ग्रामीण विकास का नया संकल्प, रोजगार की नई गारंटी
श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लोक सभा में Viksit Bharat – Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin): VB – G RAM G (विकसित भारत – जी राम जी) Bill, 2025 पेश कियाविधेयक के अंतर्गत ग्रामीण परिवारों को 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की गारंटी तथा सशक्तिकरण, विकास, कंवर्जेंस एवं सेचूरेशन पर केंद्रित
ग्राम पंचायतों द्वारा पीएम गति शक्ति के माध्यम से योजनाओं के कंवर्जेंस एवं सेचूरेशन आधारित ‘विकसित ग्राम पंचायत प्लान’ का निर्माण
ग्रामीण सार्वजनिक कार्यों के लिए एकीकृत ‘विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक’ की परिकल्पना
जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण इंफ्रा, आजीविका और आपदा-निवारण वाले कार्यों पर रहेगा खास फोकस
खेती के मौसम में खेतिहर श्रमिकों की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने का विशेष प्रावधान
साप्ताहिक सार्वजनिक प्रकटीकरण (weekly public disclosure) प्रणाली एवं सुदृढ़ सोशल ऑडिट के माध्यम से मजबूत पारदर्शिता और जवाबदेही
कुशल एवं उच्च-ईमानदारीपूर्ण क्रियान्वयन के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर आधारित सुदृढ़ शासन ढाँचा
इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य फ्यूचर-रेडी, कनवर्जेंस और परिपूर्णता (सैचुरेशन) आधारित ग्रामीण विकास संरचना स्थापित करना है । यह विकसित भारत @2047 के विजन के अनुसार ग्रामीण विकास की तेज़ गति को सपोर्ट करेगा, जिससे रोज़गार के ज़्यादा अवसरों के ज़रिए ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाया जा सकेगा। विधेयक में सभी प्रासंगिक योजनाओं के कंवर्जेंस को विकसित ग्राम पंचायत प्लान पर आधारित एकीकृत प्लान प्रक्रिया के माध्यम से संस्थागत करने का प्रावधान है, जिन्हें समेकित कर विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इनफ्रास्ट्रक्चर स्टैक बनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, टेक्नोलॉजी-सक्षम संरचना तथा कानूनी एवं प्रशासनिक प्रावधानों के माध्यम से मजबूत पारदर्शिता एवं जवाबदेही तंत्र सुनिश्चित किए गए हैं।
‘Viksit Bharat – Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin): VB – G RAM G (विकसित भारत – जी राम जी) Bill, 2025’ के अंतर्गत ग्रामीण परिवारों के उन वयस्क सदस्यों को, जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हों, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में वैधानिक मजदूरी रोजगार गारंटी को 125 दिनों तक बढ़ाया जाएगा।
इस विधेयक के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले सभी कार्यों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक में शामिल किया जाएगा जिससे ग्रामीण सार्वजनिक कार्यों के लिए एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार होगा। विषयगत प्राथमिकता जल सुरक्षा और जल-संबंधी कार्य; मुख्य ग्रामीण इनफ्रास्ट्रकचर; आजीविका से संबंधित इनफ्रास्ट्रकचर एवं प्रतिकूल मौसमीय घटनाओं को कम करने वाले कार्यों को दी जाएगी। यह तरीका देशभर में उत्पादक, टिकाऊ, सुदृढ़ एवं परिवर्तनकारी ग्रामीण परिसंपत्तियों के निर्माण को सुनिश्चित करेगा।
इस विधेयक के अंतर्गत सभी कार्यों की पहचान विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं के जरिए की जाएगी, जो बॉटम-अप एप्रोच, कनवर्जेंस और परिपूर्णता आधारित होगी। इन्हें ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर समेकित किया जाएगा ताकि व्यापक क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित हो सके और एक एकीकृत, समग्र सरकारी (Whole-of-Government) ग्रामीण विकास संरचना का निर्माण हो सके। ये विकसित ग्राम पंचायत योजनाएँ जीपीएस जैसी स्पेशियल टेक्नालॉजी का उपयोग करके तैयार की जाएंगी और पीएम गति-शक्ति के साथ एकीकृत की जाएंगी।
राज्यों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे अग्रिम रूप से अधिसूचना जारी कर, एक वित्तीय वर्ष में कुल 60 दिनों की अवधि निर्धारित कर सकें, जिसके दौरान इस विधेयक के अंतर्गत कार्य नहीं किए जाएँगे, ताकि बुवाई एवं कटाई के चरम मौसम के दौरान खेतिहर श्रमिकों की उपलब्धता हो सके।
प्रत्येक राज्य सरकार को इस विधेयक के अंतर्गत प्रस्तावित गारंटी को प्रभावी बनाने हेतु अधिनियम के प्रारंभ होने की तिथि से छह माह के भीतर एक योजना तैयार करना अनिवार्य होगा। यह योजना केंद्रीय प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में संचालित की जाएगी, जिसमें उत्तर-पूर्वी एवं हिमालयी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 90:10 तथा अन्य सभी राज्यों एवं विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 60:40 का फंड शेयरिंग पैटर्न होगा।
