उत्तर प्रदेश का इथेनॉल उद्योग का आकार 12,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है- लक्ष्मी नारायण चौधरी

उत्तर प्रदेश देश में सबसे बड़े इथेनॉल उत्पादक के रूप में उभरने के लिए तैयार- गन्ना मंत्री

यू.पी0 को वन ट्रिलिंग इकोनॉमी बनाने में गन्ना क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिकारू दुर्गा शंकर मिश्रा, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार

भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) ने “सी.आई.आई. शुगरटेक” सम्मेलन के 9वें संस्करण का सफलतापूर्वक आयोजन किया

भानू शुक्ला

उत्तर प्रदेश सम्पूर्ण देश में इथेनॉल उत्पादन में नंबर वन बनने के लिए पूरी तरह तैयार है। राज्य में इस क्षेत्र के उद्योग का आकार 12,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
यें बातें “सी.आई.आई. शुगरटेक” सम्मेलन के 9वें संस्करण उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि गन्ना विकास और चीनी उद्योग कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने गोमती नगर के एक निजी होटेल में कही।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की इथेनॉल क्षमता 2 अरब लीटर प्रति वर्ष अनुमानित की गई है, जो पांच साल पहले 240 मिलियन लीटर प्रति वर्ष से लगभग आठ गुना अधिक है। अगले कुछ वर्षों में राज्य की इथेनॉल क्षमता 2.25 बिलियन लीटर प्रति वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस क्षेत्र को पिछले 6 वर्षों में संयंत्र और मशीनरी, प्रौद्योगिकी और कुल खेती क्षेत्र में निवेश के मामले में निजी क्षेत्र से अभूतपूर्व समर्थन मिला है।

सम्मलेन में आये लोगों को संबोधित करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, दुर्गा शंकर मिश्रा, ने कहा की गन्ना उद्योग देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने उल्लेख किया कि चीनी क्षेत्र चक्रीय अर्थव्यवस्था का एक उपयुक्त उदाहरण है जो यू.पी0 में गन्ना क्षेत्र से संबंधित 4.5 मिलियन से अधिक परिवारों को रोजगार प्रदान करता है, जिसमें चीनी, इथेनॉल, गुड़, बिजली सह-उत्पादन, गुड़, खांडसारी (परिष्कृत चीनी) आदि शामिल हैं। राज्य में समेकित वार्षिक गन्ना अर्थव्यवस्था लगभग 50,000 करोड़ रुपये है। उन्होंने उल्लेख किया कि राज्य सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और उनकी आय दोगुनी करने के लिए गन्ने की फसल को आकर्षक इथेनॉल मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत करने का प्रयास कर रही है।

सम्मेलन के अध्यक्ष तथा डीसीएम श्रीराम लिमिटेड (चीनी व्यवसाय) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर तथा सीईओ रोशन लाल तामक ने कहा कि चीनी मिलों को एक सक्षम और प्रगतिशील नीतिगत बुनियादी ढांचा प्रदान करने और राज्य में बंद पड़ी चीनी मीलों को पुनः चलाने हेतु राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि चीनी क्षेत्र उत्तर प्रदेश के कृषि समाज का केंद्र बिंदु है और इसने राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जैव-ऊर्जा उद्यमों की स्थापना से किसानों के लिए अतिरिक्त आय भी पैदा होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार के गन्ना आयुक्त प्रभु नारायन सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सितंबर 2022 में यूपी-बायो एनर्जी नीति की घोषणा की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में बायोएनर्जी कचरे का उपयोग करके संपीड़ित बायोगैस संयंत्र, बायो डीजल उत्पादन संयंत्र और बायो कोयला उत्पादन संयंत्र स्थापित करने को प्रोत्साहित करना था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना है।

अनुपम शुक्ला निदेशक ने कहा कि यूपीनेडा ने बायोएनर्जी क्षेत्र के लिए समर्पित रूप से एक नोडल अधिकारी आवंटित किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि हम आवश्यक सब्सिडी प्रोत्साहन प्रदान करके एफपीओ, गन्ना संस्थानों की मदद से आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में सीबीजी स्थापित करने के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार की सब्सिडी के अलावा सभी आवश्यक सब्सिडी प्रदान कर रही है।

पद्मश्री (डॉ.) बक्शी राम ने सभा को सम्बोधित करते हुए फसल 238 के बारे में बात की जो उत्तर प्रदेश में चीनी क्षेत्र में गेमचेंजर साबित हुई है। ब्व 0238 में गन्ने की औसत उपज 81 टन/हेक्टेयर है, जबकि जोनल चेक किस्म ब्वश्र 64 की औसत उपज 68 टन/हेक्टेयर है। 2017-18 के दौरान इसकी उच्च उपज क्षमता 329.6 टन/हेक्टेयर प्रदर्शित की गई है
सी.आई.आई. यू.पी0 स्टेट काउंसिल आकाश गोयनका ने सम्मेलन में आये सभी प्रतिभागियों और विशिष्ट अतिथियों को धन्यवाद देते हुए उल्लेख किया कि गन्ना क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था और कृषि उपज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उत्तर प्रदेश, भारत में अग्रणी गन्ना उत्पादक राज्यों में से एक हैं और यह उत्तर प्रदेश के आर्थिक और ग्रामीण विकास के लिए अपार संभावनाओं को जन्म देता है।

इस सम्मलेन में चीनी तथा चीनी से संबंधित क्षेत्र की प्रसिद्ध हस्तियाँ जैसे श्री आदित्य के. झुनझुनवाला, प्रबंध निदेशक, के.एम. शुगर मिल्स लिमिटेड, डॉ. एस. सोलोमन, अध्यक्ष, सोसाइटी फॉर शुगर रिसर्च एंड प्रमोशन, डॉ. आर. विश्वनाथन, निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान , श्री आर.जी. अग्रवाल, ग्रुप चेयरमैन, धानुका एग्रीटेक लिमिटेड, कौशल जयसवाल, प्रबंध निदेशक, रिवुलिस इरिगेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, समीर सिन्हा, सी.ई.ओ., त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, विवेक वर्मा, सी.एम.डी., स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेज लिमिटेड, प्रदीप मित्तल, उप. ई.डी., डालमिया भारत शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, साहिब सिंह चीमा, निदेशक, सरस्वती एग्रो लाइफ साइंस (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, प्रोफेसर संजीव कपूर, प्रोफेसर – कृषि व्यवसाय प्रबंधन, आई.आई.एम.-लखनऊ, ने भी प्रौद्योगिकी, मशीनीकरण, जल संरक्षण, ड्रिप सिंचाई, टिकाऊ खेती के लिए अनुसंधान और विकास, फसल 238, जैव-ऊर्जा जैसे विभिन्न विषयों पर दर्शकों को संबोधित किया। इथेनॉल, कंप्रेस्ड बायो गैस (सी.बी.जी), चीनी क्षेत्र में प्रौद्योगिकियां पानी, भाप, ऊर्जा और चीनी मूल्य संवर्धन जैसे विषयों पर भी चर्चा की गयी ।

सम्मेलन में उद्योग जगत, सरकार, अनुसंधान अंतर्ज्ञान, शिक्षा जगत तथा सी.आई.आई. सदस्यों समेत 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

 

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