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प्रयागराज | उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की 36वीं स्थापना दिवस पर कृषि वैज्ञानिक सम्मान योजना 2024-25 के अंतर्गत 22 जुलाई 2025 को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान रायबरेली रोड लखनऊ में कृषि वैज्ञानिक सम्मान समारोह एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी अयोजित हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, अध्यक्ष  सूर्य प्रताप शाही मन्त्रीय मंत्री कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान अनुसंधान उत्तर प्रदेश, विशिष्ट अतिथि दिनेश प्रताप सिंह, मन्त्रीय राज्य मंत्री उद्यान, कृषि विपन, कृषि विदेश व्यापार और कृषि निर्यात, उत्तर प्रदेश, और भी अधिकारीगण उपस्थित थे।             डॉ. ललित कुमार वर्मा को सर्वश्रेष्ठ पीएचडी थीसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. ललित कुमार वर्मा को यह सम्मान उनके सर्वश्रेष्ठ पीएचडी थीसिस कार्य के लिए दिया गया है। यह शोध कार्य देश सवोत्तम पत्रिका इडियन जर्नल ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेस (NAAS-6.6) में भी प्रकाशित हुआ हैं। उनके कार्य का शीर्षक है, “जंगली बैंगन (सोलनम मेलोंगेना एल.) मूलवृंत पर ग्राफ्ट किए गए टमाटर (सोलनम लाइकोपर्सिकम एल.) की वानस्पतिक वृद्धि, उपज और फल गुणवत्ता के लिए प्रतिक्रिया”। उनके सलाहकार (प्रोफेसर) डॉ. विजय बहादुर, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, उद्यानिकी विभाग, नैनी, शुआट्स, प्रयागराज (उप्र), सह-सलाहकार डॉ. अनीता केरकेट्टा, सहायक प्रोफेसर, सब्जी विज्ञान विभाग, उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, संकरा -पाटन दुर्ग MGUVV, दुर्ग (छत्तीसगढ़) सदस्य डॉ. समीर ई. टोपनो सहायक प्रोफेसर, उद्यानिकी विभाग, नैनी, शुआट्स,, प्रयागराज (उप्र) और प्रोफेसर (डॉ.) टेरेंस थॉमस प्रोफेसर और पूर्व विभागाध्यक्ष, मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान विभाग नैनी, शुआट्स, प्रयागराज (उप्र)। शोध का सारांश यह है कि सब्जियों में ग्राफ्टिंग दुनिया भर में सब्जी उत्पादकों के बीच हाल ही में लोकप्रिय विधि है जैविक और अजैविक तनावों के प्रति सहनशीलता बढ़ाने के साथ-साथ सब्जियों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक आशाजनक तकनीक के रूप में उभरा है। ग्राफ्टिंग फ्यूजेरियम और बैक्टीरियल विल्ट रोगजनकों के खिलाफ फायदेमंद है। आकार, आकृति, रंग आदि जैसी गुणवत्ता में सुधार करता है। फूल आने और तुड़ाई की अवधि को बढ़ाता है। सब्जियों में ग्राफ्टिंग जैविक और पर्यावरण के अनुकूल उपज के उत्पादन के लिए भी सुरक्षित रूप से अनुकूलित किया गया है और अवांछित कृषि रसायनो के अवशोषण को कम करता है। स्प्लिस (Splice) ग्राफ्टिंग बैंगन और टमाटर के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली ग्राफ्टिंग विधि है। जिस पर उन्होंने मूलवृत के रूप में 4 जंगली बैंगन लिए जो कि सोलनम टोरवम, सोलनम वायलेसियम, सोलनम ज़ैथोकार्पम और सोलनम इंकैनम हैं और 3 टमाटर की किस्में सांकूर डाली के रूप में लीं गई जो कि काशी अनुपम, काशी शरद और काशी विशेष हैं। ये किसमें आईसीएआर आईआईवीआर द्वारा विकसित की गई है जो कि औसतन प्रति हेक्टेरे 500 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है उपरोक्त प्रायोगिक खोज से यह निष्कर्ष निकला कि काशी अनुपम को सोलनम टोरवम पर ग्राफ्ट करने से उपज (704 क्विटल प्रति हेक्टेयर) और टमाटर की फल गुणवत्ता के मामले में सबसे अच्छा पाया गया। उद्यान विज्ञान विभाग नैनी कृषि संस्थान शुआट्स प्रयागराज उद्यानिकी क्षेत्र में प्रदेश के कृषि प्रथमिकता के आधार पर उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए समर्पित है, जिसमे छात्र, कृषक, वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता लाभान्वित होते है। इस कार्य हेतु प्रोफेसर डॉ सैमुअल दीपक मेकार्टी निदेशक शोध शुआट्स, प्रयागराज, उद्यानिकी विभागाध्यक्ष, और उद्यानिकी विभाग के अन्य सदस्य द्वारा बधाई दी गई।

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