उद्योग ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की राष्ट्रीय पहल का समर्थन किया है सरकार ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को अगले स्तर पर ले जाने के लिए काम कर रही है श्री गोयल
‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर उद्योग और उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग- भारतीय उद्योग परिसंघ का राष्ट्रीय सम्मेलन
चंदन पाण्डेय
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि आकांक्षी युवा भारत देश के भविष्य के विकास को गति प्रदान करेगा।
श्री गोयल ने कहा कि सरकार द्वारा किए गए मूलभूत आर्थिक सुधारों ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत पिछले 5 वर्षों में 5 नाजुक स्थितियों से 5 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है। उन्होंने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) की राष्ट्रीय पहल का समर्थन करने के लिए उद्योग की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ईओडीबी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए काम कर रही है।
‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर राष्ट्रीय सम्मेलनश् नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का एक नोडल विभाग है, जिसने भारतीय उद्योग परिसंघ के साथ मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन किया है।
इस सम्मेलन में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ से संबंधित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और आगे का रास्ता, राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली, विवाद समाधान तंत्र को मजबूत बनाने, कर भुगतान में आसानी और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं से संबंधित सत्रों का इस सम्मेलन में आयोजन किया गया। इन सत्रों में राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों और उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधारों पर पर एक सत्र – अब तक की यात्रा और आगे का मार्ग की अध्यक्षता डीपीआईआईटी के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने की। उन्होंने अपने मुख्य भाषण में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ (राज्य रैंकिंग और सुधार), एनएसडब्ल्यूएस, अनुपालन बोझ को कम करने (जन विश्वास विधेयक), जन विश्वास विधेयक 2.0 को तैयार करने, विनियमन लागत तथा आगामी विश्व बैंक बी- रेडी ढांचे से संबंधित डीपीआईआईटी की पहलों को शामिल किया। उन्होंने उद्योग को सभी पहलों पर अधिक नजदीकी से काम करने और सुझाव साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया। डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री अजय श्रीराम और हीरो एंटरप्राइज के अध्यक्ष श्री सुनील कांत मुंजाल ने उद्योग की चिंताओं को साझा किया। श्री नवनीत मोहन कोठारी, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम और श्री संदीप सागले, आयुक्त, उद्योग और वाणिज्य विभाग, गुजरात सरकार ने राज्यों की सर्वाेत्तम प्रथाओं, प्रभावी और सरलीकृत सिंगल विंडो पोर्टल तथा ईओडीबी सुधारों के कार्यान्वयन के बारे में अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।
राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पर सत्र 2 – सभी अनुमोदनों/नवीकरणों के लिए वन स्टॉप समाधान की अध्यक्षता डीपीआईआईटी की संयुक्त सचिव मनमीत नंदा ने की। उन्होंने उद्योग के सदस्यों और एसएमई को अपने व्यापार की जरूरतों के अनुसार अनुमोदन की पहचान करने और उसके लिए आवेदन करने के बारे में पूरा मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाने के लिए फीडबैक भी देने और इस मंच को सच, वास्तविक राष्ट्रीय एकल खिड़की बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के बारे में अपनी राय देने को कहा। उत्तर प्रदेश, नागालैंड राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों (श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) के वरिष्ठ अधिकारियों ने उपस्थित जनों को संबोधित किया और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को सक्षम बनाने के लिए अपने-अपने संबंधित विभागों के नेतृत्व में विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। इसके अलावा एनएसडब्ल्यूएस पर संबंधित विभागीय सेवाओं के एकीकरण के बाद उपयोग को आसान बनाने के लिए उद्योग से प्राप्त सकारात्मक प्रतिक्रियाओं के बारे में भी जानकारी दी।
सत्र-3, विवाद समाधान तंत्र को मजबूत बनाने के बारे में अनुबंध तंत्र को लागू करने की क्रिया को सुव्यवस्थित बनाने, व्यापार कानूनों को अपराधमुक्त करने, वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) इकोसिस्टम की भूमिका को बेहतर बनाने पर विचार-विमर्श किया गया। आपराधिक गतिविधि रोकने के लिए, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि प्रावधानों के पूर्व में लागू अनुप्रयोगों को भविष्य में भी लागू करने के बारे में चर्चा की गई है। ये अदालतों पर पड़ने वाले बोझ को कम करने में लाभदायक रहेंगे। इस सत्र में चर्चाएं अधिकारियों द्वारा मामलों में अनावश्यक देरी करने के रवैये में व्यवस्थित बदलाव के माध्यम से सरकारी मुकदमेबाजी कम करने, बहस के लिए समय सीमित करने और स्थगन की संख्या को सीमित करने, अदालतों, न्यायाधिकरण और न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि करने पर केंद्रित रही।
सत्र-4, कर भुगतान और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को आसान बनाने, कर संबंधी मुकदमेबाजी को कम करने, रिफंड/क्रेडिट/रिटर्न में शामिल प्रक्रियाओं में सुधार करने, जीएसटी में प्रक्रियात्मक अनुपालन को तर्कसंगत बनाने, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और तेज करने के बारे में चर्चा की गई।