Breaking News

आत्मनिर्भर और विकसित भारत की दिशा में एमएसएमई एक महत्वपूर्ण शक्ति होगी- जीतन राम मांझी

औपनिवेशिक कानूनों, जिसमें मुख्य ध्यान ‘सजा’ पर था, के विपरीत नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य ‘न्याय’ प्रदान करना है केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री

एमएसएमई टीम पहल और यशस्विनी अभियान को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को मंत्री महोदय ने समर्पित किया

आत्मनिर्भर और विकसित भारत की दिशा में एमएसएमई एक महत्वपूर्ण शक्ति होगी। यें बातें अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस, ‘उद्यमी भारत’ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्री जीतन राम मांझी ने नई दिल्ली में कही।

श्री मांझी ने कहा कि तेजी से बदलते औद्योगिक परिदृश्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को डिजिटल और तकनीकी समाधानों को अपनाने के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार के चल रहे सुधारों के हिस्से के रूप में एमएसएमई क्षेत्र में कानूनी सुधार एक बल गुणक के रूप में काम करेंगे।

 

श्री मांझी ने कहा कि छह स्तंभों की पहचान की गई है, जिन पर हमारे प्रयास आधारित होंगे- (प) औपचारिकीकरण और ऋण तक पहुंच (पप) बाजार तक पहुंच और ई-कॉमर्स को अपनाना (पपप) आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि (पअ) सेवा क्षेत्र में कौशल स्तर में वृद्धि और डिजिटलीकरण (अ) खादी, ग्राम और कॉयर उद्योग को वैश्विक स्तर का बनाने के लिए समर्थन (अप) उद्यम निर्माण के माध्यम से महिलाओं, कारीगरों का सशक्तिकरण।
उन्होंने कहा कि इन छह स्तंभों पर सावधानीपूर्वक और स्मार्ट तरीके से काम करने की बहुत जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री ने एमएसएमई टीम पहल और यशस्विनी अभियान को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को समर्पित किया। एमएसएमई टीम पहल का उद्देश्य पांच लाख सूक्ष्म और लघु उद्यमों को ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) में शामिल होने के लिए ऑनबोर्डिंग, कैटलॉगिंग, खाता प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग सामग्री और डिजाइन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इन लाभार्थी एमएसई में से आधे महिला स्वामित्व वाले उद्यम होंगे।

केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत उद्योग 4.0 के युग में प्रवेश कर चुका है। उद्योग 1.0 से लेकर इसके वर्तमान चरण तक की विकास यात्रा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने दोहराया कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र में कानूनी सुधारों की दिशा में काम करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, 3 डी मुद्रण, रोबोटिक्स जैसी वर्तमान युग की नवीनतम तकनीकों तथा कानूनी भाषा पर इसके प्रभावों को समझना होगा।
दूसरा, उन्होंने विवादों को सुलझाने में वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) एवं मध्यस्थता के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी कानूनी समस्या का सौहार्दपूर्ण समाधान ही सबसे अच्छा समाधान होता है और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम भी विभिन्न पक्षों के बीच विवाद समाधान के ऐसे एडीआर तंत्र से लाभान्वित हो सकते हैं।
तीसरा, उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की सदी होने जा रही है और इस संदर्भ में, भारत के पास मध्यस्थता का केन्द्र बनने की अपेक्षित क्षमता है।

 

सम्मेलन के विषय पर प्रकाश डालते हुए विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधिक कार्य विभाग के सचिव डॉ. राजीव मणि ने कहा कि संस्थागत मध्यस्थता समस्याओं के बेहतर, सुव्यवस्थित एवं त्वरित निपटान और कानूनी मुद्दों को हल करने के प्रभावी तरीके जैसे लाभों के साथ आती है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि एमएसएमई क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यदि सभी पक्ष वैकल्पिक विवाद समाधान एवं मध्यस्थता के जरिए अपनी समस्याओं को हल करना चाहें, तो पारंपरिक कानूनी प्रणाली के तहत विवाद समाधान की लंबी प्रक्रिया से बचा जा सकता है।

इस आयोजन को विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे, इंडिया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर, दिल्ली के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हेमंत गुप्ता, विधि और न्याय मंत्रालय के सचिव राजीव मणि तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के सचिव एस.सी.एल. दास ने भी संबोधित किया।

इस आयोजन में केंद्र और राज्य सरकारों, कानूनी बिरादरी, शिक्षाविदों, विश्व बैंक और अन्य बहुपक्षीय एजेंसियों और औद्योगिक संघों की भागीदारी देखी गई।

About ATN-Editor

Check Also

यूबीआई ने महिलाओं के लिए शुरू की “यूनियन समृद्धि – एसबी फॉर वूमेन” योजना  

लखनऊ। महिलाओं की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *