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मेला हमारी संनातन धर्म का एक हिस्सा है- भाजपा उपाध्यक्ष बृज बहादुर पाठक

पूजा श्रीवास्तव

मेला हमारी संनातन धर्म का एक हिस्सा जो हमारी अर्थव्यवस्था और धर्म दोनों को समानांतर रुप से विकास और शोध का काम कराता है। यही वजह मेलों का वर्णन वेदो और पुराणों में भी मिलता है। केतकी मेला नदियों के किनारे लगने वाली श्रंखला में उत्तर प्रदेश की राजधानी में गोमती नदी के तट पर लगने वाला ये मेला संनातन धर्म को दर्शाता ं। इस बात ये नए रंग नए रूप में इस बार होने जा रहा है। यें बातें भव्य केतकी मेले के उद्घाटन करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष बृज बहादुर पाठक ने झूलेलाल वाटिका हनुमान सेतु डालीगंज लखनऊ में कही।

मेले के आयोजक सनी गुप्ता ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी केतकी मेला को नए रंग रूप में सजाया जा रहा है यह मेला 15 दिसम्बर से 45 दिनों तक चलेगा ।
उन्होंने बताया कि इस मेले में काश्मीर की शॉल,खुर्जा की क्राकारी ,फिरोजाबाद की चुड़ी,सहारनपुर का फर्नीचर,भदोही की कालीन,लखनऊ की कालीन,बनारस की साड़ी,गोवा के डिजाइनर शूट,कानपुर का पर्स की बहुरंगी स्टॉल व आकर्षक झूले, बच्चो के खिलौने और स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध रहेंगे।

 

 

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