महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में हिंदी शिक्षण अभिगम, पाठ्य-सामग्री विकास एवं मूल्यांकन पर केंद्रित संवाद और कार्यशाला में वंडरबिल्ट विश्वविद्यालय, अमेरिका के एशियाई अध्ययन विभाग में वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. एलियट मैक कार्टर ने कहा कि हिंदी का भविष्य संभावनापूर्व है। हिंदी सीखने के प्रति दुनियाभर में लोग रुचि ले रहे हैं। हिंदी शिक्षण हेतु एक मानक अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाषा सीखने-सिखाने से राष्ट्रों के बीच संबंधो में सुधार होता है। यह कार्यक्रम आगामी 06 जनवरी, 2023 तक संचालित होगा। कार्यशाला को अमेरिका की फुलब्राइट संस्था के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। हिंदी, उर्दू तथा संस्कृत के ज्ञाता डॉ. कार्टर ने अमेरिका में हिंदी शिक्षण की कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए बताया कि वहाँ शिक्षा बहुत महंगी है तथा अधिकतर विश्वविद्यालयों के प्रशासक भाषा शिक्षण को कम महत्व देते हैं।
इस दौरान हुई चर्चा में पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, अंतरराष्ट्रीय हिंदी शिक्षण केंद्र के अध्यक्ष प्रो. कृष्णकुमार सिंह, डॉ. रामानुज अस्थाना, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. एच.ए. हुनगुंद, डॉ. अनिल कुमार दुबे, डॉ. राजीव रंजन राय, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. राम कृपाल, डॉ. मीरा निचळे, डॉ. शैलेश मरजी कदम, डॉ. रवि कुमार, डॉ. मुन्नालाल गुप्ता, डॉ. श्रीनिकेत कुमार मिश्र, डॉ. प्रदीप ने सक्रिय सहभाग लिया। कार्यक्रम का संचालन तथा आभार प्रदर्शन कार्यशाला के संयोजक डॉ. अनिल कुमार दुबे ने किया। कार्यक्रम में प्रिया माळी, रोहण कुमार, कुलदीप, यशवर्धन, अभिषेक यादव, शाश्वती खुंटिआ, बिलकिस बानो, अनुज कुमार गौतम, रिमझिम सिन्हा, जावेद शेख आदि शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भी सहभागिता की।