एक्सिस बैंक केवाईसी वसूली और उससे जुड़े रिकार्डांे के मामलें मेें फिस्सड्ी साबित हुआ जिसकी वजह से उस पर 90.92 लाख (केवल नब्बे लाख और नब्बे हजार रुपये) का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। भारतीय रिजर्व बैंक (अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी)) दिशानिर्देश, 2016 ऋण और अग्रिम – वैधानिक और अन्य प्रतिबंध, वित्तीय आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर दिशानिर्देश पर आरबीआई द्वारा जारी कुछ निर्देशों का अनुपालन। बैंकों द्वारा सेवाएँ और चालू खाते खोलने और संचालन के लिए आचार संहिता। यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रदत्त आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। ये जानकारियां भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने जारी एक बयान में दी।
मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने बताया कि बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई 2022) के लिए वैधानिक निरीक्षण आरबीआई द्वारा 31 मार्च, 2022 को इसकी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किया गया था। आरबीआई द्वारा एक खाते से संबंधित एक जांच भी की गई थी। आईएसई 2022 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/निरीक्षण रिपोर्ट, जांच रिपोर्ट और उस संबंध में सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ, पता चला कि बैंक (प) ग्राहकों की पहचान और उनके पते से संबंधित रिकॉर्ड को संरक्षित करने में विफल रहा।
(पप) कुछ ग्राहकों को लगातार कॉल किए गए जो कि अनुचित था
(पपप) उधारकर्ताओं के साथ वसूली एजेंटों के उचित व्यवहार को सुनिश्चित करने में विफल रहे और (पअ) कॉल की सामग्री/पाठ की टेप रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करने में विफल रहे वसूली एजेंटों द्वारा कुछ ग्राहकों को किए गए भुगतान और (अ) चालू खाते खोलने के समय ग्राहक से घोषणाएं प्राप्त नहीं की गईं। नतीजतन, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे कारण बताने की सलाह दी गई कि आरबीआई द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में विफलता के लिए उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए, जैसा कि उसमें कहा गया है।
योगेश दयाल ने बताया कि आरबी आई के नोटिस पर बैंक के जवाब, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और उसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि गैर-अनुपालन का उपरोक्त आरोप प्रमाणित था और मौद्रिक जुर्माना लगाना आवश्यक था।
उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता को प्रभावित करना नहीं है।