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शिक्षा के विकास में आईसीटी की भूमिका

– प्रिया कुमारी, शोधार्थी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)

हम जानते हैं कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में युवाओं को अपने भविष्य की चिंता सताती रहती है, मित्रों के कहने पर वह ट्यूशन या अन्य शहरों में जाकर पढ़ना शुरू कर देते हैं लेकिन  परिवार की स्थिति के कारण वह ज्यादा दिन तक समय नहीं दे पाते और पैसों की तंगी के कारण उन्हें घर वापस लौटना पड़ता है। वर्तमान परिप्रेक्ष में अगर देखा जाए तो देश के छोटे से लेकर बड़े व्यक्ति अमीर से लेकर गरीब व्यक्ति के पास स्मार्टफोन उपलब्ध है। युवा अब इतना सक्षम हो गए हैं कि वे अन्य शहर में न जाकर अपने सब्जेक्ट के अनुसार विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन ऐप के माध्यम से घर से ही ट्यूशन कर सकते है। हालांकि अभी भी भारत को शिक्षा के क्षेत्र में ध्यान देने की जरूरत है। सतत विकास वर्ष 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक कई लड़के और लड़कियाँ गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से दूर है।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी क्या है?
आईसीटी का पूर्ण रूप देखे तो (इनफॉरमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) होता है, जिसका तात्पर्य सूचना प्रौद्योगिकी से है  जिसके माध्यम से संप्रेषण कार्य अत्यधिक प्रभावी ढंग से संपन्न किया जाता है। इसका संबंध वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के ऐसे संसाधनों से होता है जिनके माध्यम से त्वरित गति से सूचनाओं का प्रभावी ढंग से आदान-प्रदान होता है। सामान्य अर्थ में किसी तथ्य अर्थात् सूचना को जानना एवं उसे अविलंब रूप में पहुंचाना जिस रूप में वह है, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी कहलाता है।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आई सी टी)  संचार के नवीनतम साधनों से है। इसके माध्यम से शैक्षिक सूचनाओं और गतिविधियों का त्वरित एवं प्रभावी आदान-प्रदान संभव होता है।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास से विभिन्न अन्य क्षेत्रों में काफी परिवर्तन आया है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के साधनों की ज्ञान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका को देखा जा सकता है जैसे रुचि और ज्ञान बढ़ाना शैक्षिक प्रौद्योगिकी साधनों का प्रयोग शिक्षण -अधिगम के निरश वातावरण में एक उत्साहपूर्ण ज्ञानवर्धन का विकास करता है जिसके परिणाम स्वरुप शिक्षार्थी कठिन से कठिन कार्य को सीखने समझने में पर्याप्त रुचि और उत्साह दिखाते हैं।
शिक्षा के विकास में उपयोगी तकनीके
ई-लर्निंग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करके शिक्षार्थियों को किसी भी समय पर शिक्षा उपलब्ध कराना ई-लर्निंग कहलाता है। ई-लर्निंग सुविधा प्रभावी इंटरनेट के द्वारा होती है। ज्ञान की खोज के साथ-साथ ज्ञानवृद्धि एवं विकास में ई-लर्निंग की महत्वपूर्ण भूमिका है।

ई-लर्निंग के साधन :-
१- पॉडकास्ट
यह सामग्री (Content) वितरित करने के लिए एक माध्यम है क्योंकि इन्हें कंप्यूटर और मोबाइल उपकरणों पर प्रयोग किया जा सकता है। यह त्वरित और रिकॉर्ड करने में आसन होते हैं।

२- ब्लॉगिंग

यह छात्रों और उपयोगकर्ताओं  के लिए केस स्टडी और प्रयोग, सीखे गए पाठों तथा सांस्कृतिक रीति रिवाज के लिए एक आसान प्रयोग है।

३- यू -ट्यूब

यह ई-लर्निंग के लिए सबसे उत्कृष्ट संसाधनों में से एक है। यह प्रशिक्षकों (Instructors) द्वारा ट्यूटोरियल प्रसारित करने के लिए उपयोग किया जाता है। छात्र वीडियो देख सकते हैं और अपने सुझाव दे सकते हैं।

४- ट्विटर

इसका प्रयोग सीखने वाले समुदायों या कक्षाओं को किसी विशेष घटना या विषय से जोड़ने तथा शेयर करने के लिए किया जाता है।
शिक्षक एवं अधिगम को बढ़ावा देने हेतु की जा रही महत्वपूर्ण पहल…..
विश्वविद्यालय ने समाज में योगदान देने वाली शिक्षा व ज्ञान को नवाचार के साथ बढ़ावा दिया है। इसी के परिणाम स्वरुप गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे विद्यार्थी बड़ी संख्या में लाभान्वित हो रहे हैं।

५- स्वयं (Swayam)

स्वयं एक विशाल ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम की पहल है, जिसका अर्थ है छात्रों को स्वयं पहल के तहत शैक्षणिक पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध कराना है। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल Swayam. gov.in है इसमें उच्च माध्यमिक स्तर से स्नातक स्तर तक के पाठ्यक्रम उपलब्ध होते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के गरीब व पिछले छात्रों को शिक्षा से जोड़ना है, जो वर्तमान में भी डिजिटल क्रांति से दूर हैं।

६- स्वयं प्रभा (Swayam Prabha)

स्वयं प्रभा प्रत्यक्ष रूप से डायरेक्ट टू होम (सीधे आपके घर) सुविधा है, जिसका उद्देश्य कक्षा में दिए गये व्याख्यान और अनुभव को 32 डिजिटल शैक्षिक टेलीविजन के माध्यम से इच्छुक छात्रों को उपलब्ध कराना है यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वाधान में कार्यरत है इसके माध्यम से वीडियो और विषय विशेषज्ञों के द्वारा इंटरएक्टिव शिक्षक देने का प्रावधान है।

७- नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी

नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी एक ऑनलाइन लाइब्रेरी है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को 70 लाख से अधिक किताबें ऑनलाइन उपलब्ध होगी। यह भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है सभी संस्थान या अंगीकृत महाविद्यालय शीघ्र इस ही इस लाइब्रेरी से https:/ndl.iitkgp.ac.in/ के माध्यम से जुड़ सकते हैं। इसमें सभी बून को आईआईटी खड़कपुर के सहयोग से डिजिटलाइज किया गया है। इससे देश के किसी भी भाग में कोई भी व्यक्ति NDL को लॉग इन कर नेशनल  डिजिटल लाइब्रेरी से जुड़कर लाभान्वित हो सकता है।

८- राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी

राष्ट्रीय शैक्षिक डिपॉजिटरी एक ऑनलाइन बैंक है। इसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का महत्वपूर्ण प्रयास भी शामिल है। इस बैंक का उपयोग शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा शैक्षिक डिग्री प्रमाण पत्र और देश के उच्चतर शिक्षण संस्थाओं द्वारा प्रदान किया जाने वाला डिप्लोमा प्रपत्रों को सुरक्षित रखने में किया जा सकता है।

 

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