संसद में पेश महिला आरक्षण से सम्बन्धित संविधान के 128वें संशोधन विधेयक 2023 के अन्तर्गत, देश में लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में भी 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दिये जाने के कुछ प्राविधान ऐसे हैं जिसके तहत 15-16 वर्षाें तक देश की महिलाओं को यह आरक्षण प्राप्त नहीं हो पायेगा। यें बातें देश में महिलाओं को संसद व राज्य विधानसभाओं में आरक्षण दिये जाने के सम्बंध में संसद में कल पेश विधेयक पर अपनी पार्टी की विस्तृत प्रतिक्रिया देते हुए बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने जारी एक बयान में दी।
उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन के बाद नई जनगणना में अनेकों वर्ष लग जायेंगेे तब फिर उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का कार्य शुरू किया जायेगा, जिसमें भी अनेकों वर्ष लग जायेंगे और इस परिसीमन के पश्चात ही तब फिर यह महिला आरक्षण विधेयक लागू होगा, जबकि 128वें संशोधन विधेयक की सीमा ही 15 वर्ष रखी गई है।
सुश्री मायावती ने कहा कि यह संविधान संशोधन विधेयक वास्तव मंें महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है, बल्कि आने वाली विधानसभाओं तथा लोकसभा के चुनावों में देश की भोली-भाली महिलाओें को यह प्रलोभन देकर व उनकी आँखों में धूल झोंक कर उनका वोट हासिल करने की नीयत से ही लाया गया है। इसके सिवाय कुछ भी नहीं हैै।
बसपा प्रमुख ने कहा कि यदि ऐसा नहीं है तो फिर हमारी पार्टी केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करती है कि सरकार इस विधेयक में से या तो इन दोनों प्रावधानों को निकाले या फिर कुछ ऐसे उपाय तलाशे जिससे इस विधेयक के तहत् महिलाओं को जल्दी ही आरक्षण का लाभ मिलना शुरु हो जाये।
मायावती ने इसके साथ-साथ केन्द्र की सरकार से पुनः यह अपील है कि 33 प्रतिशत महिलाओं के आरक्षण के अन्तर्गत एससी/एसटी को जो आरक्षण दिया जाये, उसे वर्तमान में लागू आरक्षण के अतिरिक्त दिया जाये साथ ही, देश की ओबीसी वर्गों की महिलाओं का भी इस महिला आरक्षण विधेयक में अलग से आरक्षण कोटा सुनिश्चित किया जाना चाहिये, जो सामान्य वर्गों की महिलाओं की तुलना में ये अभी भी काफी पिछड़ी हुई है।
मायावती ने कहा कि सभी वर्गों की महिलाओं के आरक्षण के मामले में मेरी इस अपील पर सरकार अमल नहीं करती है तब भी हमारी पार्टी इस बिल का, इस खास बात को ध्यान में रखकर समर्थन करेगी कि देश में पुरूषों की तुलना में सर्वसमाज की महिलायें अभी भी काफी पिछड़ी हुई है