युवा दिवस पर विशेष
सहारा हास्पिटल विशेषज्ञ की सलाह -युवा रहें दूर, तम्बाकू की लत सबसे खराब
-तम्बाकू सेवन से 40 से ज्यादा तरह के कैन्सर तथा 25 अन्य तरह की बीमारियां की आशंका
-कई संगठन चला रहे समाज को तम्बाकू मुक्त बनाने का अभियान
सहारा हास्पिटल के फिजिशियन विशेषज्ञ डा.सुनील वर्मा ने बताया कि तंबाकू ज़हर है यह हर रूप में नुकसान पहुंचता है। अक्सर तम्बाकूं सेवन की शुरुवात कालेज में दोस्तो के साथ होती है जो बाद में आफिस और घर में साथ नहीं छोड़ती है।आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में धूम्रपान की वजह से हर वर्ष लगभग नौ लाख लोगों की मौत होती है।इसमें कैंसर से मरने वालों की संख्या लगभग सात लाख होती है इनकी वजह यह है कि तंबाकू में ३००० से अधिक प्रकार के हानिकारक रसायन पायें जाते है जो सीधे शरीर के हर हिस्से में नुकसान पहुचातें है जैसे अमोनिया, कार्बन मोनोआक्साइड,मैडोनाल, निकोटिन ,कोलार, रेडियोएक्टिव तत्व आदि।
तंम्बाकू की लत अन्य सारे नशे से ज्यादा बुरी है, लत वह होती है जो हमारे दिमाग पर अधिकार जमा लेती है। 15 से 25 वर्ष की उम्र के युवा ज्यादातर इसके गिरफ्त में आते है। धूम्रपान से हमारे शरीर पर कई तरह के कुप्रभाव पड़ते है, जिसमें 40 से ज्यादा तरह के कैन्सर तथा अन्य तरह की बीमारियां होती है, इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक फेफड़े का कैन्सर होता है, जिसके लिए सीधे तौर पर धूम्रपान जिम्मेदार है। धूम्रपान से 30 प्रतिशत धुआं फेफड़ो में जाता है जिसे एक्टिव स्मोकिंग कहते हैं वही 70 प्रतिशत बाहर रह जाता है जो कि पैसिव स्मोकिंग होती है जो न जाने कितने लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। देश में तंम्बाकू करीब १६०५ में पुर्तगालियों द्वारा भारत में पहली बार लाया गया था।
ग्लोबल यूथ सर्वे के अनुसार भारत देश में ६५ प्रतिशत पुरुष और २० प्रतिशत से अधिक महिलाएं किसी न किसी रुप में तंबाकू का सेवन कर रही है।कैंसर के एक चौथाई मामले तंम्बाकू के कारण होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार , एक सिगरेट पीने से आयु तकरीबन साढ़े पांच मिनट कम हो जाती है।
तंम्बाकू एक आदत नहीं बल्कि एक तरह की लत है। तंबाकू और निकोटीन फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के दूसरे ऑर्गन(अंगों) को भी काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। धूम्रपान करने वालों के साथ एक सबसे खराब बात यह है कि वह अक्सर मन बनाते हैं कि ध्रूमपान छोड़ देंगे लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाता है।
तंम्बाकू से होने वाली बीमारियां :
तंम्बाकू चबाने से मुंह का कैंसर ,खाने की नली,सांस की नली और जननांग का कैंसर होता है।
धूम्रपान करने से मुंह का कैंसर ,खाने और सांस की नली का कैंसर ,फेफड़े, लैरिंग्स, पेट पित्त की थैली और पेशाब की थैली का कैंसर होता है।
हदय रोग जैसे ब्लड प्रेशर बढ़ना और हार्ट अटैक
सांस के रोग जैसे क्रानिक आब्सट्क्टिव पल्मोनरी डिजीज। स्मोकिंग से टी बी का खतरा भी रहता है।
महिलाओं में गर्भपात ,बच्चों में विकृतियां और महिलाओं में अनियंत्रित महामारी ।
तंबाकू से तनाव कम होने की बजाय बढ़ता है।
कैसे छोड़ें तंम्बाकू
तंबाकू छोड़ने के तीन महत्वपूर्ण कारण होते हैं पहला क्विक डे।इसी दिन तय किया जाता है कि आज के बाद से तंबाकू का सेवन नहीं करना है। दूसरा विवडारल पीरियड ।इस दौरान अगर तंबाकू की तलब होती है तो कुछ चबाएं जैसे च्यूइंगम ,इलायची आदि। तीसरा और अतिंम चरण होता है मेंटेन फेज। इसमें तय करना होता है कि तंबाकू का सेवन पूरी दुनिया करें लेकिन यह स्वयं मेरे लिए नुकसानदेह है।इसलिए इसे कभी हाथ नहीं लगाएगें।इसके अलावा अपने आस पास के लोगों को अपने फैसले से अवगत कराएं और उनसे सहयोग ले।
तंम्बाकू की लत छोड़ने के लिए सबसे पहले मन में निश्चय करें। चाहे अब कुछ भी हो जाए किसी भी हाल में तंम्बाकू की लत छोड़ना ही है। इसके बाद एक तारीख निश्चित करें और फिर पॉजिटिव मन के साथ इस आदत को छोड़ दें। अपने आसपास के लोगों और दोस्तों को बताएं कि आपने सिगरेट छोड़ दिया है, इससे आपको छोड़ने में मदद मिलेगी और अगर आप कभी पीने की भी कोशिश करेंगे तो वह आपको याद दिला देंगे कि आपको नहीं पीना है।
सामाजिक तौर पर अगर आपका दोस्त आपको सिगरेट के लिए ऑफर भी कर रहे हैं तो आपको एकदम खुश और पॉजिटिव रहकर मना करना है। ये बिल्कुल लगना चाहिए कि आप सिगरेट नहीं पी रहे हैं तो काफी ज्यादा दुखी हैं। उन चीजों से एकदम दूर रहें जो आपको सिगरेट का याद दिलाती है।
सहारा हास्पिटल के फिजिशियन विशेषज्ञ डा. वर्मा ने बताया कि सहारा हास्पिटल में सभी प्रकार की फेफडों से संबंधित बिमारियों का इलाज उपलब्ध है। साथ ही काउंसलिंग के माध्यम से लत छुड़ाने का भी प्रयास किया जाता है।
सहारा इडिंया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह जी ने बताया कि हमारे माननीय अभिभावक सहारा श्री जी के द्वारा प्रदत्त विश्वस्तरीय हास्पिटल में हर वर्ग को न केवल बीमारियों का उचित मूल्य पर इलाज उपलब्ध करवाया जाता है वरन उन्हें सभी बीमारियों से बचाव हेतु जागरुक भी किया जाता है। श्री सिंह ने बताया कि युवा वर्ग देश का भविष्य है उसको विशेषकर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और स्वामी विवेकानन्द जी के आदर्शो पर चलकर देश की नींव मजबूत करना चाहिए। सहारा हास्पिटल की टीम सभी के लिए २४ घटें सेवाएं देने को तत्पर हैं।
—————————————————————-