संविधान बचाने, आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत बढ़ने के लिए महा रैली का आयोजन की बैठक
पूजा श्रीवास्तव
अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ी की लड़ाई में अब अल्पसंख्यकों को भागीदार बनकर उनकी बात को आगे बढ़ना होगा । इस तरह अल्पसंख्यकों की लड़ाई को अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग को आगे बड़कर लड़ना होगा तभी हम बचेंगे नहीं तो हम काटेंगे। यें बातें संविधान बचाने, आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाने के लिए (दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज़ और अदिवाससी परिसंघ) के तत्वाधान में डॉक्टर उदय राज ने लखनऊ के सहकारिता भवन में कहीं
उन्होंने कहा कि जब कभी भी हम एक दूसरे के लिए खड़े होंगे तभी हम आगे बढ़ेंगे नहीं तो चंद लोग हमारी एकता अखंडता और आपसी भाईचारे को दुश्मनी में बदल देंगे इसलिए हम सबको समय रहते एक दूसरे की समस्याओं में एक दूसरे के सहभागी बनकर आगे आना होगा वरना गुलामी के सिवाय कुछ ना बचेगा।
डोमा परिसंघ के अध्यक्ष ने कहा कि 2014 के पहले जो दुर्गति दलित आदिवासियों की थी आज वैसे ही मुस्लिम और ईसाइयों की हो गई है यह खुद अपनी समस्या उठाते हैं तो हिंदू मुस्लिम और हिंदू ईसाई हो जाता है राजनीतिक पार्टियां है उनके साथ इसलिए नहीं खड़ी हो पा रही है क्योंकि चुनावी समीकरण बिगड़ जाएगा इसाई तो अपना धार्मिक कार्यक्रम तक ही नहीं कर पा रहे हैं मात्र बीफ शब्द के आधार पर हत्या कर दी जाती है उनकी समस्या को दलितों पिछड़ों को उठाना होगा और ऐसा उन पर एहसान करने के लिए नहीं बल्कि बहुजन एकता के लिए जरूरी है संसद में वक्फ संशोधन बिल लाया गया ताकि उनकी संपत्ति को छीन ली जाये जिस तरह स्वर्ण ने बदनाम किया कि एसटी एससी और ओबीसी आरक्षण द्वारा उनकी नौकरियां खा गए हैं इस तरह आप के साथ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी के अनुसार वक्त की 4,90,021 संपत्तियां हैं और सरकारी प्रचार 8,70,000 करती है जिसकी कीमत 1.02 करोड़ है जबकि अकेले तिरुपति मंदिर की संपत्ति 3 लाख करोड से ज्यादा है क्या
हिंदु ट्रस्टों में गैर मुसलमानों को शामिल करने की बात है नहीं यही नहीं बल्कि हिंदू मंदिरों के प्रबंधन में दलित पिछड़े भी नहीं शामिल हो सकते हैं।
एक नया प्रयास हम तो डोमा परसंघ के द्वारा करने जाने की संगठन में सभी उपजातियां को स्थान देंगे यह पूरी पार्टी सीता के साथ किया जाएगा ना कि छुपा कर डोम परेशान खुद में कोई संगठन नहीं है बल्कि सामाजिक कर्मचारियों के संगठन का संगठन है संगठनों से संबंध करना और व्यक्ति विशेष को स्थान करना उद्देश्य और चुनौतियां सब जानते निजीकरण पर रोक, उसमें आरक्षण, उच्च न्यायपालिका में आरक्षण, जाति का जनगणना ,खाली पदों की भर्ती ,भूमि आवंटन, सामान्य शिक्षा, ठेकेदारी प्रथा की समाप्ति धार्मिक आजादी सरकारी धन से चल रही परियोजनाओं में आरक्षण, किसानों को न्यूनतम मूल की गारंटी आदिवासियों को जल जंगल व जमीन से वंचित की जाने के विरुद्ध और बैलट पेपर से चुनाव आदि हमारी प्रमुख मांगे हैं 1 दिसंबर 2024 को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली में अवश्य शामिल हो रैली को सफल बनाया ताकि हमारी एकता को देखकर सरकार होश में आए हम सब को लेकर चले।
इस मौके पर वक्फ बचाओं अभिायन के अधिवक्ता शाहिद अली ने कहा कि बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहें है यदि अभी न चेहते तो मस्जिद, ख़ानखाएं कब्रिस्तान कुछ न बचेगा मरने के बाद तो दो गज जमीन तो चाहिए।
आल इंडिया गद्दी समाज फांउडेशन के ताकिक गांजी ने कहा कि अब कुर्बानियों का दौर शुरु हो गया है हर किसी को अपने माल और वक्त की कुबार्नी देनी पढेगी तभी स्वतं़त्रा सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी वरना कल सवाल हमसे किया जायेगा।
इस सम्मेलन में प्रदेश के 17 जिलों से अनेक धर्माें और जातियों के हजारों लोग शामिल हुए। सभी ने हाथ उठाकर अपनी-अपनी कुर्बानियों को ब्यूरा लिखवाया।