अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के 207 वें जन्मदिन के मौक़े पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में एएमयू ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के तत्वाधान में सर सैयद डे धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम का आरम्भ क़ारी मुईन उद्दीन ने पवित्र कुरान के पाठ से किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो शकील क़िदवई ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सभी अतिथियों एवं अन्य उपस्थित लोगों का स्वागत किया। एसोसिएशन के सेक्रेटरी ईं. एस एम शोएब ने गत वर्ष की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए एसोसिएशन द्वारा किये गए कार्यों का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत किया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि जस्टिस (से. नि.) शबीहुल हसनैन , अध्यक्ष पंजाब पी.टी.एन.डी.एस.पी.ए बोर्ड ,चंडीगढ़ ने सर सय्यद की आख़िरी वसीयत जो कि ए.एम.यू.परिसर में एक बड़े पत्थर पर लगी हुई है के ज़िक्र से अपनी बात आरम्भ करते हुए कहा कि सर सय्यद ने कहा था कि ‘मेरे बच्चों! मैंने यह इदारा तुम्हारे लिए क़ायम किया है और मुझे उम्मीद है कि तुम इल्म के चिराग़ जला कर फ़िज़ा को रोशन रखोगे , उस वक़्त तक जब तक कि जिहालत का अंधेरा मिट नहीं जाता।’ उन्होंने मजाज़ लख़नवी के शेर में परिवर्तन करते हुए सर सय्यद को इस प्रकार श्रद्धांजलि दी:
शाम दर शाम जलेंगे तेरी यादों के चिराग
नस्ल दर नस्ल उजालों की गवाही देंगे
उन्होंने कहा कि आज सर सय्यद डे के मौक़े पर आप सब की इतनी बड़ी संख्या में उपस्थिति यह प्रदर्शित करती है कि सर सय्यद का मिशन फ़ेल नहीं हुआ है, बल्कि कामयाब है और जिस नस्ल को उन्होंने बदलने की कोशिश की वह यक़ीनन बदली है और जिन हालात से उन्होंने एक साइंटिफिक सोसाइटी बनाई और उस के बाद एक मदरसा बना फिर एक कालेज बना जिसने सर सय्यद के दुनिया से गुज़रने के 22 साल बाद विश्विद्यालय की शक्ल इख़्तियार की इस सब का फ़ासला कैसे तय हुआ उसका उल्लेख करने के लिए समय नाकाफ़ी है लेकिन इतना कहना तो अत्यंत आवश्यक है कि हम हर समय हालात का रोना रोते हैं तो क्या सर सय्यद के ज़माने में हालात अच्छे थे? मौजूदा हालात सर सय्यद के ज़माने से अधिक ख़राब नहीं हैं लेकिन सर सय्यद का कमाल यही है कि उन्होंने हालात ख़राब होने के बावजूद जिस हिम्मत और जिस विज़न से काम किया वो अपने आप में मिसाली है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने आप को अलीग कहते हैं और सर सय्यद को श्रद्धांजलि अर्पित करने उपस्थित हुए हैं तो हौसला हमारी शर्त होना चाहिए। उन्होंने प्रस्तावित सर सय्यद मिशन स्कूल की सराहना करते हुए कहा कि इस दिशा में धन का इंतज़ार किये बिना आगे बढ़ने की ज़रूरत है और जब आप आगे बढ़ेंगे तो धन की व्यवस्था अपने आप होगी।
इस अवसर पर अल अमीन मिशन के संस्थापक एम नूरूल इस्लाम को पद्म भूषण डाॅ कल्बे सादिक़ मेमोरियल एवार्ड फ़ार एक्सिलेंस इन एजुकेशन से सम्मानित किया गया। विशेष अतिथि की हैसियत से बोलते हुए नूरुल इस्लाम ने अपने संबोधन में कहा कि सर सैयद अहमद ने जो शिक्षा का पौधा लगाया था वो आज तक फल फूल रहा है। उन्होंने बताया कि बंगाल में अल अमीन मिशन को शुरु करने में बहुत कम लोगों की मदद मिली थी लेकिन अब हालात बेहतर हो रहे हैं। आज हमारा संस्थान मेडिकल, इंजिनियरिंग, सिविल सेवा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि हमें राम कृष्ण मिशन को देखकर शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली थी। वर्तमान में अल अमीन के छात्र देश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
