Breaking News

राइन समाज और किसान यूनियन मंडियों और फुटपाथों पर संघर्ष कर रहे किसानों के हक में उठायेंगे आवाज़

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सब्ज़ी और फल व्यापार से गहराई से जुड़े राईन समाज ने अब किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का फैसला लिया है। ऑल इंडिया जमीअतुल राईन ने भारतीय किसान यूनियन (अवध) से आधिकारिक रूप से जुड़कर न सिर्फ किसानों के संघर्ष को अपनाया, बल्कि फुटपाथों पर जीवन यापन कर रहे छोटे व्यापारियों की आवाज़ को भी नया आयाम दिया है।

 

यह महत्वपूर्ण घोषणा लखनऊ स्थित गांधी भवन में एक विशाल जनसभा के दौरान हुई, जहां ऑल इंडिया जमीअतुल राईन के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद वसीम राईन के नेतृत्व में हजारों की संख्या में राईन समाज के पुरुष, महिलाएं, युवा, बुजुर्ग, सब्ज़ी और फल विक्रेता बड़ी ऊर्जा के साथ उपस्थित हुए।

 

सभा को संबोधित करते हुए वसीम राईन ने कहा, “राईन समाज उत्तर प्रदेश में लाखों की तादाद में है और हमारा जीवन सब्ज़ी और फल व्यापार से जुड़ा है। यह व्यापार मंडी समितियों और किसानों से सीधा जुड़ा हुआ है। जब किसान संकट में होता है, तो उसका असर हम पर भी पड़ता है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम एकजुट होकर अपने अधिकारों और सम्मानजनक जीवन के लिए संघर्ष करें।”

 

उन्होंने आगे कहा कि किसान और सब्ज़ी-फल विक्रेताओं के बीच वर्षों पुराना सामाजिक और व्यापारिक रिश्ता है, जिसे मजबूती देने की आवश्यकता है। आज किसान अपनी फसल का सही मूल्य नहीं पा रहा, जबकि फुटपाथ पर बैठा विक्रेता मौसम की मार झेलते हुए दो वक़्त की रोटी के लिए जूझ रहा है।

 

वसीम राईन ने सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसान और छोटे व्यापारी दोनों को योजनाओं में केवल आंकड़ों तक सीमित कर दिया गया है। “हमारे समाज के लोग – जो अपने सिर पर टोकरियां रखकर गलियों में सब्ज़ी-फल बेचते हैं – आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। मंडियों में शोषण होता है, फुटपाथ पर जबरिया हटाया जाता है, और किसानों की ज़मीनें भू-माफियाओं की नज़र में हैं।”

 

सभा में उपस्थित लोगों ने वसीम राईन के विचारों का खुलकर समर्थन किया और ‘किसान-राईन एकता ज़िंदाबाद’ के नारों से माहौल को जोश से भर दिया।

 

इस ऐतिहासिक पहल के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि राईन समाज और किसान संगठन मिलकर अब सरकार से मांगपत्र प्रस्तुत करेंगे, जिसमें मंडी सुधार, फुटपाथ व्यापारियों के लिए स्थायी व्यवस्था, किसानों की उपज की उचित कीमत और भूमाफिया पर नियंत्रण की मांग शामिल होगी।

 

यह आंदोलन अब केवल एक सामाजिक संगठन की भागीदारी नहीं, बल्कि एक जन-जागरण अभियान बनता जा रहा है, जिसमें रोज़ी-रोटी की लड़ाई लड़ने वाले हर व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

 

 

About ATN-Editor

Check Also

एस.आर. ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस में शौर्य 2025″ खेल महोत्सव

  एस.आर. ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस में खेलों का उल्लास और उमंग। एस.आर. ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस, …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *