एनीटाइम न्यूज नेटवर्क। भारत के प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं और विदेशों में उन्हें सर्वाेच्च सम्मानों से नवाज़ा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक ढांचे में शामिल कुछ संवैधानिक पदों पर बैठे लोग स्वयं देश के संविधान की गरिमा को ठेस पहुँचा रहे हैं।बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अल्पसंख्यक महिला के हिजाब से संबंधित किया गया कृत्य भारतीय संविधान के भाग-3 में निहित मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन प्रतीत होता है। यह आचरण न केवल संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सम्मान की भावना को भी ठेस पहुँचाता है।
इतना ही नहीं, उनके सहयोगी घटक दल निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा दिए गए बयानों से अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और महिलाओं की गरिमा से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों का भी उपहास होता दिखाई देता है। ऐसे वक्तव्य महिलाओं की लोक-लाज और सम्मान के प्रति एक असंवेदनशील और दिवालिया मानसिकता को उजागर करते हैं। जब इस तरह की घटनाएँ अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियाँ बनती हैं, तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि दुनिया के सामने भारत के संविधान, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की क्या छवि बनेगी।
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