नूरुल इस्लाम ने कहा हमारा सपना है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की तरह हर जगह अल अमीन के छात्र हों। हमारे संस्थान में किसी भी बच्चे को गरीब होने की बुनियाद पर पढ़ाई से रोका नहीं जाता बल्कि आर्थिक स्थिति देखकर हर संभव सहायता की जाती है। उन्होंने कहा कि अगर सर सैयद के मिशन को जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाना है तो ईमानदारी से काम करें। एक दिन आएगा कि शिक्षा का अंधेरा मिट जाएगा। हमें सबको साथ लेकर आगे बढ़ना होगा, तभी हमारे समाज के पिछड़े लोग शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगे।
विशिष्ट अतिथि व ए एम यू के संगीतकार एवं कवि जॉनी फॉस्टर ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के दौर में सर सैयद ने शिक्षा के क्षेत्र में कामयाब कोशिश की। उन्होंने कौम के लिए बेशुमार कुर्बानियां भी दी। लखनऊ में जिस स्कूल की बुनियाद रखी गई है, सर सैयद को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। शिक्षा का क्षेत्र ऐसा है जहां से वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, रक्षा, फिल्म आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले होनहार निकलते हैं और देश दुनिया में अपने समाज और देश का नाम रोशन करते हैं। जॉनी फॉस्टर ने कहा कि शिक्षा का जो कारवां सर सैयद अहमद खान ने आगे बढ़ाया था, अब हमारी जिम्मेदारी है कि उसे आगे बढ़ाते रहें।
समारोह में विश्विद्यालय के वयोवृद्ध पुरा छात्रों क्रमशः ईं. नसीमुद्दीन बिल्ग्रामी, श्रीमती अनवर जहाँ, ईं. ताहिर हुसैन आब्दी एवं श्री एस एम इल्यास सफ़वी को अमूबा लखनऊ स्टालवार्ट एवार्ड्स से सम्मानित किया गया। डा मोहम्मद मुबश्शिर ने प्रस्तावित सर सय्यद मिशन स्कूल के बारे में विस्तार से अवगत कराया। इस अवसर पर ए एम यू की कक्षा 9 एवं कक्षा 10 के एन्ट्रेन्स टेस्ट की तैयारी का आन लाइन कोचिंग प्रोग्राम भी ग्रैविटी कोचिंग के डायरेक्टर मोहम्मद अशफ़ाक़ एवं अन्य अतिथि गण द्वारा लांच किया गया।
कार्यक्रम में जानी फ़ास्टर ने ए एम यू से सम्बन्धित शायरों का कलाम पेश किया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री हिना जाफ़री ने किया गया एवं धन्यवाद ज्ञाप शेख़ मोहम्मद तारिक़ ने दिया। कार्यक्रम का समापन विश्वविद्यालय कुल गीत एवं राष्ट्र गान पर हुआ।
इस अवसर पर अनीस अंसारी आई.ए.एस(रि.) , रिज़वान अहमद पूर्व डी जी पी, शफ़क़त कमाल आई.ए.एस(रि.) , तल्हा आई आर एस (रि.) , शाहिद मंज़र अब्बास रिज़वी आई ए एस, मुईद अहमद पूर्व मंत्री, एस एम हसीब पूर्व जज, प्रो कौसर उस्मान, डा सुहेल अहमद फ़ारूक़ी, डा सऊदुल हसन, डा कल्बे सिब्तैन नूरी, नजमुल हसन रिज़वी नजमी, गुफ़रान राशिद, तारिक़ सिद्दीकी, जावेद सिद्दीक़ी,मुजतबा खान, ई. मोहम्मद गुफ़रान, अनवर हबीब अल्वी, शहला हक़, आतिफ़ हनीफ़, माधव सक्सेना, फ़ैसल फ़ारूक़ी, डा इरम दीबा, शाज़िया फारूक़ी, राना तय्यब, हुसैन अहमद, क़ैस मुजीब, मो. नईम अहमद, डा वक़ार बेग, डॉ ज़ेबा सिद्दीक़ी,अमीक़ जामई, प्रसिद्ध व्यवसायी ख़ालिद मसूद, प्रख्यात शायर वासिफ़ फ़ारूक़ी, डा अब्दुल अहद, आर के गोविल समेत सैकड़ों अलीग एवं शहर के सम्मानित व्यक्ति मौजूद थे।
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