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कुलाधिपति प्रो. त्रिपाठी के निधन से गुरु, ज्ञान परंपरा की अपूरणीय क्षति डॉ. भीमराय मेत्री

हिंदी विश्वविद्यालय ने प्रो. कमलेशदत्त त्रिपाठी को दी भावभीनी श्रद्धांजलि

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. कमलेशदत्त त्रिपाठी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री ने कहा कि प्रो. त्रिपाठी के निधन से भारतीय ज्ञान और परंपरा को अपूरणीय क्षति पहुंची है। उन्होंने कहा कि उनका स्मृतिशेष होना समस्त विश्वविद्यालय परिवार के लिए एक अंतहीन पीड़ा के समान है। हम सभी परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि प्रभु उन्हें सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य तथा सायुज्य मुक्ति प्रदान करें। प्रो. त्रिपाठी का 03 दिसंबर को मध्य प्रदेश के दतिया में निधन हो गया। 2018 से महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहे प्रो. त्रिपाठी को मंगलवार 05 दिसंबर को विवि के कस्तूरबा सभागार में श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। अपने व्यक्तव्य में कुलपति ने कहा कि प्रोफेसर त्रिपाठी ने एक साथ भारतीय विद्याविदों, कलाविदों, सर्जनशील कलाकारों और रंगकर्मियों के बौद्धिक क्षितिज को बदलकर उनमें शास्त्र एवं परंपरा के प्रति न्यायसंगत रूप में गौरव जगाने के लिए अथक् प्रयास किया। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रो. त्रिपाठी को 10 वर्षों के लिए कालिदास अकादमी, उज्जैन के निदेशक के रूप में आमंत्रित किया गया जहाँ उन्होंने अकादमी की अवधारणा को मूर्त रूप दिया तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर प्रतिष्ठित किया। विभिन्न विश्वविद्यालयों, कला अकादमियों तथा उच्च शैक्षणिक संस्थाओं से संयुक्त रहते हुए प्रो. त्रिपाठी को 2007 में भारत के महामहिम राष्ट्रपति से ‘सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट’ पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें सन 2007 से 2016 तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के परामर्शदाता के रूप में मनोनीत किया गया, जहाँ उन्होंने भारतीय कला एवं सौन्दर्यशास्त्र पर विभिन्न गतिविधियों को संचालित किया। उन्होंने अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया तथा जापान, हालैण्ड, आस्ट्रिया, पोलैण्ड, फ्रांस, थाईलैण्ड, फिनलैण्ड, स्पेन, चीन और स्वीडेन आदि देशों में भारतीय ज्ञान परंपरा को आलोकित किया। कुलपति ने कहा कि प्रो. त्रिपाठी के व्यक्तित्व में असाधारण वक्तृत्व कौशल, धाराप्रवाह शिक्षण क्षमता, वाक्पटुता और प्रशासनिक कौशल का एक दुर्लभ संयोजन था। इस अवसर पर कुलसचिव कादर नवाज खान, प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. अवधेश कुमार, डॉ. जगदीश नारायण तिवारी तथा आभासी माध्यम से प्रयागराज केंद्र से डॉ. सुप्रिया पाठक ने प्रो. त्रिपाठी को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रो. त्रिपाठी जी का सोमवार 04 दिसंबर को वाराणसी के हरिश्चन्द्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। हिंदी विश्वविद्यालय की तरफ से प्रयागराज केंद्र पर कार्यरत डॉ. सुप्रिया पाठक, डॉ. अवंतिका शुक्ला, डॉ अख्तर आलम, श्री शरद जायसवाल, डॉ. मिथिलेश कुमार और राहुल त्रिपाठी ने वाराणसी में उनके आवास पर जाकर उनके पार्थिक शरीर पर पीताम्बरी और फूलमाला चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

 

 

 

 

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