Breaking News

77 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अभी भी हिंसा के अपने अनुभव के बारे में रिपोर्ट नहीं करती हैं- अपर सचिव चरणजीत सिंह

जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध राष्ट्रीय अभियान -नई चेतना- 2.0 के लिए नौ मंत्रालय एकजुट

महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 25 नवंबर को नई चेतना- 2.0 अभियान शुरू किया जाएगा

अभियान का 34 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में 23 दिसंबर 2023 तक

अभियान से जुड़ी गतिविधियों से स्वयं-सहायता समूह के सदस्यों के बीच जेंडर- आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और जीबीवी रिपोर्टिंग को बढ़ावा मिलेगा

एनएफएचएस-5 के आंकड़ों से पता चलता है कि 77 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अभी भी हिंसा के अपने अनुभव के बारे में रिपोर्ट नहीं करती हैं, या उसके बारे में बात नहीं करती हैं। इस तरह के निष्कर्षों और देश भर में स्वयं-सहायता समूह की महिला सदस्यों की हिंसा के अनुभवों से इस पहल को प्रेरणा मिली है। यें बातें अंतर- मंत्रालयी बैठक जिसमें नौ संबंधित मंत्रालयों डीएवाई-एनआरएलएम के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह ने नई दिल्ली में कही।

उन्होंने बताया कि नई चेतना- 2.0 25 नवंबर से शुरू किया जा रहा है जो कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। इस अभियान का 34 भारतीय राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में 23 दिसंबर तक आयोजन किया जाएगा। वार्षिक अभियान का नेतृत्व जन आंदोलन की भावना के साथ, 9.8 करोड़ से अधिक ग्रामीण महिला सदस्यों के डीएवाई-एनआरएलएम के स्वयं सहायता समूहों के नेटवर्क द्वारा किया जाएगा।

चरणजीत सिंह ने कहा कि नई चेतना अभियान का उद्देश्य महिलाओं और विभिन्न जेंडरों के व्यक्तियों के अधिकारों को आगे बढ़ाना तथा उनके जीवन को भय और जेंडर-आधारित भेदभाव से मुक्त करना है। इन अभियान गतिविधियों से स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के बीच जेंडर- आधारित हिंसा (जीबीवी) के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और जीबीवी रिपोर्टिंग को बढ़ावा मिलेगा। यह अभियान उन सामाजिक मानदंडों पर भी ध्यान देगा (समाधान ढूंढने की कोशिश करना), जो हिंसा के ऐसे रूपों को मंजूरी देते हैं और उन्हें बढ़ाने में मदद करते हैं।

 

विभिन्न मंत्रालयों ने विचार-विमर्श के माध्यम से अपने हित साझा किए और प्रदान की जाने वाली सहायता के विशिष्ट क्षेत्रों को रेखांकित किया। एक प्रमुख गतिविधि जेंडर आधारित हिंसा से बचे हुए लोगों (उत्तरजीवियों) की सहायता में उनकी भूमिका पर सेवा प्रदाताओं को संवेदनशील बनाने से जुड़ी होगी। इससे उत्तरजीवियों के लिए अपनी बात रखने, सहायता और न्याय पाने के लिए अत्यधिक अनुकूल माहौल बनाने में काफी सहायता मिलेगी।

प्रतिभागी मंत्रालयों में पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास, गृह, कानून और न्याय, सूचना एवं प्रसारण, युवा और खेल, शिक्षा और साक्षरता, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भी शामिल थे।

 

यह अभियान जीबीवी पर ध्यान देने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम के जारी प्रोग्रामिक प्रयासों में सहयोग करेगा। विविध लक्षित गतिविधियां, जो महिलाओं के निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाती है, के अतिरिक्त डीएवाई-एनआरएलएम ब्लॉक स्तर पर जेंडर रिसोर्स सेंटर (जीआरसी) स्थापित कर रहा है। ये एक समुदाय प्रबंधित मंच प्रदान करेंगे जहां से जेंडर के आधार पर होने वाली असमानताओं और भेदभाव का विरोध किया जा सकता है और जहां उत्तरजीवी उन मुद्दों पर काम करने वाले अन्य विभागों और एजेंसियों की सहायता के माध्यम से निवारण प्राप्त कर सकते हैं। अब तक देश भर में 3000 से अधिक जीआरसी स्थापित किए जा चुके हैं तथा और अधिक जीआरसी स्थापित करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

यह अभियान जेंडर आधारित हिंसा के संबंध में समाजगत स्तर पर बदलाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी पहलों को एक साथ लाने और उन्हें बढ़ावा देने का एक प्रयास है।

About ATN-Editor

Check Also

इण्डियन ओवरसीज बैंक ने त्वरित पुलिस कार्रवाई पर जताया आभार 

लखनऊ। इण्डियन ओवरसीज़ बैंक (आइओबी) ने लखनऊ में अपनी चिनहट शाखा में हुई दुर्भाग्यपूर्ण डकैती …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *