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शबे बरात रहमत व बरकत की रात हैः मौलाना खालिद रशीद

दारूल उलूम फरंगी महल में महफिले कुरान का आयोजन

शबे बरात बहुत फजीलत वाली रात है। इस रात में बन्दों की उम्र, रोजी, सेहत और जिन्दगी का निर्धारित किया जाता है। इस में खुदा पाक के वह बन्दे जो उससे अपने गुनाहों की मॉफी मॉगते हैं, गलत कामों से तौबा करते है, अपने लिए खैर व बरकत, मगफिरत व रहमत की दुआयें मॉगते हैं उनका रहीम व करीम आक़ा व मालिक उनकी दुआओं को कुबूल करता है।यें बातें शबे बरात के मौके पर इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया के अर्न्तगत 17वॉ अजीमुश्शान मुजाहिरा किरात को खिताब करते हुए जलसे की अध्यक्षता इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली नाजिम दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल ने दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल ईदगाह एैशबाग़, लखनऊ में कही।
मौलाना ने कहा कि हजरत मआज बिन जबल रजि0 से रिवायत है कि रसूल पाक सल्ल0 का इरशाद है कि खुदा पाक पन्द्रहवीं रात में तमाम लोगों को सिर्फ शिर्क करने वालों और बुग्ज (हसद) रखने वालों के सबकी मगफिरत फरमाता है।
मौलाना ने कहा कि पन्द्रहवीं शब को नमाज़ पढ़ना और दिन को रोजा रखना मसनून है। हदीस में आया है कि खुदा पाक इस शब में आसमान दुनिया पर गुरूबे आफताब से सुबह सादिक़ तक तजल्ली फरमाता है और इरशाद होता है कि जो शख्स अपने गुनाहों को बखशवाना चाहता हो वह आये में उसके गुनाहों को बख्श दूँगा। जो शख्स रिज्क हासिल करना चाहे मैं उसको रोजी दूॅगा जो किसी मुसीबत में हो उसकी मुसीबत कोे दूर करूॅगा।
मौलाना मो0 सुफयान निजामी अध्यापक दारूल उलूम फरंगी महल ने कुरान करीम की अजमत व अहमियत पर तकरीर की। उन्होने मुसलमानों में कुरान करीम का ज़ौक़ व शौक़ पैदा करने के लिए इस तरह के जलसों की जरूरत पर ज़ोर दिया। उन्होने कहा कि कुरान करीम के नाम पर आयोजित एैसी महफिलें बहुत बरकत वाली होती है। इस में शरीक होना बड़ी सआदत की बात है। उन्होने कहा कि कुरान करीम दुनिया की एक अकेली एैसी किताब है जिसके हुरूफ (अक्षर) और आयतों में क्या इसके जबर जेर और नुक्तों में भी कोई बदलाव नही कर सकता। इस लिए कि इसकी हिफाजत की पूरी जिम्मेदारी खुदा पाक ने खुद ले रखी है। कुरान पाक में इरशाद है कि हमने कुरान नाजिल किया है और हम ही उसके मुहाफिज हैं।
इस मौके पर मौलाना दारूल उलूम के प्रधानाचार्य मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी ने दारूल उलूम की तारीख, खिदमात और मौजूदा तालीमी सरगरमियों पर आधारित रिपोर्ट पढ़ कर सुनाई।
मौलाना हारून निजामी ने जलसे का संचालन किया। जलसे को मौलाना मो0 सुफयान निजामी ने सम्बोधन किया।

मुजाहिरा किरात में दारूल उलूम फरंगी महल के अध्यापक कारी कमरूद्दीन और कारी तरीकुल इस्लाम ने हिस्सा लिया। मुजाहिरा किरात में हिस्सा लेने वाले छात्रों में मो0 याकूब, असजद मतीन, मो0 अबु बक्र, मो0 जकारिया, हमजा कुरैशी, अनस मतीन, मो0 सहबान, अब्दुल्लाह शरीफ, अब्दुल्लाह सलीम, अब्दुर्रहमान, मो0 इब्र्राहीम, मो0 अयाज और नात शरीफ का नजराना पेश करने वालों में मो0 अयाज, मो0 अफ्फान और अब्दुल्लाह सलीम उल्लेखनीय हैं।

 

 

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