ऊर्जा भंडारण की लागत 10.18 रुपये प्रति किलोवाट घंटा
चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करने के लिए पर्याप्त बीईएसएस क्षमता के निर्माण की आवश्यकता बिजली और एनआरई मंत्री आर. के. सिंह
सूफिया ंिहंदी
केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, आर.के. सिंह ने 4,000 मेगावाट घंटे (एमडब्ल्यूएच) की क्षमता के बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) के विकास के लिए व्यवहार्यता गैप फंडिंग (वीजीएफ) की योजना के संचालन के लिए संरचना को अंतिम रूप देने नई दिल्ली में एक बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक में विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, भारतीय सौर ऊर्जा निगम, ग्रिड इंडिया और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड (एनवीवीएन) के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। .
अधिकारियों को संबोधित करते हुए बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) की कीमत घटी है। उन्होंने कहा कि सरकार बिजली की मांग के साथ-साथ ऊर्जा संक्रमण की तेजी से बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए बीईएसएस क्षमता की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी। मंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी जहां हमारे पास दिन में अतिरिक्त सौर ऊर्जा और शाम के समय अतिरिक्त पवन ऊर्जा होगी, जो जरूरत पड़ने पर भंडारण और उपयोग के लिए पर्याप्त भंडारण प्रणाली तैनात नहीं होने पर बेकार हो जाएगी। यह देखते हुए कि सरकार की भूमिका सक्षम संरचनाएं बनाने की है ताकि निवेश आ सके, मंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं कि यह प्रणाली इस तरह से काम करे कि दिन और वर्ष के उस समय ऊर्जा प्रदान कर सके जब राष्ट्र को इसकी सबसे अधिक आवश्यकता हो।
इस बात पर चर्चा की गई कि बीईएसएस अधिकतम मांग की अवधि के दौरान बिजली देने में सक्षम होना चाहिए और साथ ही ग्रिड को स्थिर रख सके। बिजली की आपूर्ति पावर एक्सचेंजों में विभिन्न बाजार खंडों के माध्यम से की जाएगी। बीईएसएस की चार्जिंग मुख्य रूप से नवीकरणीय स्रोतों से उस समय की जाएगी जब सौर और पवन ऊर्जा से उत्पन्न बिजली उपलब्ध होगी।
बैठक में ऊर्जा अनुबंध और क्षमता अनुबंध पर आधारित बीईएसएस की खरीद के लिए विभिन्न मॉडलों पर चर्चा की गई। इन मॉडलों के फायदे और नुकसान के साथ-साथ उनके कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियों पर भी बात की गई।
भंडारण प्रणाली से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, नवीकरणीय ऊर्जा से समृद्ध राज्यों के विभिन्न जगहों की चर्चा बीईएसएस के संभावित स्थानों के रूप में की गई।
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