पूजा श्रीवास्तव
परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व बहुजन-विरोधी कांग्रेस पार्टी, अपनी जैसी जातिवादी व पूँजीवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ गठबन्धन करके, फिर से केन्द्र की सत्ता में आने के सपने देख रही है, तो वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी बीजेपी पार्टी भी लोकसभा आमचुनाव से पहले पुनः केन्द्र की सत्ता में आने के लिए अपने एनडीए गठबन्धन को हर मामले में मज़बूत बनाने में लगी है तथा सत्ता में फिर से आने का दावा ठोक रही है, जबकि इनकी भी कथनी व करनी में कांग्रेस पार्टी की तरह ही कोई ख़ास अन्तर नहीं है। कुल मिलाकर अब ये दोनों बने गठबन्धन यानि कि एनडीए व परिवर्तित यूपीए, केन्द्र की सत्ता में आने के लिए अपने-अपने दावे ठोक रहे है, जबकि जनता को किये गये इनके ’’वायदे व आश्वासन’’ आदि सत्ता में बने रहने के दौरान् अधिकांशः खोखले ही साबित हुये हैं। यें बातें संसद के मानसून सत्र शुरू हो रहे आदि के सम्बंध में मीडिया को सम्बोधित करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने नई दिल्ली में कही।
उन्होंने कहा कि वैसे भी कांग्रेस व बीजेपी एण्ड कम्पनी के गठबन्धन की रही सरकार की कार्यशैली यही बताती है कि इनकी नीति, नीयत व सोच सर्वसमाज में से विषेषकर ग़रीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गाें, मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति लगभग एक जैसी ही रही है, क्योंकि इन्होंने सत्ता में रहकर शुरू से ही इन वर्गाें के मामले में अधिकांशः काग़ज़ी खानापूर्ति ही की है तथा ज़मीनी हकीकत में इनके लिए कोई ठोस कार्य नहीं किये हैं।
बसपा प्रमुख ने कहा कि जब ये लोग सत्ता से बाहर हो जाते हैं तब वे इन वर्गों केे वोट के स्वार्थ की ख़ातिर इनके हितों में काफी लम्बी चौड़ी बाते करते हैं, जैसे कांग्रेस पार्टी का ‘‘ग़रीबी हटाओं’’ का व बीजेपी का हर ग़रीब के खाते में ’’15 लाख रुपये’’ पहुँचाने को लेकर कही गई बातें सत्ता में आने के बाद केवल हवाहवाई व खोखली ही साबित होकर रह गई है, जिसकी ख़ास वजह से ही बी.एस.पी. ने दोनों गठबन्धनों से ज्यादातर दूरी बना रखी है।
मायावती ने कहा कि ऐसी स्थिति में अब इन वर्गाें के लोगों को आपसी भाईचारा के आधार पर व अपना अकेले ही मज़बूत गठबन्धन बनाकर यहाँ हर मामले में अपनी एकमात्र हितैषी रही पार्टी बी.एस.पी. को ही मजबूती देनी है, ताकि केन्द्र में ‘‘मज़बूत’’ नहीं बल्कि ‘‘मजबूर’’ सरकार ही बने ताकि बी.एस.पी. के सत्ता में ना आने की स्थिति में भी इन वर्गाें का ये लोग ज़्यादा शोषण नहीं कर सकें। बल्कि ऐसी स्थिति में बी.एस.पी. को भी सत्ता में आसीन होने का मौक़ा मिल सकता है जब तक कि अकेले अपने बलबूते पर खड़े होने योग्य नहीं हो पाते हैं।
उन्होंने कहा कि अब बी.एस.पी. को लोकसभा आमचुनाव में व इससे पहले, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तिलंगाना आदि इन राज्यों में होने वाले विधान सभा आमचुनाव में भी अकेले ही चुनाव लड़कर अपनी पार्टी का बेहतर रिज़ल्ट लाना होगा, लेकिन बी.एस.पी., पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में वहाँ कि रिजनल पार्टियों के साथ मिलकर जरूर चुनाव लड़ सकती है, बशर्तें कि अब वर्तमान में उनका एनडीए व परिवर्तित किये गये यूपीए से भी कोई सम्बन्ध नहीं होना चाहिये।
बसपा प्रमुख ने कहा कि लोकसभा आमचुनाव से पहले कल से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में सरकार व विपक्ष का रवैया तकरार, आरोप-प्रत्यारोप व ज़िम्मेदारी से भागने का नहीं है बल्कि ज्वलन्त जनसमस्याओं को दूर करने सम्बंधी समाधान का होना चाहिए, क्योंकि इस समय समस्त़ ग़रीब एवं मेहनतकश जनता का जीवन काफी दुःखी व त्रस्त है, जिनकी सही से चिन्ता करना सभी का दायित्व बनता है।
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