नेपाल की रहने वाली 60 वर्षीय महिला मरीज को पेट दर्द की शिकायत थी। फिर नेपाल में जब डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने जांचें करवाई और बताया कि उनके पित्त की नली में पथरी है। वहां पर उनकी सर्जरी की गई जिसमें महिला मरीज का गाल ब्लैडर निकाल दिया गया और पित्त की नली के अन्दर टी ट्यूब डालकर मरीज को सहारा हॉस्पिटल लखनऊ जाकर इलाज करवाने की सलाह दी क्योंकि उन्होंने बताया कि इसका इलाज यहां पर आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था न होने की वजह से सम्भव नहीं है।
उनकी सलाह पर महिला मरीज ने यहां आकर सहारा हॉस्पिटल के गैस्ट्रो एंटरोलॉजिस्ट डॉक्टर अंकुर गुप्ता को दिखाया जहां उन्होंने समस्त जरूरी जांचें व रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें बताया कि इसे इस आर सी पी प्रक्रिया द्वारा पथरी को निकालेंगे। इ आर सी पी से पथरी को निकालना बेहद जटिल था इसलिए टी ट्यूब के द्वारा तार डालकर प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। दुबारा इ आर सी पी करने में उनका प्रयास सफल रहा। पित्त की नली में पड़ी पथरी को इस बार के प्रयास से सफलतापूर्वक निकाल लिया गया।
सहारा हॉस्पिटल में इसे टी ट्यूब के माध्यम से तार डालकर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इस प्रक्रिया को मोडिफाइड “रैन्डेवु ” तकनीक कह सकते हैं।
डाक्टर अंकुर गुप्ता के इस प्रयास को सफल करने में सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टर पुनीत गुप्ता व रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर चन्दन मौर्य का भी बहुत योगदान रहा।
अंततः नेपाल से आएं इस मरीज को अपनी इस पथरी की समस्या से छुटकारा मिला। सहारा हॉस्पिटल में सफल इलाज पाकर नेपाल के रहने वाले मरीज व उसके परिवारजन बेहद सन्तुष्ट थे उन्होंने यहां के इलाज के लिए डॉक्टर अंकुर और डॉक्टर चन्दन मौर्य जी धन्यवाद किया और यहां की सेवाओं व सुविधाओं के लिए मैनेजमेंट की प्रशंसा भी की।
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह जी ने बताया कि हमारे माननीय अभिभावक सहाराश्री जी की प्रेरणा से प्रदत्त विश्वस्तरीय हास्पिटल में न केवल लखनऊ वासियों बल्कि उत्तर-भारत के साथ-साथ नेपाल व सुदूर देशों से आए मरीज भी गंभीर रोगों से निजात पा रहे है। यहां उपलब्ध अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से कुशल व अनुभवी चिकित्सकों की टीम इलाज में दिन रात तत्पर रहते हैं।