वक्फ संपत्तियों का पूरा विवरण बोर्ड के पास, फिर भी पोर्टल पर दर्ज कराने की जिम्मेदारी मुतवल्लियों पर क्यों? — अनीस मंसूरी
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि वक्फ संपत्तियों की हिफाजत और निगरानी के लिए गठित वक्फ बोर्ड अब अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि वक्फ अधिनियम 1995 में धारा 54 के तहत नाजायज़ कब्जे हटाने और धारा 52 के तहत बिक चुकी वक्फ संपत्तियों को वापस हासिल करने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद, वक्फ संपत्तियों का पूरा विवरण बोर्ड के पास होने के बावजूद अब पोर्टल पर संपत्ति का रिकॉर्ड दर्ज कराने की जिम्मेदारी मुतवल्लियों पर छोड़ दी गई है, जो अत्यंत अनुचित है।
उन्होंने सवाल उठाया कि प्रदेश की जिन वक्फ संपत्तियों में मुतवल्ली ही नहीं हैं, वहां उम्मीद पोर्टल पर आखिर कौन संपत्तियां दर्ज करेगा? उन्होंने कहा कि यह कार्य वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारी है, जिसे पारदर्शिता के साथ स्वयं संपन्न किया जाना चाहिए, ताकि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर यह मांग की है कि वे न केवल उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड, बल्कि देशभर के सभी वक्फ बोर्डों को निर्देश दें कि उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियां दर्ज करने का कार्य संबंधित वक्फ बोर्ड स्वयं करें, न कि मुतवल्लियों के भरोसे छोड़ा जाए।
उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि
“इस्लाम में वक्फ संपत्तियों की अवधारणा केवल पसमांदा तबके के यतीमों, गरीबों, विधवा महिलाओं और जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई थी। लेकिन वक्फ माफियाओं के बढ़ते प्रभाव के कारण आज इन संपत्तियों का लाभ असली हकदारों तक नहीं पहुंच पा रहा है।”
अनीस मंसूरी ने कहा कि वक्फ बोर्डों को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए नकल और रिकॉर्ड की प्रतिलिपि के नाम पर लोगों को परेशान करना बंद करना चाहिए। धारा 37 के तहत रिकॉर्ड प्राप्त करने में हो रही मनमानी न केवल वक्फ अधिनियम की भावना के विपरीत है, बल्कि इससे भ्रष्टाचार और अविश्वास की स्थिति भी पैदा हो रही है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि देशभर की वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण सीधे वक्फ बोर्डों की जिम्मेदारी बनाकर इसे पारदर्शी और जनहितकारी बनाया जाए, ताकि वक्फ की असली मंशा पसमांदा, गरीब, यतीम, बेवाओं और जरूरतमंदों की सेवा पूरी तरह साकार हो सके।
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