भारत सरकार ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का अनावरण कर देश में सहकारी आंदोलन को नई दिशा दी है। यह नीति 23 वर्षों बाद की पुरानी नीति का स्थान लेगी और सहकारिता मंत्रालय की बढ़ती भूमिका को और मजबूत करेगी। अमित शाह ने कहा कि यह नीति 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में सहकारिता की बड़ी भूमिका तय करेगी। अमित शाह ने बताया कि सहकारिता के माध्यम से देश की जीडीपी में तीन गुना वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, 50 करोड़ नए व्यक्तियों तक सहकारिता की पहुँच सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर गाँव में एक सहकारी समिति की स्थापना की जाएगी और हर जिले में एक मॉडल सहकारी ग्राम विकसित किया जाएगा, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले। गृह मंत्री ने कहा कि 2002 में पहली सहकारिता नीति लाई गई थी और आज 2025 में भाजपा सरकार ने दूसरी सहकारिता नीति प्रस्तुत की है। इसका केंद्रबिंदु गाँव, किसान, महिलाएँ, दलित और आदिवासी समुदाय होंगे। उन्होंने कहा कि यदि देश की मूल इकाई समृद्ध, रोजगारयुक्त और संतुष्ट होगी तो आर्थिक मॉडल विफल नहीं होगा। अमित शाह ने सभी प्रदेशों से आग्रह किया कि वे अपनी राज्य सहकारी नीति को केंद्र की नई सहकारी नीति के अनुरूप तैयार कर उसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार का लक्ष्य 2027 तक भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना है।
उत्तर क्षेत्रीय प्रमुख सहकार भारती एस डी तिवारी ने नई नीति का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों में भी शीघ्र ही नई राज्य सहकारी नीति तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को ज्ञापन देकर प्रयास करेंगे नयी नीति लागू कराई जाएगी। उन्होंने विश्वास जताया कि यह नीति छोटे किसानों, श्रमिकों और ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगी और आत्मनिर्भर गाँवों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा होगा 2047 तक