख करोड़ रूपए ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था में रिफाइनेंस किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि 1982 में कृषि वित्त में 896 करोड़ रूपए का लघुकालीन ऋण था, जिसे आज 1.58 लाख करोड़ रूपए तक पहुंचाने का काम नाबार्ड ने किया है। उन्होंने कहा कि 1982 में दीर्घकालीन कृषि ऋण 2300 करोड़ रूपए था जिसे 1 लाख करोड़ रूपये तक पहुंचाने का काम नाबार्ड ने किया है।श्री अमित शाह ने कहा कि देश के ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के तहत 5 लाख करोड़ रूपए सैंक्शन हो चुके हैं, नाबार्ड के माध्यम से 41 मिलियन हेक्टेयर भूमि सिंचाई के तहत आई है, जो कुल सिंचित भूमि का 60 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने में नाबार्ड ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि देश में 13 मिलियन मीट्रिक टन क्षमता के वेयरहाउस नाबार्ड के फाइनेंस से खड़े हुए हैं। श्री शाह ने कहा कि देश के लगभग 1 करोड़ स्वयं सहायता समूहों को नाबार्ड ने फाइनेंस किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में माइक्रो-फाइनेंसिंग का सबसे बड़ा कार्यक्रम अगर कोईहै तो वो 1 करोड़ स्वयं सहायता समूहों को फाइनेंस करना है।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमारे पिछले प्रदर्शन और आने वाले समय में देश की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर गर्व के साथ नाबार्ड को अपने अगले 25 सालों के लक्ष्य तय करने चाहिएं, जिनका हर 5 साल में रिव्यू हो और हर 5 साल के लक्ष्य का रिव्यू हर वर्ष हो। उन्होंने कहा कि ज़रूरत है लक्ष्यों की सिद्धि के लिए हौसले और दूरदर्शिता के साथ आगे आने की। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में हो रहे बदलावों को गांवों तक पहुंचाने का संकल्प नाबार्ड और सहकारी संस्थाओं के सिवा कोई नहीं ले सकता है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी संस्थाओं के बीच सहकार योजना के तहत सभी सहकारी समितियों के सदस्यों के बैंक खातों को ज़िला सहकारी बैंक में ट्रांस्फर कर दिया गया है और सभी दुग्ध उत्पादक समितियों को बैंक मित्र बनाने का काम भी कर दिया गया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि नाबार्ड एक बैंक नहीं बल्कि एक मिशन है, देश की ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने का।उन्होंने कहा कि नाबार्ड के लक्ष्य फाइनेंशियल पैरामीटर्सपर तो तय हों ही, लेकिन इनसे साथ ही परंतु मानवीय और ग्रामीण विकास के लक्ष्य भी तय करने होंगे। उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में तीन बहुराज्यीय कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई हैं। ऑर्गेनिक उत्पादों का किसान को उचित दाम वैश्विक बाजार में मिले, इसके लिए बहुराज्यीय सहकारी कोऑपरेटिव सोसायटी बनाई है, निर्यात कर हमारे कृषि उत्पादों को विश्व बाजार में पहुंचाने के लिए बहु राज्यीय सहकारी निर्यात कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई है और हमारे परंपरागत बीजों के संरक्षण, संवर्धन और ज्यादा पैदावार देने वाले बीजों के उत्पादन और मार्केटिंग के लिए भी बहुराज्यीय सहकारी बीज समिति भी बनाई गई है।
इस अवसर पर वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड, सचिव, सहकारिता मंत्रालय, ज्ञानेश कुमार और नाबार्ड, अध्यक्ष के वी शाजी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।