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संयुक्त परिवार एवं पारिवारिक उद्यम” पर संगोष्ठी एवं नव-उत्तीर्ण सी.ए. अलंकरण समारोह

पूजा भट्ट

कानपुर। मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश की ट्रेड समिति द्वारा सर पदमपत सिंघानिया ऑडिटोरियम में “संयुक्त परिवार एवं पारिवारिक उद्यम” विषय पर एक विचार गोष्ठी एवं “नव-उत्तीर्ण चार्टर्ड अकाउंटेंट अलंकरण समारोह” का भव्य आयोजन किया गया।

 

इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. नचिकेता तिवारी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर से, एवं विशिष्ट वक्ता डॉ. शिव कुमार दीक्षित, प्रख्यात साहित्यकार एवं सीएसजेएम विश्वविद्यालय, कानपुर से, रहे।

 

स्वागत भाषण मर्चेंट्स चेम्बर के पूर्व अध्यक्ष बी. के. लाहोटी द्वारा दिया गया।

पूर्व अध्यक्ष अतुल कनोडिया एवं सदस्य संजय गर्ग ने मालाओं एवं स्मृति-चिह्न भेंट कर वक्ताओं का स्वागत किया।

 

विषय-परिचय अवध बिहारी मिश्रा द्वारा प्रस्तुत किया गया।

 

मुख्य वक्ता प्रो. नचिकेता तिवारी का परिचय ईश्वर वर्मा तथा डॉ. शिव कुमार दीक्षित का परिचय गीता गुप्ता ने कराया।

 

मुख्य वक्ता प्रो. नचिकेता तिवारी ने बताया कि भारत में व्यवसाय की परंपरा अत्यंत प्राचीन रही है। वैदिक वाङ्मय तथा अनेक स्मृति ग्रंथों में व्यवसाय और व्यवसायियों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। इसी कारण भारत में विभिन्न जातियों और समुदायों ने अपने-अपने पारंपरिक व्यवसायों को अपनाया और विकसित किया। कालांतर में जब देश पर विदेशी आक्रमण हुए, तो यह व्यवस्थित ढंग से चलता व्यवसायिक ढांचा प्रभावित हुआ। जमींदारी प्रथा का आगमन हुआ और अनेक प्रकार के कर लगाए गए। इन करों का बोझ इतना अधिक हो गया कि एक कृषक द्वारा उपजाया गया अन्न और व्यवसायी द्वारा उत्पन्न किया गया लाभ, कर प्रणाली के माध्यम से शासकों — बादशाहों और सुल्तानों — तक पहुंचने लगा। कुछ क्षेत्रों में कर की दरें 60-70% तक पहुंच गईं। परिणामस्वरूप देश में व्यापक स्तर पर निर्धनता फैलने लगी। अंग्रेजों के शासनकाल में यह प्रक्रिया और भी तीव्र हो गई। शोषण की नीतियों के कारण परंपरागत व्यवसाय और व्यवसायी परिवार धीरे-धीरे समाप्त हो गए। भारत एक समृद्ध व्यापारिक सभ्यता से एक दरिद्र राष्ट्र में परिवर्तित हो गया।

 

कार्यक्रम का संचालन विजय पांडे द्वारा किया गया तथा उन्होंने कहा की आज आवश्यकता है कि हम इस स्थिति से बाहर निकलें। इसके लिए आधुनिक व्यवसायियों को भारत में निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देना होगा। जब भारतीय उत्पाद बनेंगे और फलेंगे-फूलेंगे, तभी भारतीय परिवार — विशेषकर संयुक्त परिवार — फिर से सशक्त और समृद्ध बन सकेंगे।

 

भारतीय संस्कृति-दर्शन-साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान डाॅ शिव कुमार दीक्षित ने संयुक्त परिवार की अवधारणा और व्यवहारिक स्वरूप पर बोलते हुए कहा कि संयुक्त परिवार में एक स्वामी के रहते हुए सभी सदस्यों का स्वामित्व पारस्परिक स्वीकृति से स्थिर रहा था। मनुष्य की व्यक्तिगत दुर्बल वृत्तियों के कारण जब व्यैक्तिक इच्छाओं की पूर्ति के लिये सदस्यों के मन में भावना हुई तब एकल स्वामित्व की शक्ति का क्षरण हुआ।

 

उन्होंने आगे बोलते हुए कहा संयुक्त परिवार को स्थिर रखने के लिये व्यस्क सदस्यों का दायित्व था कि वे जीविकोपार्जन से पूर्ण या अंक्षतः योगदान करें। इस भावना में जब चतुरता, व्यक्तिगत संचय और एकाकी समर्थ होने की भावना ने जोर पकड़ा तब संयुक्त परिवार बिखरने लगे लेकिन इस स्थिति में मुख्यतः कारको तत्व के रूप में परिवार के किसी सदस्य की असंयमित इच्छा और अधिक संचय कर वृत्ति रही।

अत्यन्त यांत्रिकी के आज के युग में जब एक परिवार सुरक्षित नहीं तो दूसरों के प्रति सहचार, उत्सर्ग, सेवा की कल्पना करना व्यर्थ है।

 

कार्यक्रम के दौरान विश्वनाथ कनोडिया जी को संयुक्त परिवार के संरक्षण एवं पारिवारिक उद्यम के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।|

 

साथ ही मनसा वर्मा, शेर मुहम्मद कमल बनारसी मक्खनवाला को पारंपरिक उद्यम सम्मान से सम्मानित किया गया तथा रणजीत सिंह पारंपरिक रजत शिल्पकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया |

 

कार्यक्रम के दौरान मेधावी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसका संचालन सीए छवि जैन द्वारा किया गया. सम्मान समारोह में नव-उत्तीर्ण चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को प्रो नचिकेता तिवारी, डॉ शिव कुमार दीक्षित, बी के लाहोटी, सीए सुधींद्र जैन, सीए अनिल के सक्सेना, सीए अतुल अग्रवाल, सीए धर्मेंद्र श्रीवास्तव द्वारा सम्मान पत्र दिया गया |

 

धन्यवाद प्रस्ताव टीकम चंद सेठिया द्वारा दिया गया, जिन्होंने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।

 

इस अवसर पर डॉ. आई एम रोहतगी, शेष नारायण त्रिवेदी, एवं अन्य सदस्य तथा मेधावी छात्र एवं उनके माता पिता उपस्थित रहे।

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