एचबीटीयू कानपुर में ‘दूरसंचार विभाग की नागरिक केंद्रित सेवाएँ’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
कानपुर
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग, उत्तर प्रदेश (पूर्व) लाइसेंस सेवा क्षेत्र (एलएसए) द्वारा हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय (एचबीटीयू), कानपुर में ‘दूरसंचार विभाग की नागरिक केंद्रित सेवाएँ’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों को मोबाइल सेवाओं के सुरक्षित एवं जिम्मेदार उपयोग हेतु जागरूक करना तथा साइबर अपराधों और वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए विभाग की पहलों से अवगत कराना रहा।
कार्यशाला का उद्घाटन अरुण कुमार वर्मा, अपर महानिदेशक (दूरसंचार), उत्तर प्रदेश (पूर्व) एलएसए द्वारा किया गया।।
श्री अरुण कुमार वर्मा ने अपने वक्तव्य में तकनीकी नवाचार और उपभोक्ता संरक्षण को डिजिटल युग की प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के आशा अनुरूप, दूरसंचार विभाग दूरसंचार तकनीकी में नए नवाचार के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। 6जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा साइबर सुरक्षा जैसी उभरती तकनीकों के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और औद्योगिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। उन्होंने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश (पूर्व) क्षेत्र के 48 जिलों से आने वाले दूरसंचार संबंधित लोक शिकायतों का निवारण प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 573 लोक शिकायतों का समुचित समाधान किया गया है।
जागरूकता सत्रों में ‘संचार साथी पोर्टल/ऐप’ के प्रयोग पर जोर देते हुए इसके विशेषताओं पर विस्तृत चर्चा की गई और बताया गया कि संचार साथी पोर्टल/ऐप पर कई नागरिक केंद्रित सुविधायें उपलब्ध है। इनमें मोबाइल फ़ोन चोरी/गुम होने की रिपोर्टिंग, संदिग्ध धोखाधड़ी और अवांछित वाणिज्यिक संचार(यूसीसी) की रिपोर्टिंग, एक दस्तावेज के आधार पर किसी व्यक्ति को जारी हुए मोबाइल नंबर की जानकारी, मोबाइल हैंडसेट के आईएमइआई की सत्यता की जाँच, विश्वसनीय संपर्क विवरण और संदिग्ध विदेशी कॉल की जानकारी शामिल हैं। मोबाइल फोन चोरी या खोने की स्थिति में नागरिकों को पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ दूरसंचार सेवा प्रदाता से नया सिम कार्ड लेने और संचार साथी पोर्टल/ऐप पर सूचना दर्ज करने को कहा गया। उत्तर प्रदेश (पूर्व) के 48 जिलों में संचार साथी पोर्टल के माध्यम से 31 अगस्त 2025 तक कुल 1,91,369 मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक किए गए है और 29,741 मोबाइल हैंडसेट बरामद किए गए। राष्ट्रीय स्तर पर, मोबाइल हैंडसेट बरामदगी के मामले में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
दूरसंचार विभाग ने अपने डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफार्म का उपयोग करके; NCRP पोर्टल, संचार साथी पोर्टल पर सूचित नंबर, वित्तीय संस्थानों से प्राप्त सूचना के आधार पर, सूचित मोबाइल नम्बरों के लिए एक डायनामिक धोखाधड़ी जोखिम के संकेतांक (FRI) बनाया है ताकि लोगों को पैसे ट्रांसफर करने से पहले भी उस मोबाइल फोन से जुड़े खतरे जैसे निम्न,मध्यम, उच्च आदि के बारे में बताया जा सके और संभावित साइबर फ्रॉड के लिए सजग किया जा सके। आर बी आई ने 30 जून 2025 को सभी बैंकों, वित्तीय संस्थानों को इसका उपयोग करने को कहा है | फ़ोन पे, पेटीएम के साथ पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसी बैंक, केनरा बैंक, पेटीएम, यस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक आदि ने इसे लागू भी कर दिया है, जिससे लोगों को पैसे के ट्रांसफर करने से पहले भी उस संभावित साइबर फ्रॉड के लिए सजग किया जा सके।
कार्यक्रम में दूरसंचार अधिनियम 2023 के प्रावधानों पर चर्चा की गई और बताया गया कि दूरसंचार अधिनियम 2023 के अनुसार जाली दस्तावेजों से सिम लेना या जानकारी छुपाना अपराध है|इसके अलावा मोबाइल हैंडसेट के IMEI में छेड़छाड़ या अनधिकृत उपयोग भी गंभीर अपराध है| इन अपराधों के लिए दूरसंचार अधिनियम में 3 साल तक की सजा या 50 लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकता है।
मैसेज (SMS) माध्यम से हो रहे साइबर फ्रॉड के बारे में चर्चा करते हुए बताया गया कि ऐसे फ्रॉड को रोकने के लिए SMS के अंत में विशेष suffix जोड़े गए हैं
Suffix
अर्थ / उपयोग
P
Promotional — प्रचार/विज्ञापन संदेश
S
Service-related — सेवा से जुड़े, गैर-वित्तीय सूचना संदेश
T
Transactional (Financial) — बैंक, लेन-देन, OTP से संबंधित संदेश
G
Government-authorized — सरकारी संदेश, जैसे मौसम, नीति सूचना आदि
उदाहरण:
Loan-P → प्रचार सम्बन्धी संदेश (जैसे ऑफर)
Recharge-S → सेवा से संबंधित (जैसे रिचार्ज नोटिफिकेशन)
Bank-T → वित्तीय लेन-देन या OTP संबंधित
Alert-G → सरकारी सूचना या सलाह
इस प्रणाली से नागरिक आसानी से पहचान सकेंगे कि प्राप्त SMS किस श्रेणी का है और संदिग्ध अथवा धोखाधड़ी वाले संदेशों से सतर्क रह सकेंगे।
कार्यशाला में बड़ी संख्या में विद्यार्थी, प्रोफेसर, सिम विक्रेता, विभिन्न जिलों के पुलिस अधिकारियों के दूरसंचार विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे। यह कार्यशाला डिजिटल सुरक्षा, उपभोक्ता संरक्षण और दूरसंचार सेवाओं में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध हुई, जो ‘डिजिटल इंडिया’ की परिकल्पना के अनुरूप है और एक सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है।