लखनऊ में सिंधी समाज के प्रमुख धार्मिक एवं आध्यात्मिक गुरु तथा शिव शांति संत आसूदाराम आश्रम, लखनऊ के पीठाधीश्वर संत साईं चाँड्रूराम जी दिनांक 15-10-2025 को इस नश्वर संसार को त्यागकर ब्रह्मलीन हो गए।उनका अंतिम संस्कार दिनांक 16-10-2025 को सम्पन्न हुआ।
🙏*पगड़ी रस्म*🙏
*परम पूज्य संत जी की पगड़ी रस्म (श्रद्धांजलि सभा) का आयोजन शिव शांति संत आसूदाराम आश्रम, लखनऊ में हुआ, जिसमें लखनऊ नगर तथा भारत के विभिन्न प्रांतों से अनेक, प्रतिष्ठित व्यक्ति, राजनेता, परिजन एवं हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुगण सम्मिलित होकर पूज्य संत जी की पावन आत्मा को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।*
*प्रेरणादायी संक्षिप्त जीवन परिचय:*
संत साईं चाँड्रूराम जी का जन्म 09-09-1947 को अविभाजित भारत के सिंध प्रदेश के सखर ज़िले के पन्नों आकिल गाँव में हुआ था।
बाल्यावस्था से ही साईं चाँड्रूराम जी ने वेदान्त के अध्ययन में गहरी रुचि दिखाई और किशोरावस्था से पहले ही उन्होंने गुरबाणी, श्रीमद्भगवद्गीता और रामचरितमानस जैसे दिव्य ग्रंथों का गहन अध्ययन कर लिया था।
पिता संत बाबा आसूदाराम साहिब जी के कुशल मार्गदर्शन ने उन्हें प्राचीन हिन्दू सनातन संस्कृति, मूल्य प्रणालियों और आध्यात्मिक परंपराओं के प्रति गहन आस्था और भक्ति विकसित करने में सहायता की। संत जी ने इन मूल्यों को पुनर्स्थापित, पुनर्जीवित, कायाकल्पित और सुदृढ़ करने का संकल्प लिया।
वर्ष 1979 में संत जी सिंध से भारत आए और लखनऊ में शिव शांति आश्रम की स्थापना की। वर्तमान में यह आश्रम केवल एक आध्यात्मिक केंद्र या पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि संत जी के कुशल मार्गदर्शन में भक्ति, अध्यात्म एवं जनकल्याण की विविध गतिविधियों जैसे सत्संग सेवा,अन्न सेवा,जल सेवा,चिकित्सा सेवा,स्वरोजगार सेवा,सामूहिक विवाह सेवा,शिक्षण सेवा जैसे महान सेवा कार्यों में कार्यरत है।
संत जी ने संत कंवर राम सेवा मंडल, संत बाबा आसूदाराम सेवा समिति, सखी बाबा युवा मंडल तथा हर्षा बालिका मंडल का गठन कर नवयुवकों एवं बालिकाओं में आध्यात्मिक और धार्मिक भावनाएँ जागृत करने के साथ-साथ उन्हें सामाजिक कुरीतियों से दूर रखने का सफल प्रयास किया।
उन्होंने अपने जीवन में करुणा, प्रेम और सह-अस्तित्व की भावना के साथ मानवता की सेवा में योगदान दिया, समाज में भाईचारा और एकता को बढ़ावा दिया तथा सदैव धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर मार्गदर्शन करते रहे।
संत जी ने असंख्य लोगों के जीवन को संवारने, सन्मार्ग पर चलने और ईश्वर भक्ति का सच्चा अर्थ समझाने का कार्य किया।
उनके कार्यों ने न केवल सिंधी समाज बल्कि व्यापक समुदाय में भी मानवता, दया और सेवा के संदेश को फैलाया।
संत जी के अनुयायी उन्हें एक मार्गदर्शक, संत और समाजसेवी के रूप में सदैव स्मरण करते रहेंगे।
संतश्री के बताए हुए सत्य, सेवा और ईमानदारी के मार्ग पर चलना ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।