डेंगू के मरीज के पाचन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है और इसकी वजह से उल्टी और डायरिया हो सकती है, वहीं वायरल फीवर में मरीज को ऐसी समस्या बहुत कम होती है।
वायरल फीवर की समस्या आमतौर पर 5 से 7 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाती है। वहीं डेंगू बुखार को ठीक होने इससे ज्यादा समय लगता है। सहारा हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ.दीपाली मोहंती कहती हैं कि डेंगू बुखार में ओवर द काउंटर दवाओं का सेवन जानलेवा हो सकता है। इसलिए डेंगू की जांच करवाने के बाद डॉक्टर से इसका इलाज कराना जरूरी है।
डेंगू जनित बुखार की पहचान करने का सबसे अच्छा और निश्चित तरीका है कि आप अपना संपूर्ण रक्त गणना परीक्षण और डेंगू सीरोलोजी परीक्षण करवाएं। विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग 80-90 प्रतिशत डेंगू रोगियों में प्लेटलेट काउंट 100,000 से कम होगा, जबकि 10-20 प्रतिशत रोगियों में 20,000 या उससे कम का गंभीर स्तर देखा जाएगा।
डॉक्टर से तुरंत लें सलाह
आम बुखार या वायरल फीवर भी खतरनाक हो सकता है और ठीक से इलाज न लेने पर यह दिमागी बुखार में बदल सकता है। इसी तरह डेंगू का फीवर मरीज के शरीर को तोड़ने का काम करता है और काफी कमजोरी आने लगती है। ऐसे में किसी भी बुखार में लापरवाही कतई न बरतें और जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेकर अपना इलाज करवाने की जरूरत है।
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह जी ने बताया कि हमारे माननीय अभिभावक सहाराश्री जी ने अपनी दूरदृष्टि से ऐसा हास्पिटल दिया है जहां हर प्रकार की चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध है। श्री सिंह ने बताया कि सहारा हॉस्पिटल में 50 से भी अधिक विभागों के अलावा अल्ट्रा माडर्न ब्लड बैंक की भी सुविधा उपलब्ध है जहां डेंगू व अन्य गंभीर समस्याओं से गसित लोगों को निरंतर प्लेटलेट की सुविधा मिल रही है व 24Û 7 डाक्टरों की टीम मरीजों की सेवा में निरंतर कार्यरत व तत्पर है।