सहकार सारथी
एनी टाइम न्यूज नेटवर्क। सहकार सारथी (साझा सेवा इकाई -एसएसई) की स्थापना ग्रामीण सहकारी बैंकों आरसीबी को आधुनिक बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए की गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बाद, सहकार सारथी की स्थापना की गई और इसे 21 जुलाई 2025 को पंजीकृत किया गया था। इसकी प्राधिकृत पूंजी 1,000 करोड़ रुपये है, जिसमें नाबार्ड एनसीडीसी और ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबीे) की शेयरधारिता क्रमशः 33.33 फीसदी निर्धारित की गई है। सहकार सारथी ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबीे) को साझा प्रौद्योगिकीय अवसरंचना और डिजिटल सेवाएँ प्रदान करता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं यह जानकारी केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
सामान्य और आधुनिक कोर बैंकिंग समाधान (आरसीबी)
डिजिटल भुगतान प्रणालियाँ जैसे कि आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस), यूपीआई और संबंधित डिजिटल चौनल साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क, आईटी शासन और डोमेन माइग्रेशन समर्थन बैंक डाट इन , मानक प्रचालन प्रक्रियाएँ ( एसओपी), प्रशिक्षण, और प्रौद्योगिकी अंगीकरण के लिए क्षमता निर्माण। इन पहलों के माध्यम से, ‘सहकार सारथी’ ग्रामीण सहकारी बैंकों को आधुनिक और मानकीकृत डिजिटल बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने, ग्राहक पहुँच को बढ़ाने, परिचालन दक्षता को मजबूत करने तथा अन्य विनियमित बैंकिंग संस्थाओं के तुल्य समकालीन वित्तीय प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सक्षम बनाता है।
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