सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक निजी और विदेशी बैंकों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं मुद्रा और पीएम स्वनिधि योजनाओं ने एमएसएमई के लिए ऋण पहुंच का विस्तार किया; भारत की विकास गाथा में बैंकों की अहम भूमिका है
एनीटाइम न्यूज नेटवर्क। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मजबूत और प्रतिस्पर्धी संस्थानों के रूप में उभरे हैं, जो भारत के विकास में सहयोग देने के लिए निजी और विदेशी बैंकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। यें बातें एमएसएमई बैंकिंग उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में कही। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी और विदेशी बैंकों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करते हुए देखना उत्साहजनक है। भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की घोषणा का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत के मुक्त व्यापार समझौते आज व्यापक प्रकृति के हैं। इनमें न केवल वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाजार पहुंच शामिल है बल्कि नवोन्मेषकों, किसानों और उद्यमियों का सहयोग करने के लिए तकनीकी सहयोग भी शामिल हैं, जिससे उत्पादकता और आय में वृद्धि होती है। भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते का विशेष रूप से जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 25 वर्षों में न्यूजीलैंड द्वारा भारत में निवेश किए गए 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है। उन्होंने कहा कि समझौते में निवेश प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करने पर रियायतों को वापस लेने के प्रावधान शामिल हैं, जिससे यह केवल एक समझौता ज्ञापन के बजाय एक गंभीर और लागू करने योग्य प्रतिबद्धता बन जाती है।
उन्होने कहा कि छोटे उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुंच को आसान बनाने के लिए की गई पहलों को याद करते हुए श्री गोयल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पहले वर्ष में शुरू की गई मुद्रा ऋण योजना और कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किए गए ऋण गारंटी उपायों का उल्लेख किया, जिसके तहत सरकार बिना किसी अतिरिक्त गारंटी के एमएसएमई ऋणों के लिए गारंटर बन गई। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मुद्रा ऋणों का लगभग 70 प्रतिशत महिला उद्यमियों को दिया गया है। उन्होंने पीएम स्वनिधि योजना का भी उल्लेख किया कि कैसे 10,000 रुपये के छोटे ऋण, जिन्हें बाद में पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर बढ़ाकर 20,000 रुपये और 50,000 रुपये कर दिया गया, ने रेहड़ी-पटरी वालों को शोषक साहूकारों से बचने और उनकी आजीविका में सुधार करने में मदद की है। मंत्री ने कहा कि वैश्विक अनुमानों के अनुसार भारत 2047 तक 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था से बढ़कर 30-35 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जो आठ गुना वृद्धि का अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने बताया कि बैंकों ने पिछले साल लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया, जो ईमानदार उधारकर्ताओं को ऋण देने की उनकी क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में एमएसएमई ऋण में लगभग 14 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है, जिसमें और भी अधिक अवसर हैं क्योंकि भारत किसानों, एमएसएमई, मछुआरों और डेयरी क्षेत्र के हितों की रक्षा करते हुए अपनी अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था का विस्तार कर रहा है। मंत्री ने कहा कि आज कई बड़ी कंपनियों ने अपनी यात्रा एमएसएमई के रूप में शुरू की थी और एमएसएमई क्षेत्र की मजबूती ही अंततः भारत के भविष्य के विकास को निर्धारित करेगी। उन्होंने बैंकों से इस यात्रा में सक्रिय भागीदार बनने का आग्रह किया और एमएसएमई और बैंकों को अविभाज्य जुड़वां बताया, जिनकी संयुक्त वृद्धि भारत को 2047 तक विकसित भारत की ओर ले जाएगी। श्री गोयल ने पुरस्कार विजेताओं को एक बार फिर बधाई देते हुए अमृत काल के दौरान त्वरित, समावेशी और सतत विकास का आह्वान करते हुए वर्ष 2026 के लिए सभी बैंकरों और वित्तीय क्षेत्र के प्रतिनिधियों को अपनी शुभकामनाएं दीं।
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