भारत द्वारा वैज्ञानिक उत्कृष्टता को सम्मानित करते हुए, प्रख्यात खगोल भौतिक विज्ञानी जयंत नारलिकर को मरणोपरांत आजीवन उपलब्धि के लिए प्रतिष्ठित विज्ञान रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया
देश की चर्चितष्पर्पल रिवोल्यूशन और लैवेंडर उद्यमिता को गति प्रदान करने वाली सीएसआईआर-अरोमा मिशन टीम को राष्ट्रीय विज्ञान टीम पुरस्कार 2025 दिया गया
एनीटाइम न्यूज नेटवर्क। राष्ट्रपति भवन में आयोजित दूसरे राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार समारोह में प्रख्यात खगोल भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर जयंत विष्णु नारलिकर को मरणोपरांत आजीवन उपलब्धि के लिए प्रतिष्ठित ष्राष्ट्रीय विज्ञान रत्न पुरस्कार 2025ष् से सम्मानित किया गया। देश की चर्चित पर्पल रिवोल्यूशन और लैवेंडर उद्यमिता को गति प्रदान करने वाली उद्यमी विज्ञान टीम सीएसआईआर के नेतृत्व वाले अरोमा मिशन को राष्ट्रीय विज्ञान टीम पुरस्कार 2025 या विज्ञान टीम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में विभिन्न क्षेत्रों के 24 वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों को पुरस्कार प्रदान किए ।
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार की स्थापना मोदी सरकार द्वारा की गई थी। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्यरत अरोमा मिशन टीम को हिमालयी क्षेत्र में सुगंधित फसलों, विशेष रूप से लैवेंडर की खेती और प्रसंस्करण को बढ़ावा देकर प्रयोगशाला अनुसंधान को जमीनी स्तर के परिणामों में परिवर्तित करने का श्रेय दिया जाता है। इसके कार्य ने जम्मू और कश्मीर के किसानों के लिए आजीविका के नए द्वार खोले, आवश्यक तेलों के आयात पर निर्भरता कम की और यह प्रदर्शित किया कि समन्वित वैज्ञानिक हस्तक्षेप किस प्रकार सामाजिक-आर्थिक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
इस मान्यता से राष्ट्रीय पुरस्कारों के ढांचे के केंद्र में सहयोगात्मक, अनुप्रयोग-उन्मुख विज्ञान को स्थान मिलता है। जम्मू-कश्मीर के भदेरवाह और गुलमर्ग कस्बों से शुरू हुई लैवेंडर की खेती और उद्यमशीलता अब केंद्र शासित प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी फैल चुकी है और उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाई जा रही है।
पिछले वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों की नई संरचना के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार का उद्देश्य जीवन भर की उपलब्धियों से लेकर प्रारंभिक करियर की उत्कृष्टता और टीम आधारित नवाचार तक, विज्ञान के सभी क्षेत्रों में किए गए कार्यों को मान्यता देना है। इस वर्ष का समारोह पुरस्कारों का दूसरा संस्करण था। यह वैश्विक सर्वाेत्तम प्रथाओं के अनुरूप एक संरचित, समकालीन प्रारूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मान प्रदान करने के सरकार के इरादे को रेखांकित करता है।
प्रख्यात खगोल भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर जयंत विष्णु नारलिकर को मरणोपरांत आजीवन उपलब्धि के लिए विज्ञान रत्न से सम्मानित किया गया और कई विज्ञान श्री और विज्ञान युवा पुरस्कारों ने भौतिकी, कृषि, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, अंतरिक्ष विज्ञान, गणित और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यक्तिगत योगदान को मान्यता दी गई। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की पूरी सूची में वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ 45 वर्ष से कम आयु के शोधकर्ता भी शामिल हैं, जो अनुभव और उभरती प्रतिभा दोनों पर पुरस्कार के जोर को दर्शाता है।
विशिष्ट क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देती विज्ञान श्रेणी के अंतर्गत डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह (कृषि विज्ञान), डॉ. यूसुफ मोहम्मद शेख (परमाणु ऊर्जा), डॉ. के. थंगराज (जीव विज्ञान), प्रो. प्रदीप थलप्पिल (रसायन विज्ञान), प्रो. अनिरुद्ध भालचंद्र पंडित (इंजीनियरिंग विज्ञान), डॉ. एस. वेंकट मोहन (पर्यावरण विज्ञान), प्रो. महान एमजे (गणित और कंप्यूटर विज्ञान), और श्री जयन एन (अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी) को पुरस्कार प्रदान किए गए। यह विभिन्न विषयों में उनके निरंतर और क्षेत्र-परिभाषित कार्य को उजागर करते हैं। विज्ञान युवा-शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार 45 वर्ष से कम आयु के वैज्ञानिकों के लिए है। यह नवोन्मेषी योगदान देने वाले उभरते शोधकर्ताओं को सम्मानित करता है। पुरस्कार पाने वालों में भौतिकी में प्रो. अमित कुमार अग्रवाल और प्रो. सुरहुद श्रीकांत मोरे; कृषि विज्ञान में डॉ. जगदीश गुप्ता कपुगंती और डॉ. सतेंद्र कुमार मंगरौथिया; जीव विज्ञान में डॉ. दीपा अगाशे और श्री देबरका सेनगुप्ता; रसायन विज्ञान में डॉ. दिब्येंदु दास; भूविज्ञान में डॉ. वलीउर रहमान; इंजीनियरिंग विज्ञान में प्रो. अर्कप्रवा बसु; गणित और कंप्यूटर विज्ञान में प्रो. सब्यसाची मुखर्जी और प्रो. श्वेता प्रेम अग्रवाल; चिकित्सा में डॉ. सुरेश कुमार; अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अंकुर गर्ग; और प्रौद्योगिकी और नवाचार में प्रो. मोहनशंकर शिवप्रकाशम शामिल हैं। इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं में महिला वैज्ञानिकों की प्रमुख भूमिका रही। इन्हें कई श्रेणियों और विषयों में मान्यता मिली। डॉ. दीपा अगाशे और प्रोफेसर श्वेता प्रेम अग्रवाल जैसी शोधकर्ताओं को उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। यह देश के वैज्ञानिक परिवेश में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और नेतृत्व को दर्शाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उनके कार्यों में देश की वैज्ञानिक प्रतिभा की गहराई और विविधता झलकती है और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को संबोधित करने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर बल दिया गया है।
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