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राजनीति में उतार-चढ़ाव आते ही रहते है बसपा प्रमुख मायावती

           ब्लू बुक ’’मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा, के 19वें भाग का विमोचन

बहुजन समाज पार्टी लगातार हो रहे सभी चुनावों में मत प्रतिशत दहाई से घटकर इकाई रह गया है और पार्टी के अस्तित्व पर भी खतरा बन रहा है इस सवाल के जवाब में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती का कहना है कि ये तो राजनीति है इसमें इस तरह के ऊतार और चढाव आते ही रहते है। उन्होंने कहा कि वह किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगीे जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गठबंधन न करने पर उनको मत प्रतिशत गिरने के साथ ही साथ सिर्फ एक ही सीट मिली थी जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में गठबंधन के साथ होने पर उनको 10 लोकसभा सांसद भी मिले थे। यें बातें अपने जन्मदिन’’जनकल्याणकारी दिवस’’पर अपनी पुस्तक बी.एस.पी. की ब्लू बुक ’’मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा, के 19वें भाग का विमोचन एवं प्रेसवार्ता के दौरान बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती ने माल एवेन्यु बसपा मुख्यालय लखनऊ में कही।
जिस तरह में विपक्ष एवं इंटेलेक्चुअल और गैर सरकारी संस्थान संस्थाओं ने ईवीएम का विरोध दर्ज कर रहें है और बसपा इसका विरोध सड़कों पर उतर कर कब करेंगी
इस सवाल के जवाब में सुश्री मायावती जी ने कहा कि बी.एस.पी. कैडर बेस पार्टी है तथा पार्टी से जुड़े लोगों के तन, मन, धन की शक्ति से चलती है और इसीलिए हमारे अपने तौर-तरीके हैं जो दूसरी पार्टियों से अलग हैं। बात-बात पर सड़क पर उतरना दूसरी पार्टियों का तौर-तरीका है, हमारी पार्टी का नहीे। बी.एस.पी. छोटे-छोटे कैडर बैठकों के जरिये समाज से जुडती है और यह कार्यक्रम बराबर चलता रहता है तथा अभी भी देश भर में यह कार्यक्रम जारी है।
राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिलने के सम्बंध में पूछे गये एक सवाल के जवाब सुश्री मायावती जी ने कहा कि, हाँ मुझको निमंत्रण मिला है। और जहाँ तक उसमें शामिल होने का सवाल है तो उस बारे में अभी इसका मैंने कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन अयोध्या में 22 जनवरी को राम मन्दिर को लेकर जो भी कार्यक्रम होने के लिए जा रहा है उसका हमारी पार्टी को कोई भी ऐतराज नहीं है। तथा इसका पार्टी स्वागत करती है इतना ही नहीं बल्किी आगे चलकर जब बाबरी मस्जिद को भी लेकर ऐसा कोई प्रोग्राम होता है तो फिर उसको भी लेकर हमारी पार्टी को कोई भी ऐतराज नहीं होगा क्योंकि हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और सभी धर्मों का पूरा-पूरा सम्मान करती है।
सुश्री मायावती ने कहा कि सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय के लिए और उसमें भी ख़ासकर दलितों, आदिवासियों, अति-पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ ग़रीबों, मज़दूरों, बेरोज़गारों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, व्यापारियांे, कर्मचारियों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के हित एवं कल्याण के लिए भी अनेकों अति-महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजनायें शुरू की है जिनकी अब देश में दूसरी पार्टियों की सरकारें नकल करके व नाम एवं थोड़ा स्वरूप बदलकर भुनाने में लगी है, लेकिन उनकी जातिवादी, पूँजीवादी, संकीर्ण व साम्प्रदायिक सोच होने की वजह से उनका इन्हें सही से पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा
