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“‘सात्यकि”–द्वापर का अजेय योद्धा’ का मालनी अवस्थी और दिग्गज शिक्षाविदों की मौजूदगी में हुआ विमोचन

 

 

 

दुष्यंत प्रताप सिंह की नवीनतम कृति ‘सात्यकि’ का विमोचन, साहित्य और संस्कृति का संगम l

 

मशहूर शिक्षाविद श्री राजेश दयाल एवं यूनिवर्सल बुक सेलर्स के सी.ई.ओ श्री गौरव प्रकाश व लेखक दुष्यंत प्रताप सिंह की उपस्थिति में किया गया।

 

द्वापर युग के वीर ‘सात्यकि’ पर आधारित पुस्तक का विमोचन, लखनऊ बना ऐतिहासिक पल का साक्षी” l

 

ऑडियोबुक से लेकर वेब सीरीज़ तक पहुंचेगी सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा की शौर्यगाथा”

लखनऊ, 25 जुलाई : प्रतिष्ठित बुक स्टोर “यूनिवर्सल बुक सेलर्स” में बॉलीवुड के प्रख्यात निर्देशक एवं लेखक दुष्यंत प्रताप सिंह द्वारा रचित चर्चित पौराणिक कृति ‘सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा’ का भव्य विमोचन आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर देश की प्रसिद्ध लोकगायिका पदमश्री मालिनी अवस्थी, जाने-माने शिक्षाविद श्री राजेश दयाल, यूनिवर्सल बुक सेलर्स के सीईओ श्री गौरव प्रकाश और लेखक दुष्यंत प्रताप सिंह मंच पर उपस्थित रहे।

सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा लखनऊ के स्थानीय यूनिवर्सल बुक सेलर्स पर हालिया रिलीज चर्चित माइथोलोजी किताब सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा जिसे बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह ने लिखा है का विमोचन मशहूर लोक गायिका पदमश्री मालिनी अवस्थी, मशहूर शिक्षाविद श्री राजेश दयाल एवं यूनिवर्सल बुक सेलर्स के सी.ई.ओ श्री गौरव प्रकाश व लेखक दुष्यंत प्रताप सिंह की उपस्थिति में किया गया। उपरोक्त किताब द्वापर युग के भीषण योद्धा सात्यकि के जीवन पर आधारित एक महागाथा हैl

 

इस अवसर पर सुश्री मालिनी अवस्थी ने कहा मैं बहुत खुश हूं कि लेखक आज हमारे युगों और इतिहास के ऐसे योद्धाओं व कर्म योगियों के बारे में लिख रहे हैं जो लोगों की स्मृति से लगभग विस्मृत हो चुके हैं । ऐसी किताबें और साहित्य ही उनके असाधारण जीवन पर न सिर्फ प्रकाश डालते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी एक गर्व का अनुभव कराते हैं और हमारी सनातन संस्कृति के अपूर्व इतिहास से उनका नूतन परिचय होता है वहीं राजेश दयाल ने कहा कि किताबें हमारे इतिहास को वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाने का सबसे बेहतरीन माध्यम है श्री दयाल ने कहा किताबें न सिर्फ हमें शिक्षा देती हैं बल्कि हमारे आसपास हर वक्त उनकी मौजूदगी एक शैक्षिक माहौल का निर्माण करने में मदद करती है “हमारे लोकगीतों में जिन योद्धाओं की चर्चा होती है, उन्हें आधुनिक साहित्य में स्थान देना एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी है।”उन्होंने आगे कहा कि “सात्यकि जैसे चरित्रों को जानना आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत होगा।

गौरव प्रकाश ने कहा की सात्यकि द्वापर का अजय योद्धा जैसी किताबें जब उनके बुक स्टोर्स में आतीं हैं तो उन्हैं बेहद खुशी होती है क्योंकि भूतकाल का वर्तमान से परिचय और भविष्य को आमजनों से जोड़ने वाली किताबें अक्सर कम मात्रा में उपलब्ध हैं कोई ऐसी किताब जब उनकी लाइब्रेरी में दस्तक देती है तो उन्हें बेहद खुशी होती है वे ऐसे व्यवसाय से जुड़े हुए हैं जो उनके लिए व्यवसाय नहीं बल्कि एक गर्व का विषय है ।

