15 सूत्री कार्यक्रम के तहत आने वाली अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की योजनाएं विशेष रूप से अधिसूचित अल्पसंख्यकों के लिए हैं। हालांकि, अन्य भाग लेने वाले मंत्रालयों/विभागों की ओर से कार्यान्वित योजनाओं/पहलों के परिव्यय और लक्ष्यों का यथासंभव 15 फीसदी अधिसूचित अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित किया गया है।यह जानकारी आज अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति जूबिन इरानी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी।
उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और अन्य भागीदार मंत्रालयों की ओर से कार्यान्वित की जा रही योजनाएं निम्नलिखित हैं
मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति योजना
मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना
योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना
प्रधानमंत्री विरासत का संवर्द्धन (प्रधानमंत्री विकास)
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके)
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) ऋण योजनाएं
समग्र शिक्षा अभियान (शिक्षा मंत्रालय)
दीनदयाल उपाध्याय योजना (डीएवाई-एनआरएलएम)- (ग्रामीण विकास मंत्रालय)
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (ग्रामीण विकास मंत्रालय)
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण विकास मंत्रालय)
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय)
बैंकों की ओर से प्राथमिकता वाले क्षेत्र को ऋण (वित्तीय सेवा विभाग)
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (वित्तीय सेवा विभाग)
पोषण अभियान (महिला और बाल विकास मंत्रालय)
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग)
आयुष्मान भारत (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग)
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (जल और स्वच्छता विभाग)
सरकार के संतृप्ति दृष्टिकोण के तहत कई घटकों ने मुख्यधारा प्राप्त कर ली है और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए विभिन्न प्रासंगिक योजनाओं में पूर्ण भागीदारी और लाभ प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय व ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से आर्थिक तौर पर कमजोर और समाज के कम विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों सहित हर वर्ग के कल्याण व उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित करती है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने बहु-आयामी रणनीति अपनाई है, जिससे अधिसूचित अल्पसंख्यकों जैसे कि मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन की रोजगार क्षमता को बढ़ाया जा सके।
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