टीटू ठाकुर
बैंक ऑफ बड़ौदा ने पहले से बताई गई ब्याज दरों की अनुसूची के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों से जमा राशि स्वीकार की जो कि नियमों के विरुध है साथ ही केंद्र सरकार से
सब्सिडी के माध्यम से प्राप्त होने वाली राशि एक निगम को कार्यशील पूंजी मांग ऋण स्वीकृत किया और उस पर ब्याज दर का भुगतान नहीं किया गया था । बैंक ऑफ बड़ौदा (बैंक) ने भारतीय रिज़र्व बैंक के आदेशित शर्तों का अनुपालन न करने पर ₹4.34 करोड़ (केवल चार करोड़ चौंतीस लाख रुपये) का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने जारी एक बयान में दी।
उन्होंन बताया कि यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता को प्रभावित करना नहीं है।
योगेश दयाल ने बताया कि क्रेडिट पर सूचना का केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) – रिपोर्टिंग में संशोधन और अग्रिम-वैधानिक और अन्य प्रतिबंध पर भारतीय रिजर्व बैंक (जमा पर ब्याज दर) दिशानिर्देश, 2016 यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम, के तहत प्रदत्त आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
आरबीआई के जीएम ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा बड़े एक्सपोज़र पर डेटा की सटीकता और अखंडता सुनिश्चित करने में विफल रहा, जिसकी वजह से स्वीकृत निगम को सावधि ऋण और कुछ परियोजनाओं के परिकल्पित बजटीय संसाधनों के बदले में या स्थानापन्न साथ ही परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंक योग्यता पर उचित परिश्रम किए बिना कि परियोजनाओं से राजस्व धाराएं ऋण सेवा दायित्वों की देखभाल के लिए जिसका पुनर्भुगतान / सर्विसिंग बजटीय संसाधनों से की गई थी।
उन्होंन बताय कि बैंक को नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे कारण बताने की सलाह दी गई कि उक्त निर्देशों का पालन करने में विफलता के लिए उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए, जैसा कि उसमें कहा गया है।
नोटिस पर बैंक के जवाब और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उपरोक्त आरबीआई निर्देशों का अनुपालन न करने का आरोप प्रमाणित हुआ और मौद्रिक जुर्माना लगाना जरूरी हो गया।