चालू वित्तीय वर्ष में, वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने देश भर में सक्रिय फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) और गड़बड़ी करने वाले सिंडिकेट के सरगनाओं की पहचान करने और उन्हें पकड़ने पर विशेष बल दिया है। वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने उन्नत तकनीकी उपकरणों की सहायता से डेटा विश्लेषण का उपयोग करके मामलों को सुलझाया है जिससे कर चोरों की गिरफ्तारी हुई है। ये टैक्स सिंडिकेट अक्सर भोले-भाले व्यक्तियों का उपयोग करते हैं और उन्हें नौकरी/कमीशन/बैंक ऋण आदि का प्रलोभन देकर अपने ग्राहकों को जानें (केवाईसी) दस्तावेज़ प्राप्त करते हैं, जिनका उपयोग उनकी जानकारी और सहमति के बिना नकली/शेल फर्म/कंपनियां बनाने के लिए किया जाता था।
कुछ मामलों में, अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रणाली का उपयोग संबंधित व्यक्ति की जानकारी में उन्हें छोटे आर्थिक लाभ देकर किया जाता था।
वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) द्वारा इस अवधि के दौरान निम्नलिखित मामलों का पता लगाया गया
● वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) को पता चला कि फर्जी/अवैध फर्मों का एक सुव्यवस्थित रैकेट हरियाणा के सिरसा से संचालित हो रहा है। ई-वे बिल पोर्टल का उपयोग कर डेटा विश्लेषण के आधार पर यह पता चला कि मैसर्स एस.डी. ट्रेडर्स, दिल्ली, एक नई-पंजीकृत फर्म थी जिसकी मूल स्तर पर आवक आपूर्ति शून्य थी, फिर भी इसने बड़ी संख्या में ई-वे बिल तैयार किए।
इसके अलावा, मैसर्स एस.डी. ट्रेडर्स,के बाहरी आपूर्ति के विश्लेषण पर शुरुआत में दिल्ली और हरियाणा क्षेत्र में 38 गैर-मौजूद फर्मों का खुलासा हुआ था। आईपी एड्रेस के विश्लेषण पर, सिरसा में एक परिसर की पहचान की गई, जिसका उपयोग वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) रिटर्न भरने के लिए किया जा रहा था। हरियाणा के सिरसा में तलाशी ली गई और यह पाया गया कि उक्त परिसर से नकली/फर्जी फर्मों का एक सुव्यवस्थित रैकेट संचालित किया जा रहा था। कुछ दस्तावेजी सबूत, 2 लैपटॉप, 7 मोबाइल फोन, विभिन्न सिम कार्ड जब्त किए गए और फर्जी फर्मों के रैकेट के प्रमुख संचालकों में से एक मनोज कुमार को वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) द्वारा सिरसा से गिरफ्तार किया गया। बाहरी आपूर्ति डेटा के विश्लेषण से 1,100 करोड़ रुपये की फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की संभावित चोरी का संकेत मिलता है।
● एक अन्य दिलचस्प मामले में, वास्तविक माल की रसीद के बिना, सोनीपत, हरियाणा और दिल्ली स्थित कुछ फर्जी फर्मों से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ प्राप्त करने के लिए वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) द्वारा जयपुर, राजस्थान स्थित एक लाभार्थी फर्म के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। आगे की जांच करने पर, यह पता चला कि मैसर्स श्री जी स्पाइसेस, चांदनी चौक, दिल्ली, के मालिक आशुतोष गर्ग, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और कमीशन के बदले अयोग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को हस्तांतरित करने के उद्देश्य से फर्जी फर्मों के निर्माण, संचालन और बिक्री में लगा हुआ था। श्री गर्ग और संबंधित व्यक्तियों के व्यावसायिक परिसर (दिल्ली) के साथ-साथ आवासीय परिसर (गाजियाबाद) में भी तलाशी ली गई। उपरोक्त परिसर से महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए गए हैं जिनसे पता चलता है कि श्री गर्ग ने फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पर 294 फर्जी फर्मों के माध्यम से 1,033 करोड़ रुपये की राशि पारित की और कर योग्य मूल्य के 1.25 प्रतिशत की दर से कमीशन प्राप्त किया। इसके अलावा, श्री गर्ग को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
● एक अन्य मामले में, खुफिया जानकारी मिली कि पश्चिमी सागरपुर, दिल्ली में विभिन्न गैर संबंधित/फर्जी फर्मों के वस्तु और सेवकर (जीएसटी) रिटर्न दाखिल करने के लिए एक विशिष्ट आईपी एड्रेस का उपयोग किया गया था। इसके अनुसार, सागरपुर, नई दिल्ली में एक खोज की गई, और एक श्री मुकेश कुमार झा के पास से एक डेस्कटॉप, इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरेज डिवाइस, कई मोबाइल फोन, चेक-बुक, रबर स्टैम्प, रेंट एग्रीमेंट, बैनर आदि बरामद किए गए। श्री कुमार ने बताया कि वह श्री अमित कुमार झा, श्री रोशन और श्री वंश चौधरी के निर्देश पर काम करते हैं और वे उत्तम नगर, दिल्ली में एक कार्यालय से संचालित होते हैं। इसके अनुसार, दिल्ली के उत्तम नगर में भी तलाशी ली गई और तीनों व्यक्ति उक्त परिसर में मौजूद पाए गए। हिरासत में ली गई तलाशी और साक्ष्यों के आधार पर चारों व्यक्तियों ने दर्ज बयान में अपनी भूमिका स्वीकार करते हुए 122 फर्जी फर्मों के निर्माण और संचालन की बात स्वीकार की, जिसके माध्यम से फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) बनाई गई और माल/सेवाओं की सहवर्ती आपूर्ति के बिना प्राप्तकर्ता फर्मों को 315 करोड़ रुपये दिए गए। इसके अनुसार, सभी चार सरगनाओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
● एकत्र की गई खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि विभिन्न ओपीसी (एक व्यक्ति कंपनियां) का गठन किया गया था या सेवाओं की आपूर्ति में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी शुरू करने के लिए, मुख्य रूप से सह-कार्यशील स्थानों का उपयोग करके, 4-8 प्रतिशत कमीशन के लिए बाजार से खरीदा गया था। एकत्रित खुफिया जानकारी और आगे के विश्लेषण के आधार पर, पीतमपुरा, दिल्ली में एक तलाशी ली गई और विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, पैन कार्ड, एक ही फोटो वाले लेकिन अलग-अलग नाम वाले आधार कार्ड, 01 लैपटॉप, सिम कार्ड के साथ 04 मोबाइल फोन बरामद किए गए। साक्ष्य से संकेत मिलता है कि 190 फर्जी फर्में बनाई गईं और अयोग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की राशि 393 करोड़ रुपए पारित किए गए। एक अन्य व्यक्ति श्री राहुल, जो परिसर में उपलब्ध था, ने फर्जी फर्मों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात स्वीकार की, जिसके पास दिल्ली-एनसीआर में फर्जी फर्मों को बनाने/संचालित करने में उपयोग किए गए डिजिटल हस्ताक्षर प्राप्त करने के लिए जाली 06 पैन कार्ड और 05 आधार कार्ड थे, उसे वस्तु और सेवाकर महानिदेशालय (डीजीजीआई) द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
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