भारतीय नवीकरणीय उर्जा कंपनी – एसीएमई और जापानी भारी उद्योग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईएचआई के बीच भारत से जापान के लिये हरित अमोनिया आपूर्ति के एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किये गये
जापान और अन्य विकसित देशों में हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया की भारी आवश्यकता है, जो कि भारत सबसे प्रतिस्पर्धी दर पर उपलब्ध कराने में सक्षम होगाः
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा द्वारा स्थापित की गई भारत- जापान स्वच्छ उर्जा भागीदारी दोनों देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ा रही हैः भारत में जापान के राजदूत हिरोशी सुजूकी
भारत की अग्रणी नवीकरणीय उर्जा कंपनी एसीएमई समूह और जापान के एकीकृत भारी उद्योग समूह आईएचआई कार्पाेरेशन ने ओडीशा, भारत से जापान के लिये हरित अमोनिया आपूर्ति के लिये एक आफटेक टर्म शीट पर हस्ताक्षर किये हैं। टर्म शीट पर एसीएमई समूह के संस्थापक और चेयरमैन मनोज उपाध्याय और आईएचआई कार्पाेरेशन के अध्यक्ष एवं सीईओ हिरोशी आईडे ने केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा मंत्री आर.के. सिंह, नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला और भारत में जापान के राजदूत हिरोशी सुजूकी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।
जापान की कंपनी आईएचआई और भारतीय कंपनी एसीएमई के बीच इस टर्म शीट के तहत ओडीशा की गोपालपुर परियोजना के फेज-1 से दीर्घकालिक आधार पर 0.4 एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष) हरित अमोनिया की आपूर्ति की जायेगी। दोनों कंपनियां उत्पादन से लेकर लाजिस्टिक, जापानी उपभोक्ताओं को आपूर्ति और कुल मिलाकर उत्सर्जन में कमी लाने के लिये विद्युत उत्पादन के विभिन्न अनुप्रयोगों तथा जापान में विभिन्न औद्योगिक उपयोगों में हरित अमोनिया के लिये बाजार सृजन के वास्ते भागीदारी करना चाहती हैं।
समझौते के बारे में अपनी बात कहते हुये केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय मंत्री आर. के. सिंह ने कहा कि हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के क्षेत्र में यह दुनिया का सबसे पहला और सबसे बड़ा समझौता है। ‘‘जापान भारत का एक करीबी दोस्त और भागीदार रहा है। हरित गतिविधियों को बढ़ाने वाला नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र का यह गठबंधन हमारी भागीदारी को और मजबूत बनायेगा। हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया बनाने की भारत की लागत दुनिया में पहले ही सबसे प्रतिस्पर्धी है। हम दुनिया में हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया विनिर्माण करने वाले सबसे बड़े विनिर्माताओं में एक बनकर उभर रहे हैं।’’
मंत्री ने भारत और जापान के बीच भागीदारी के रणनीतिक महत्व को भी रेखांकित किया। ‘‘जापान के साथ हमारी भागीदारी रणनीतिक है, यह और मजबूत होगी। जापान और अन्य विकसित देशों में हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया की बड़ी आवश्यकता है, जिसकी भारत बहुत ही प्रतिस्पर्धी दरों पर आपूर्ति करने में सक्षम है।’’
श्री सिंह ने कहा कि यह समझौता एक एतिहासिक अवसर है, जो कि एक नई दुनिया की ओर ले जायेगा। ‘‘यह एक नई दुनिया होगी जहां हम जीवाश्म ईंधन और कार्बन के स्थान पर हरित और नवीकरणीय ईंधन जैसे कि हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया का इस्तेमाल करेंगे। मैं इस भागीदारी के लिये एसीएमई और आईएचआई दोनों को बधाई देता हूं। आने वाले समय में जापान और भारत के बीच यह भागीदारी और बड़ी व मजबूत हो ऐसी मेरी कामना है।’’
भारत में जापान के राजदूत हिरोशी सुजूकी ने रणनीतिक भागीदारी के बारे में अपनी बात रखते हुये कहा कि टर्म शीट पर हस्ताक्षर होना एक प्रमुख पड़ाव है। उन्होंने कहा ‘‘भारत में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी हरित हाइड्रोजन की संभावना को देखते हुये एसीएमई और आईएचआई के बीच की यह भागीदारी उल्लेखनीय रूप से सफल होगी। भारत और जापान के बीच उर्जा क्षेत्र में सहयोग को और आगे ले जाने में मैं जापान सरकार के दृढ. समर्थन को व्यक्त करता हूं।’’
राजदूत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा द्वारा स्थापित भारत- जापान स्वच्छ उर्जा भागीदारी दोनों देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ा रही है। ‘‘मैं भारत और जापान के बीच उर्जा क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने में जापान सरकार के दृढ़ समर्थन को व्यक्त करता हूं।’’
राजदूत ने केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय मंत्री से जापान सरकार के आर्थिक, व्यापार और उद्योग मंत्रालयों और भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय को शामिल करते हुये हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया संयुक्त आशय घोषणापत्र (जेडीआई) पर जल्द हस्ताक्षर कराने का भी आग्रह किया।
एमसीएमई समूह के अध्यक्ष एवं निदेशक अश्वनी डुडेजा ने इस अवसर पर कहा, ‘‘भारत निर्यात के साथ साथ घरेलू खपत के लिये ऐसे अनुप्रयोगों जिन्हें अन्यथा कार्बन मुक्त करना मुश्किल है, में नवीकरणीय संसाधनों को विकसित करने और प्रतिस्पर्धी हरित अणुओं का उत्पादन करने की अच्छी स्थिति में है। ’’ उन्होंने गोपालपुर में हरित अमोनिया परियोजना को विकसित करने में भारत सरकार और ओडीशा सरकार के समर्थन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
आईएचआई कॉर्पाेरेशन के निदेशक और प्रबंध कार्यकारी अधिकारी जून कोबायशी ने कहा, ‘‘यह समझौता एसीएमई के साथ हमारे पहले के सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर आधारित है और यह इस नई पीढ़ी के ईंधन के लिये बाजार विकसित करने में दोनों कंपनियों के बीच मजबूत संबंधों और गठबंधन का प्रतिनिधित्व करता है।’’
इससे पहले दोनों कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधन ने भुवनेश्वर की यात्रा की और ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और ओडीशा सरकार के अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। ओडीशा के गोपालपुर में हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया परियोजना को एसीएमई द्वारा तैयार किया जा रहा है जिसकी कुल क्षमता 1.2 एमएमटीपीए तक होगी और इसे अलग अलग चरणों में तैयार किया जायेगा, पहला उत्पादन 2027 में होने की उम्मीद है। अपने जीवन काल के दौरान यह परियोजना वैश्विक जीएचजी उत्सर्जन में 54 मिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड के समान कमी लाने में मदद करेगी।