दुष्यंत प्रताप सिंह ने बताया उपरोक्त किताब न सिर्फ उनके लिए एक चुनौती थी बल्कि महायोद्धा सात्यकि का वर्तमान पीढ़ी से परिचय उनके लिए एक बेहद भावुक पल है सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा देश और दुनिया के सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है साथ ही यह किताब क्रॉसवर्ड, यूनिवर्सल, ओम, सपना जैसे वरिष्ठ बुक डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास भी उपलब्ध है। इस बुक का ऑडियो ऑनलाइन सभी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है लगभग 8:30 घंटे का ऑडियो आपको रोमांच की एक अलग दुनिया में ले जाता है उपरोक्त ऑडियो में इंडस्ट्री के बड़े टेक्नीशियनस ने अपनी सेवाएं दी हैं गौरव प्रकाश के मुताबिक जब हमारे शेल्फ़ पर इस तरह की पुस्तकें आती हैं, तब यह सब सिर्फ एक व्यापार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन जैसा महसूस होता है।”

मालिनी अवस्थी जी ने कहा की ऐसी गाथाओं पर और हमारे महाकाव्यों पर निश्चित रूप से हमारी सरकारों को भी निरंतर कार्य करना चाहिए अवधी संस्कृति, साहित्य और लोकगीतों की सबसे शीर्ष गायिका मालिनी अवस्थी इस अवसर पर बेहद अभिभूत दिखाई दीं उनके शब्दों में वे बहुत खुश होती हैं जब ऐसा साहित्य उनके हाथ में आता है क्योंकि इतिहास और युग गाथाओं में उनकी बेहद दिलचस्पी है और यह विषय उनके हृदय की बहुत करीब है lउन्होंने कहा कि जब ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पात्रों को साहित्य के माध्यम से फिर से प्रस्तुत किया जाता है, तो वह एक सांस्कृतिक जागरण का रूप ले लेता है। मालिनी जी ने अंत में कहा कि यदि ऐसे रचनात्मक कार्यों को सरकारी सहयोग मिले, तो भारतीय संस्कृति और परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाना और भी आसान हो जाएगा।

राजेश दयाल भी इस अवसर पर बहुत भावुक दिखे कई शैक्षिक संस्थानों का संचालन कर रहे ये शिक्षाविद सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा से बेहद प्रभावित थेl इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस तरह की किताबों को सभी विद्वान जनों को अवश्य पढ़ना चाहिए ये किताबें नहीं बल्कि युगों के दस्तावेज होते हैं , उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक को स्कूलों और विश्वविद्यालयों की पुस्तकालयों में अवश्य स्थान मिलना चाहिए।ऐसे लेखन हमारे भीतर राष्ट्र गौरव की भावना को जाग्रत करते हैं,” उन्होंने गर्व के साथ कहा।अंत में उन्होंने लेखक को इस ऐतिहासिक कार्य के लिए शुभकामनाएँ देते हुए इसे एक युगांतकारी प्रयास बताया।

पुस्तक के लेखक व फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि करीब दो साल में यह गाथा इस मुकाम पर पहुंची उन्हौंने उम्मीद जताई कि उपरोक्त किताब का अंग्रेजी संस्करण माह अक्टूबर में समूचे विश्व में उपलब्ध होगा व ईश्वर कृपा रही तो बहुत जल्द इस किताब पर एक वेब सीरीज का निर्माण प्रस्तावित है उन्होंने यह भी कहा कि सात्यकि जैसे पात्रों को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें दृश्य माध्यमों के ज़रिए जनमानस तक पहुँचाया जाना चाहिए ताकि लोग न केवल पढ़ें बल्कि देखें, महसूस करें और उनसे जुड़ें। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि जब यह कथा वेब सीरीज़ के रूप में सामने आएगी, तो दर्शकों को एक नए अनुभव की अनुभूति होगी जो ऐतिहासिक तथ्यों और भावनात्मक गहराई दोनों से भरपूर होगा। दुष्यंत जी ने बताया कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर कार्य करते हुए विभिन्न पुराणों, महाभारत के श्लोकों और इतिहासकारों की व्याख्याओं का गहन अध्ययन किया है जिससे इस रचना को प्रामाणिकता और विश्वसनीयता प्राप्त हो सके। अंत में उन्होंने कहा कि सात्यकि जैसे वीरों की कहानियाँ जब तक लोगों तक नहीं पहुँचतीं, तब तक हमारा इतिहास अधूरा ही रहता है और यह पुस्तक उसी अधूरे अध्याय को पूर्ण करने का एक विनम्र प्रयास है।

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