समावेशी विकास को बढ़ावा देने तथा वित्तीय संसाधनों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने के लिए, विधेयक में वस्तुनिष्ठ मानकों (Objective Parameters) के आधार पर राज्यों को नॉर्मेटिव आवंटन (Normative Allocation) का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकारें पंचायतों की श्रेणी एवं स्थानीय विकास ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए जिलों एवं ग्राम पंचायतों के बीच फंड का पारदर्शी एवं आवश्यकता-आधारित वितरण सुनिश्चित करेंगी, जिससे समानता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही को मजबूती मिलेगी।
यह विधेयक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर आधारित एक व्यापक गवर्नेंस इकोसिस्टम को अनिवार्य करता है, जिसमें बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, स्पेशियल टेक्नोलॉजी आधारित प्लानिंग एवं निगरानी, मोबाइल-आधारित रिपोर्टिंग के साथ रियल-टाइम डैशबोर्ड, AI-सक्षम विश्लेषण तथा सुदृढ़ सोशल ऑडिट तंत्र शामिल हैं, जिससे पारदर्शी, कुशल एवं उच्च-ईमानदारी के साथ क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
ग्राम पंचायतें, ग्राम पंचायत भवनों में, कामों की स्थिति, भुगतान, शिकायतें, कामों की प्रगति, मस्टर रोल आदि प्रस्तुत करने के लिए साप्ताहिक जानकारी बैठकें आयोजित करेगी। इसके अतिरिक्त, साप्ताहिक जानकारी स्वचालित रूप से तैयार किए जाएँगे तथा भौतिक एवं डिजिटल—दोनों ही, सार्वजनिक रूप से सुलभ स्वरूपों में प्रदर्शित किए जाएँगे।
इस विधेयक के तहत मजदूरी दरें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जाएंगी। जब तक नई दरें जारी नहीं होतीं, तब तक महात्मा गांधी नरेगा के तहत मौजूदा मजदूरी दरें लागू रहेंगी। यदि 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो निर्धारित दरों पर बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान किया गया है, जिसका भुगतान राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा।
पृष्ठभूमि: ग्रामीण भारत में रूपांतरण
पिछले दो दशकों में ग्रामीण भारत में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं, जिनमें प्रमुख सरकारी योजनाओं का सेचूरेशन आधारित क्रियान्वयन; ग्रामीण संपर्क, आवास, पेयजल, स्वच्छता एवं विद्युतीकरण का विस्तार; बेहतर डिजिटल पहुँच के साथ गहन वित्तीय समावेशन; ग्रामीण कार्यबल का विविधीकरण; तथा बेहतर आय, उत्पादक अवसंरचना एवं अधिक जलवायु-अनुकूलन जैसी बढ़ती आकांक्षाएँ शामिल हैं। ये परिवर्तन एक ऐसे पुनर्संतुलित दृष्टिकोण की माँग करते हैं, जो बदलती आकांक्षाओं के अनुरूप हो, टेक्नोलॉजी का उपयोग करे तथा केंद्र, राज्य एवं स्थानीय योजनाओं के बीच प्रभावी कंवर्जेंस सुनिश्चित करे।
बदलती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, कई परस्पर पूरक सरकारी योजनाओं को समाहित करते हुए एक समग्र (Whole-of-Government) ग्रामीण विकास ढाँचा स्थापित करने हेतु मजबूत कंवर्जेंस की आवश्यकता है। यह ज़रूरी है कि ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का काम टुकड़ों में काम करने के बजाय एक व्यवस्थित और भविष्य-उन्मुख तरीके से हो, तथा संसाधनों का वितरण वस्तुनिष्ठ मानकों के आधार पर न्यायसंगत रूप से किया जाए, ताकि देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में असमानताओं को कम किया जा सके और समावेशी विकास को बढ़ावा मिले।
जैसे-जैसे राष्ट्रीय विकास आगे बढ़ रहा है, ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का समय-समय पर पुनरीक्षण आवश्यक है, ताकि वे उभरती आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं के अनुरूप बने रहें। आज की व्यापक रूप से परिवर्तित परिस्थितियों में, विकसित भारत @2047 के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ग्रामीण विकास हेतु एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण जरूरी है। विकास के कामों के बढ़ते दायरे से ग्रामीण परिवारों के लिए रोज़गार के ज़्यादा मौके पैदा होने की अपेक्षा है। अतः ग्रामीण कार्यबल को अधिक प्रभावी रूप से जोड़ना आवश्यक है, ताकि उन्हें सुदृढ़ आजीविका गारंटी के माध्यम से सशक्त करते हुए विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके। इसी उद्देश्य से सरकार ने एक उपयुक्त अधिनियम के माध्यम से ग्रामीण परिवारों के लिए मजदूरी रोजगार गारंटी को 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिनों प्रति वित्तीय वर्ष करने का निर्णय लिया है, ताकि ग्रामीण परिसंपत्ति निर्माण को मजबूती प्रदान की जा सके।
पृष्ठभूमि संबंधी जानकारी के लिए कृपया यहां क्लिक करें.
AnyTime News