बसपा प्रमुख मायावाती ने कहा कि अब तो इनको केन्द्र व राज्यों की सरकारों द्वारा गरीबी, बेरोजगारी व मंहगाई आदि   से मुक्ति दिलाने की बजाय तथा रोटी-रोजी व रोजगार के भी साधन उपलब्ध कराने की गारन्टी देने की बजाय इन्हें फ्री में थोड़ा सा राशन आदि देकर अपना गुलाम व लाचार एवं मोहताज और बनाया हुआ है, जबकि हमने यहाँ यू.पी. में अपनी पार्टी के नेतृत्व में चार बार रही सरकार के दौरान् इन लोगों को वर्तमान सरकारों की तरह अपना गुलाम व लाचार एवं मोहताज ना बनाकर, बल्कि इन्हें बड़ी तादाद् में सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में रोटी-रोजी एवं रोजगार आदि के साधन उपलब्ध कराके व इनकी गारन्टी देकर काफी हद तक इनको अपने पैरों पर खड़ा किया है। साथ ही, इन्हें मान-सम्मान व स्वाभिमान की जिन्दगी बसर करने का भी काफी मौका दिया है जो वर्तमान में हमें कहीं पर भी होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
और इसीलिए अब पिछले कुछ वर्षों से केन्द्र व राज्यों की भी सरकारांे द्वारा अपनी इन सब कमियों पर पर्दा डालने के लिए जिस प्रकार से धर्म व संस्कृति की आड़ में राजनीति की जा रही है तो उससे अपने देश का संविधान एवं लोकतन्त्र मजबूत नहीं बल्कि कमजोर ही होगा।
बसपा प्रमुख ने कहा कि देश में एस.सी., एस.टी., व ओबीसी वर्गों के लोगों को सरकारी नौकरियों एवं अन्य ओर क्षेत्रों में भी आरक्षण दिये जाने की संविधान में जो व्यवस्था की गई है तो उनका भी अब इन विरोधी पार्टियों की रही सरकारों में इन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है तथा अन्य ओर मामलों में भी इनकी लगभग यही खराब व दयनीय स्थिति बनी हुई है
इसीलिए बी.एस.पी. देश में जल्दी ही घोषित होने वाला लोकसभा का आमचुनाव, यहाँ के करोड़ों गरीबों एवं उपेक्षित वर्गों में से विशेषकर दलितों, आदिवासियों, अति-पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों के बलबूते पर पूरी तैयारी व दमदारी के साथ ‘‘अकेले‘‘ ही लड़ेगी, क्यांेकि गठबन्धन करके चुनाव लड़ने से हमारी पार्टी को फायदा कम व नुकसान ज़्यादा होता है। लेकिन अब किसी भी चुनाव के बाद हमारी पार्टी खासकर कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में केन्द्र व राज्यों की सही बनी सरकारों में व उनकी जरूरत को ध्यान में रखकर अपनी उचित भागेदारी के आधार पर शामिल भी हो सकती है।  ऐसे में अब पूर्व की तरह पार्टी बाहर से फ्री में समर्थन नहीं देने वाली है ताकि अपने लोगों के हितों में कुछ जरूरी कार्य होते रहें।
बहन जी ने कहा कि किगठबन्धन को लेकर पार्टी का यह भी मानना है कि इस मामले में अभी तक का अधिकांशः अनुभव यही रहा है कि गठबन्धन करके चुनाव लड़ने से हमारी पार्टी को फायदा कम व नुकसान ज्यादा होता है तथा इससे पार्टी का वोट प्रतिशत भी कम हो जाता है और फिर बी.एस.पी. से गठबन्धन करने वाली पार्टी को पूरा फायदा पहुँच जाता है। यही मुख्य वजह है कि देश में अधिकांशः पार्टियाँ बी.एस.पी. से गठबन्धन करके चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि हमें बी.एस.पी के हित को भी देखना जरूरी है जिसे मद्देनजर रखते हुये अब बी.एस.पी. के लिए पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अकेले ही चुनाव लड़ना ज्यादा बेहतर होगा। लेकिन अब किसी भी चुनाव के बाद हमारी पार्टी खासकर कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में केन्द्र व राज्यों की सही बनी सरकारों में व उनकी जरूरत को ध्यान में रखकर अपनी उचित भागेदारी के आधार पर शामिल भी हो सकती है, क्योंकि ऐसे में अब पूर्व की तरह पार्टी बाहर से फ्री में समर्थन नहीं देने वाली है ताकि अपने लोगों के हितों में कुछ जरूरी कार्य होते रहें। संक्षेप में मेरा यही कहना है कि हमारी पार्टी, अब देश में जल्दी ही होने वाले लोकसभा के आमचुनाव अकेले ही लड़ेगी अर्थात् किसी भी पार्टी व गठबन्धन के साथ मिलकर यह चुनाव नहीं लड़ेगी।

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