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हिंदी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में अग्रणी प्रो. शुक्ल

वर्षा ठाकुर

वर्धा, महाराष्ट्र

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए विविध कार्यक्रमों का आयोजन कर इसके क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया है। इस दिशा में विश्वविद्यालय ने एकेडमिक बैंक क्रेडिट, बहु प्रवेश एवं निकास, अंतरानुशासनिक अध्ययन कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकेडमिक डिपोजिटरी, ‘स्वयम’ पर संचालित कार्यक्रमों का क्रेडिट स्थानांतरण, भारतीय भाषाओं में अध्ययन कार्यक्रम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कार्यक्रमों का आयोजन, नीति के क्रियान्वयन के लिए पुस्तक प्रकाशन, डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र, भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेशन, सीयूईटी में सहभागिता आदि के माध्यम से महत्त्वपूर्ण पहल कर ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ को क्रियान्वित किया है। हिंदी विश्वविद्यालय (वर्धा) राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सर्वप्रथम लागू करने वाले संस्थानों में अग्रणी है। यह जानकारी पत्रकार वार्ता मे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने आयोजित ं दी।
पत्रकार वार्ता में प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. चंद्रकांत रागीट, केंद्रीय विद्यालय की प्राचार्य संध्या निमजे, पत्र सूचना कार्यालय नागपुर के उप निदेशक शशीन राय एवं मीडिया संचार अधिकारी धनंजय वानखेडे, केंद्रीय संचार ब्यूरो, वर्धा के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी हंसराज राऊत, विवि के जनसंपर्क अधिकारी बी. एस. मिरगे उपस्थित थे।

प्रो. शुक्ल ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ मना रहा है। इन तीन वर्षों में विश्वविद्यालय ने शिक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ के महत्त्व और उच्च शिक्षा संस्थानों में इसके उचित अनुप्रयोग की बेहतर समझ विकसित करने तथा इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओँ और गतिविधियों का आयोजन किया है। इन आयोजनों में ‘शिक्षा की भारतीय परंपरा और नई शिक्षा नीति 2020’, ‘नई शिक्षा नीति क्रियान्वयन एवं चुनौतियॉं’, ‘शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रू भाषा एवं साहित्य शिक्षण के आयाम’, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और मीडिया’, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में छात्रों की भूमिका’, ‘नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में अध्यापकीय शिक्षा के राष्ट्रीय व्यवसायगत मानक’, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में आत्मनिर्भर भारत हेतु स्वावलंबी शिक्षा’ आदि विषयों पर संगोष्ठियां तथा कार्यशालाएं आदि प्रमुख हैं।
उन्होंने बताया कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ में क्रेडिट ट्रांसफर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्वविद्यालय ने विद्यार्थी हितों को ध्यान में रखते हुए इसे लागू किया है। इस दिशा में अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ समझौते भी किये जा रहे हैं। विश्वविद्यालय ने अकादमिक सत्र 2021-22 से स्नातक कार्यक्रमों के लिए मल्टीपल-एंट्री-मल्टीपल-एग्जिट पद्धति को अपनाया है। विश्वविद्यालय में अंतरानुशासनिक पाठ्यक्रम पहले से ही संचालित हैं। यहाँ तक कि सभी स्नातक कार्यक्रमों में अंतरानुशासनिक पद्धति प्रचलन में है। नेशनल एकेडमिक डिपोजिटरी में अब तक कुल 4781 विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। इन उपाधियों को डिजीलॉकर पोर्टल पर अपलोड किया गया है। इस सुविधा के कारण विद्यार्थी अपने दस्तावेजों को सहज रूप में प्रिंट करा पा रहे हैं। विश्वविद्यालय ने ईपीजी पाठशाला पोर्टल पर अब तक 280 व्याख्यानों को अपलोड किया है।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत कौशल आधारित कार्यक्रमों में ‘हैंडलूम प्रौद्योगिकी’ एवं ‘पर्यावरण जागरूकता और शिक्षा’ शुरू किये गये हैं। इन कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण लक्ष्य युवाओं में कौशल विकसित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। इस पहल से वर्धा के आसपास के गांवों में रोज़गार सृजित हो रहे हैं, जिससे उनकी आत्मनिर्भरता में सहयोग मिला है।
विश्वविद्यालय के विधि और प्रबंधन सहित सभी कार्यक्रम हिंदी भाषा में संचालित हैं। इसी के साथ प्रादेशिक भाषा के उन्नयन की दृष्टि से रिद्धपुर (अमरावती) में सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्वज्ञान अध्ययन केंद्र की स्थापना की गयी है। इस केंद्र में मराठी भाषा, साहित्य, दर्शन और जनसंचार में अध्ययन और अनुसंधान कार्यक्रम शुरू किये गये हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अनुपालन करते हुए अकादमिक सत्र 2021-22 से ही चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। विश्वविद्यालय ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रू एक सिंहावलोकन’ और ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रू क्रियान्वयन के सूत्र’ जैसे महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है। सभी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण अकादमिक अनुसंधान हेतु ‘सामाजिक नीति अनुसंधान प्रकोष्ठ’ की स्थापना की गयी है। विश्व की विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध ज्ञान को हिंदी में लाने के उद्देश्य से ‘भारतीय अनुवाद संघ’ की स्थापना की गयी है। विश्वविद्यालय ने अपनी सामूदायिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए उत्कृष्ट प्रथा के रूप में गांधी जयंती के अवसर पर विगत तीन वर्षों से ‘दीपोत्सव’ की अनूठी पहल शुरू की है। इस वार्षिक आयोजन का सूत्र वाक्य ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ है । विभिन्न शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थानों में सकारात्मक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए दीपोत्सव कारगर सिद्ध हो रहा है।
सामाजिक संवेदनशीलता और समावेशी दृष्टि का परिचय देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल के नेतृत्व में समाज के विभिन्न घटकों के लोगों के सहयोग से विश्वविद्यालय में भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की गयी है। ‘डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र’ के अंतर्गत विश्वविद्यालय अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए सिवील सेवा परीक्षा हेतु निरूशुल्क कोचिंग सुविधा प्रदान कर रहा है।
विश्वविद्यालय ने विभिन्न कार्यक्रमों में प्रवेश हेतु अकादमिक सत्र 2022-23 से सीयूईटी को अपनाया है। वर्तमान में विश्वविद्यालय में 38 स्नातक कार्यक्रम चल रहे हैं और 2023-24 में सीयूईटी के अंतर्गत 41,000 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है। विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है।
पत्रकार वार्ता में प्रभारी कुलानुशासक डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय, सहायक कुलसचिव डॉ. राजेश्वर सिंह, सहायक संपादक डॉ. अमित विश्वास सहित मुद्रित एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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