लखनऊ, 25 जून 2024, मंगलवार: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने मीडिया के माध्यम से अपनी पार्टी के लोगों के साथ-साथ पूरे देशवासियों को व खासकर कमजोर वर्गों के लोगों को यह अवगत कराया कि, इसमे कोई सन्देह नहीं है कि केन्द्र में सत्ता व विपक्ष द्वारा अब संसद के अन्दर व बाहर भी संविधान की कापी दिखाने की होड में ये लोग सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे लग रहे है। तथा इनकी सोच भी लगभग एक जैसी ही लग रही है।
और इन दोनों ने अन्दर-अन्दर मिलकर अब इस संविधान को अनेकों संशोधनों के जरिये इसे काफी हद तक जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी संविधान बना दिया है। और इन दोनों की अन्दरूणी मिली-भगत होने की बात मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि इन दोनों की भी खासकर कांग्रेस, बीजेपी व अन्य पार्टियों की भी जिन-जिन राज्यों में सरकारंे चल रही है। तो वे सभी राज्य सरकारे वहाँ के लोगों की खासकर गरीबी, बेरोजगारी व मंहगाई आदि को दूर करने में बुरी तरह से विफल हो गई है। और अब उन पर से जनता का ध्यान बांटने के लिए,
इन दोनों की अर्थात् सत्ता व विपक्ष की अन्दरूणी मिली-भगत से ही, जबरदस्ती संविधान बचाने का नाटक किया जा रहा है, जिससे देश की जनता को जरूर सावधान रहना है। और अब ये लोग यानि की सत्ता व विपक्ष अपने-अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए, यहाँ भारतीय संविधान के साथ जो खिलवाड़ कर रहे है। तो यह कतई भी उचित नहीं है। जबकि इन दोनों ने अर्थात् सत्ता व विपक्ष ने अब तक अन्दर-अन्दर मिलकर संविधान में इतने ज्यादा संशोधन कर दिये है, कि अब यह बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की मन्सा वाला समतामूलक, धर्म-निरपेक्ष एवं बहुजन हिताय वाला संविधान नहीं रहा है बल्किी अधिकांश अब यह जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी संविधान ही बनकर रह गया है।
साथ ही अब सत्ता व विपक्ष के जातिवादी मानसिकता के लोग अन्दर-अन्दर मिलकर यहाँ एस सी एसटी और अन्य पिछडा वर्गों का खासकर शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों आदि में इन्हें बाबा साहेब की बदौलत से मिले आरक्षण को खत्म करना चाहते है या फिर इसे निष्प्रभावी बनाके इन्हें यहाँ ये सभी पार्टियाँ इसका पूरा लाभ नहीं देना चाहती है। इसलिए अब संविधान को बचाने के नाम पर व इसकी आड़ में सत्ता व विपक्ष द्वारा जो जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी राजनीति की जा रही है। तो उससे इन वर्गों के लोगों को कतई भी लाभ मिलने वाला नहीं है। और यह बात भी सर्वविदित है कि इस सन्दर्भ में खासकर कांग्रेस व बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोगों ने अन्दर-अन्दर मिलकर यहाँ अति-पिछड़ो के आरक्षण को लेकर आई मण्डल कमीशन की रिपोर्ट को भी अपनी सरकारों में लागू नहीं होने दिया था।
लेकिन वी.पी. सिंह की बनी केन्द्रीय सरकार में इसके लागू होने पर भी तब फिर इन दोनों पार्टियों ने अर्थात् कांग्रेस व बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोगों ने पूरे देश में इसका पर्दे के पीछे से काफी डटकर विरोध भी कराया था। और इसको लेकर पूरे देश में जबरदस्त आन्दोलन व तोड़फोड़ आदि भी खूब कराई गई थी। यह सब किसी से छिपा नहीं है। और इन्हीं दोनों पार्टियों ने मिलकर आगे केन्द्र में रही कांग्रेसी सरकार के समय में, फिर संसद में समाजवादी पार्टी को आगे करके व इनकी मद्द से देश में ैब् व ैज् वर्गों के सरकारी कर्मचारियों का पदोन्नति मंे आरक्षण को प्रभावी बनाने के लिए, बी.एस.पी. के अति संघर्ष के बाद लाये गये सम्बन्धित संशोधन बिल को भी पास नहीं होने दिया था।
तथा इसे सपा सांसदो द्वारा फाड़ भी दिया गया था, जो अभी भी लटका पड़ा है। यू.पी. में सपा सरकार ने तो ैब् व ैज् का पदोन्नति में आरक्षण ही खत्म कर दिया था। ऐसे में सत्ता व विपक्ष ये दोनों मिलकर संविधान को बचा नहीं रहे है। बल्किी इसकी आड़ में ये लोग केवल अपना राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध कर रहे है। और ये दोनों अर्थात् सत्ता व विपक्ष के लोग अन्दर-अन्दर मिलकर संविधान मंे बाबा साहेब के अथक प्रयासों से खासकर ैब्ए ैज् व व्ठब् वर्गों को मिले आरक्षण को भी खत्म करना चाहते है या फिर इसे निष्प्रभावी बना देना चाहते है। और यही मुख्य कारण है कि तभी ये लोग पूरे देश में जातीय आधार पर जनगणना आदि नहीं कराना चाहते है।
विपक्ष कहता रहता है लेकिन जितना उसे गम्भीर होना चाहिये वो इस मामले में उतना गम्भीर नहीं है और ये दोनों अन्दर-अन्दर मिले हुये है और इस मामले में भी ये लोग अन्दर-अन्दर मिलकर केवल अपने वोटों की ही राजनीति कर रहे है। इस प्रकार से सत्ता व विपक्ष अन्दर-अन्दर मिलकर आयदिन बड़ी संख्या में कर रहे संशोधनों के जरिये बाबा साहेब के बनाये गये समतामूलक, धर्म-निरपेक्ष एवं बहुजन हिताय वाले संविधान को बदलकर जो इसे जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी संविधान बनाना चाहते है, तो इसे बनाने से रोकने के लिए अब पूरे देश में ठैच् के बैनर तले खासकर ैब्ए ैज्ए व्ठब् एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के लोगों को इन्हें अपने हितों में भाईचारे के आधार पर जोड़ने की इस समय काफी ज्यादा जरूरत है। जिसकी काफी कुछ विस्तार से जानकारी दिनांक 23 जून की लखनऊ प्रदेश कार्यालय में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय स्तरीय बैठक में दी गई है।
जिस पर पार्टी के जिम्मेवार लोगों को पूरी ईमानदारी व निष्ठा से अमल करने की भी जरूरत है। अर्थात् अब इन वर्गों के लोगों को इस ओर जरूर विशेष ध्यान देना चाहिये। यही बी.एस.पी. की इनसे पूरजोर अपील भी है। वरना फिर इन वर्गों को भारतीय संविधान में मिले कानूनी अधिकार अधिकांश खत्म हो जायेंगे, जिसे अब सत्ता व विपक्ष, इन दोनों से बचाना बहुत जरूरी है। इस उम्मीद के साथ ही, अब मैं अपनी बात यहीं समाप्त करती हूँ।