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“पर्वतमाला परियोजना” के तहत आने वाले पांच वर्षों में 1.25 लाख करोड़ रुपये की लागत से 200 से अधिक परियोजनाएं- मंत्री नितिन गडकरी

 

हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता समग्र परियोजना लागत को कम करके रोपवे को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाना और देश में रोपवे नेटवर्क विकसित करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना होना चाहिए। यें बातें ‘रोपवे संगोष्ठी-सह-प्रदर्शनी’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली में कही।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम, “पर्वतमाला परियोजना” के तहत आने वाले पांच वर्षों में 1.25 लाख करोड़ रुपये की लागत से 200 से अधिक परियोजनाएं चिह्नित की गई हैं।

उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को सुविधाजनक बनाने के अलावा, रोपवे शहरी सार्वजनिक परिवहन में भी बड़ी संभावनाएं प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा से समझौता किए बिना स्वदेशी और लागत प्रभावी समाधान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रोपवे में देश में पर्यटन और रोजगार सृजन पर सकारात्मक प्रभाव डालने की अपार संभावनाएं हैं।

श्री गडकरी ने कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने और हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सपने को हासिल करने की राह पर है। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था 5वें स्थान पर है और हमारा लक्ष्य तीसरे स्थान पर पहुंचना है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समयबद्ध, लागत-कुशल, गुणात्मक और सतत बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि ‘विश्व स्तरीय’ बुनियादी ढांचे का निर्माण नागरिकों के ‘जीवनयापन में आसानी’ और क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करता है।

श्री गडकरी ने कहा कि प्राथमिकता मौजूदा नीतियों और कोडों का मानकीकरण लाना और “मेक इन इंडिया” पहल के तहत रोपवे घटकों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करके रोपवे उद्योग में बदलाव लाना है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पर्वतमाला परियोजना के तहत रोपवे के विकास के लिए अधिक निजी हितधारकों को आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के तहत प्रदान की गई 40 प्रतिशत सहायता की तुलना में हाइब्रिड वार्षिकी मोड (रोपवे के लिए एचएएम) के तहत 60 प्रतिशत निर्माण सहायता प्रदान की जाती है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा, “बुनियादी ढाँचे का विकास सीधे तौर पर नागरिकों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता से संबंधित है। भारत सरकार ने विभिन्न पहल की हैं जिससे न केवल सरकारी विभागों में कामकाज सुव्यवस्थित हुआ है बल्कि देश में ‘व्यवसाय करने में आसानी’ भी बढ़ी है। यह भारत में निवेश करने का सही समय है क्योंकि निकट भविष्य में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।”

‘भारत में बुनियादी ढांचा विकास’ विषय पर दर्शकों को संबोधित करते हुए, एनएचएआई के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने भारतमाला परियोजना के अंतर्गत विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं के विकास के बारे में विवरण साझा किया और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके गुणक प्रभाव पर प्रकाश डाला।

‘संगोष्ठी-सह-प्रदर्शनी’ का उद्देश्य विभिन्न भारतीय और वैश्विक निर्माताओं, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, रियायतग्राहियों और बुनियादी ढांचा डेवलपर्स के बीच उद्योग सहयोग को सक्षम करना था। इस आयोजन ने ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने और रोपवे घटकों के स्थानीयकरण के लिए एक रोडमैप विकसित करने के लिए उद्योग विचार-विमर्श के लिए एक साझा मंच भी प्रदान किया। भारत में रोपवे उद्योग परिदृश्य में सुधार और सार्वजनिक निजी भागीदारी को बढ़ाने के साथ-साथ सुरक्षित और किफायती रोपवे सिस्टम के निर्माण पर उद्योग विशेषज्ञों के साथ विभिन्न पैनल चर्चाएं भी आयोजित की गईं।

दिन का मुख्य आकर्षण दो रोपवे परियोजनाएं- हिमाचल प्रदेश में बिजली महादेव रोपवे परियोजना और हरियाणा में धोसी हिल रोपवे परियोजना थीं।

इस दिन रोपवे और अन्य नवीन वैकल्पिक गतिशीलता प्रणालियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए एनएचएलएमएल और आईआईटी रूड़की के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

सार्वजनिक सुविधा में सुधार के लिए सड़क किनारे सुविधाओं को बढ़ावा देने पर भी एक सत्र आयोजित किया गया। इसके अलावा, प्रदर्शनी में हवाई गतिशीलता इकोसिस्टम में भारतीय और वैश्विक रोपवे उपकरण निर्माताओं द्वारा अत्याधुनिक रोपवे प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया।

दिन भर चली ‘संगोष्ठी-सह-प्रदर्शनी’ ने महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की और नीतियों के विकास के लिए क्षेत्रों की पहचान करने में मदद की जो स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने एवं रोपवे प्रौद्योगिकी की क्षमता को बढ़ाने में काफी मदद करेगी। संगोष्ठी में राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम के तहत परिवहन के सुरक्षित, लागत प्रभावी और टिकाऊ मोड के विकास को सक्षम करके भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में रोपवे की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया गया।

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