सिद्धार्थ श्रीवास्तव
1947 में हुये विभाजन ने लाखों परिवारों को अविस्मरणीय कष्ट दिया है। एक पुरातन देश को अव्यवाहरिक भौगोलिक सीमाओं में बाँट दिये जाने से बड़े पैमाने पर लोगों को अपना घर बार छोड़ कर विस्थापित होना पड़ा और लाखों परिवारों का बंटवारा एक नक्शे पर खींची गई सीमा ने कर दिया। यें बातें बैंक 14 अगस्त विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस के अवसर पर बैंक ऑफ बड़ौदा के महाप्रबंधक समीर रंजन पांडा ने ऑफ बड़ौदा विभूति खंड शाखा में कही।
उन्होंने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस के द्वारा हम न सिर्फ विभाजन के दौरान प्राण गवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं बल्कि उन परिवारों के कष्ट को समझने की कोशिश करते हैं जिन्होने बँटवारे का दंश सहा है।
इस अवसर पर बोलते हुये महाप्रबंधक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि बटवारे की विभीषिका ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया। भीष्म साहनी, कृष्णा सोबती और मंटो आदि साहित्यकारों , विभिन्न फिल्मों में इस विभीषिका को प्रभावी रूप से उकेरा है । उन घटनाओं को याद करने से हमें सबक मिलता है कि आगे ऐसा कुछ न होने पाये।
इस अवसर पर बैंक की ग्राहक एवं विभाजन विभीषिका से प्रभावित इक़बाल आबिदी के विभाजन से अपने परिवार पर होने वाले कष्टों का जिक्र करते हुये बताया कि वह ऐसा दंश था जो भुलाए नही भूलता है।
प्रदर्शिनी में विभिन्न चित्रों और स्लाइड्स के द्वारा विभाजन की विभीषिका को चित्रित किया गया है।
इस अवसर पर बैंक के लखनऊ महानगर क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रमुख एवं उपमहानिदेशक तपन सिन्हा, लखनऊ अंचल के क्षेत्रीय विपणन अधिकारी विकास सिंह बैंक के कई स्टाफ एवं ग्राहक भी मौजूद थे।