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स्मारक अनुरक्षण की प्रारम्भिक तैयारियों, अनुरक्षण की विधियों एवं तकनीकों पर चर्चा

तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिवस का सत्र राज्य संरक्षित स्मारक आलमबाग प्रवेश द्वार, लखनऊ में आयोजित किया गया। इस अवसर पर पुरातत्व विभाग से प्रदीप सिंह (पुरातत्व अभियंता) एवं इंटैक से अंशिका, प्रतिष्ठा और पंकज पांडेय ने सभी प्रतिभागियों के साथ स्मारक का विस्तृत निरीक्षण किया। विशेषज्ञों ने स्मारक अनुरक्षण की प्रारम्भिक तैयारियों, अनुरक्षण की विधियों एवं तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की।

सत्र के अंतर्गत अनुरक्षण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व की अनिवार्य प्रक्रियाओं जैसे—स्मारक का विस्तृत अभिलेखीकरण, फोटोग्राफी, संरचना में व्याप्त समस्याओं का अध्ययन, सैंपलिंग एवं उसकी प्रयोगशाला जांच, उपयुक्त बाइंडिंग मैटेरियल का चयन आदि का प्रायोगिक प्रदर्शन (डिमॉन्स्ट्रेशन) स्थल पर ही किया गया। प्रतिभागियों को यह भी बताया गया कि सामग्री सैंपलिंग के कितने प्रकार होते हैं, कितनी मात्रा में नमूने लेना उचित है तथा निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करने के मानक क्या हैं। इस व्यावहारिक सत्र के माध्यम से प्रतिभागियों को वास्तविक स्मारक पर संरक्षण प्रक्रियाओं को समझने का अवसर मिला।

कार्यशाला के समानांतर पुरातत्व निदेशालय, लखनऊ परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 109वीं जयंती भी श्रद्धा एवं गरिमा के साथ मनाई गई। निदेशक रेनू द्विवेदी के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की तथा परिचर्चा के माध्यम से उपाध्याय जी के जीवन, विचारों एवं उनके राष्ट्र निर्माण में योगदान पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर आलमबाग गेट पर आयोजित सत्र में सहायक पुरातत्व अधिकारी डॉ. मनोज यादव, बलिहारी सेठ, अभयराज सिंह, मयंक, अभिषेक, हिमांशु, निर्भय सहित इंटैक संस्थान के कार्मिक एवं प्रतिभागीगण उपस्थित रहे।

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