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केवल रोगों का उपचार नहीं बल्कि एक संतुलित स्वस्थ और दीघार्यु जीवन जीने की कला है-दया शंकर मिश्रा

 

 

राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया गया

आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है

आधुनिक जीवनशैली के खान-पान में बदलाव कर अपने जीवन को स्वस्थ बनाएं- डॉ0 दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’

आयुर्वेद यूनानी एवं होम्योपैथी के लगाए गए स्टॉल

आयुर्वेद दिवस कार्यक्रमों की श्रृंखला में वाद-विवाद प्रतियोगिता  पोस्टर प्रतियोगिता, आयुर्वेद आहार प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र

‘‘आयुष देवशा’’ पत्रिका का विमोचन

अजय द्विवेदी

लखनऊ: 23 सितंबर,

23 सितंबर को दिन और रात लगभग बराबर होते है। यह तिथि वैज्ञानिक और प्रतीकात्मक रूप से उपयुक्त है। इस बार की थीम- ‘‘आयुर्वेद जन जन के लिए, आयुर्वेद पृथ्वी के कल्याण के लिए’’ है। यें बातें 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रम का शुभारंभ  करते हुए प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एमओएस) डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने राजकीय आयुर्वेद कालेज एवं चिकित्सालय के सभागार में कहीं ।

 

उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष धनतेरस की तिथि में उतार-चढ़ाव (अक्टूबर-नवंबर) के कारण आयुर्वेद दिवस मनाने के लिए किसी निश्चित वार्षिक तिथि का अभाव था। धनतेरस की तिथि हर वर्ष बदलती रहती है जिस कारण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समारोह आयोजन में व्यावहारिक अडचने आ रही थी। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 से आयुर्वेद दिवस 23 सितंबर को मनाए जाने का निर्णय लिया हैं।

 

डॉ दयालु ने कहा कि आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। जिसका अर्थ होता है-आयुषोवेद अर्थात जीवन का विज्ञान। यह केवल रोगों का उपचार नहीं बल्कि एक संतुलित स्वस्थ और दीघार्यु जीवन जीने की कला है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और परंपरा सदियों से विश्व के लिए प्ररेणा का स्रोत रही है। हमारी जीवनशैली, हमारी सोच और हमारे विज्ञान के मूल्य में प्रकृति के साथ सामंजस्य की भावना रही है। आयुर्वेद का उद्गम भगवान धन्वंतरि से माना जाता है। आयुष मंत्री ने आधुनिक जीवनशैली के खान-पान में बदलाव कर अपने जीवन को स्वस्थ बनाने पर विशेष बल दिया। उन्होंने मोटे अनाज का उपयोग करने की सलाह दी है। स्वस्थ जीवन शैली के लिए खान-पान पर विशेष ध्यान दे।

प्रमुख सचिव आयुष  रंजन कुमार ने कहा कि आज के दिन को एक अवसर के रूप में लेना चाहिए। आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गंभीर प्रयास करना होगा। उन्होंने आयुर्वेद दिवस के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि आयुर्वेद को बढावा  देना स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनाना, आयुर्वेद में विश्वास और विश्वसनीयता बढ़ाना और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से आयुर्वेद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, रोग से स्वास्थ्य-आयुर्वेद के माध्यम से रोग से स्वास्थ्य की संस्कृति को विकसित करना है। आयुर्वेद की क्षमता का उपयोग करके रूग्णता और मृत्यु की दर कम की जा सकती है।

महानिदेशक एवं निदेशक आयुर्वेद चैत्रा वी की ने कहा कि आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाए ताकि आज जनमानस निरोग रहे। उन्होंने कहा कि शरीर और जगत में पंचमहाभूत की सामंजस्य स्थापित करके ही स्वास्थ्य की कामना की जा सकती हैं।

राष्ट्रीय आयुष मिशन उ0प्र0 निदेशक निशा अनंत ने बताया कि चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में आयुष सेक्टर में बहुत अवसर है। हमारा प्राथमिक उपचार आयुर्वेद में होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान शीघ्र ही उ0प्र0 में खोजने के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने आयुर्वेद दिवस की शुभकामनाएं दी।

विशेष सचिव आयुष हरिकेश चौरसिया ने बताया कि आयुर्वेद जीवन जीने की शैली है। इसकी सार्थकता को जन-जन तक पंहुचाना होगा। आयुर्वेद को अपनाकर आम जनमानस निरोग रह सकता है।

इस अवसर पर निदेशक होम्योपैथिक, डॉ पीके सिंह, यूनानी निदेशक, जमाल अख्तर, राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एवं चिकित्सालय के प्राचार्य डीके मौर्या, चिकित्सालय प्रभारी डॉ धमेन्द्र सहित वरिष्ठ विभागीय चिकित्साधिकारी एवं विशिष्ठ गणमान्य तथा छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

 

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