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महात्मा गांधी सीमा से परे मानव सभ्यता चाहते थे- प्रो. भालचंद्र मुणगेकर

विश्वविद्यालय में ज्ञान, शांति, मैत्री और गांधी विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

टीटू ठाकुर

गांधी के दर्शन में शांति, अंहिसा, विवेक, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता, वैश्विक परंपरा प्रमुखता से दिखायी देती हैं। वे एक अकल्पनीय और पारदर्शी व्यक्तित्व थे। विश्व के इतिहास में उनके जैसा बहुआयामी व्यक्ति होना ‘न भूतो न भविष्यती’ इस कहावत को चरितार्थ करता है। महात्मा गांधी वैश्विक शांति और अंहिसा के पक्षधर थे। वे सीमा से परे मानव सभ्यता चाहते थे। यें बातें रजत जयंती पर्व पर ज्ञान, शांति, मैत्री और गांधी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जाने-माने शिक्षाविद् राज्यसभा एवं योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रो. भालचंद्र मुणगेकर ने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में कही।
प्रो. मुणगेकर ने कहा कि प्रो. मुणगेकर ने गांधी और अंबेडकर के बीच हुए संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों नेता व्यक्ति स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और स्त्री-पुरुष समानता चाहते थे। उन्होंने कहा कि दोनों के कारण भारत में इतने कम समय में महिलाओं की प्रगति हुई है, विश्व में इस तरह का उदाहरण नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के साथ मेरा भावात्मक रिश्ता जुडा हुआ है और मैं यहां चौथी बार आया हूँ। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. लेल्ला कारुण्यकरा ने कहा कि ज्ञान-शांति-मैत्री ये तीन शब्द विश्वविद्यालय के बोध चिन्ह में अंकित है। इस पर विश्वविद्यालय के रजत पर्व पर गांधी जयंती के उपलक्ष्य में अकादमिक संगोष्ठी का आयोजन होना हम सभी के लिए गौरव की बात है। उन्होंने विश्वविद्यालय में हो रहे आयोजनों में बढ-चढकर हिस्सा लेने की अपील भी की।

संगोष्ठी का समापन गालिब सभागार में किया गया। प्रारंभ में अतिथियों द्वारा गांधी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी।कार्यक्रम का प्रारंभ विश्वविद्यालय के कुलगीत से किया गया। इस अवसर पर गांधी जयंती सप्ताह के अंतर्गत आयोजित निबंध, प्रश्नोत्तरी, चित्रकला, वाद-विवाद एवं घोष वाक्य आदि प्रतियोगिताओं के पुरस्कार का वितरण कुलपति प्रो. कारुण्यकरा के हाथों किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. मुणगेकर और कुलपति प्रो. कारुण्यकरा ने महात्मा गांधी एवं डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अभिवादन किया।

कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप मधुकर सपकाले ने किया तथा संगोष्ठी के संयोजक एवं गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. राकेश मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

 

 

 

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